मेट्रो की तर्ज पर डीटीसी पूरे बस पर लगाना चाहती है विज्ञापन
-डीटीसी ने राज्य परिवहन प्राधिकरण से मांगी अनुमति, गैर परिचालन राजस्व बढ़ाने की कवायद केहत डीटीसी ने रखा प्रस्ताव

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) घाटे से उबरने के लिए अपने राजस्व बढ़ाने की कवायद में जुट गई है। डीटीसी ने गैर परिचालन राजस्व बढ़ाने के लिए मेट्रो की तर्ज पर बसों की पूरी बॉडी पर विज्ञापन (बॉडी रैप विज्ञापन) लगाना चाहती है। डीटीसी ने एक प्रस्ताव राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) के पास मंजूरी के लिए भेजा है। हालांकि, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की आपत्ति के बाद अभी तक इसपर मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसपर अंतिम फैसले के लिए एक चार सदस्यीय तकनीकी समिति का गठन किया गया है। वर्तमान में भी बसों की बॉडी पर विज्ञापन लगाने का प्रवाधान है। मगर उसके तहत बस विज्ञापनों को बस के केवल पीछे, बाएं और दाएं हिस्से पर ही लगाने की अनुमति होगी। विज्ञापन सामग्री बस के प्रत्येक तरफ उपलब्ध क्षेत्र के 75 फीसदी से अधिक हिस्से को कवर नहीं करेगी। कुल उपलब्ध क्षेत्र की गणना करते समय विंड स्क्रीन (बसों में लगे शीशे) द्वारा कवर किए गए क्षेत्र को नहीं गिना जाएगा। यानि शीशे के अलावा जो जगह बचती है उसी के 75 फीसदी हिस्से पर ही विज्ञापन लगा सकते है।
बीते सप्ताह राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक में अब डीटीसी ने अनुरोध किया है कि डीटीसी को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बसों में विज्ञापन नीति में संशोधन किया जाए। वर्ष 2016 में डीटीसी की ओर से बसों में विज्ञापन के दायरे जो प्रस्ताव रखा गया तो उसे लागू किया जाए। क्योंकि विज्ञापन से डीटीसी को पर्याप्त मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है। बताते चले वर्ष 2016 में डीटीसी ने प्रस्ताव रखा था कि उन्हें लो फ्लोर बसों के दाई ओर (खिड़की के शीशे और पीछे के विंड ग्लास पैनल को छोड़कर) सहित पूरी बॉडी रैप पर विज्ञापन प्रदर्शित करने की अनुमति दी जाए।
डीटीसी बोर्ड से पहले ही इसका मंजूरी मिल चुकी है। डीटीसी के अनुरोध के पीछे का कारण राजस्व बढ़ाना है। डीटीसी का कहना है कि उन्हें एमसीडी की आउटडोर विज्ञापन नीति के तहत एमसीडी से अनुमति मिल चुकी है। डीटीसी का कहना है कि अन्य सभी एसटीयू (राज्य परिवहन इकाई) विशेष रूप से मुंबई में संचालित बेस्ट सहित अन्य यह नीति अपनाकर राजस्व प्राप्त कर रहे है। हालांकि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का इस प्रस्ताव पर कहना है कि दांयी ओर विज्ञापन लगाए जाने से सड़क हादसे की संभावना बढ़ जाती है। इससे सड़क पर वाहन चला रहे लोगों को ध्यान भटकता है।
चार सदस्यीय समिति का गठन
राज्य परिवहन प्राधिकरण ने डीटीसी के इस अनुरोध पर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के अलग मत होने के कारण इसपर आम सहमति बनाने के लिए सचिव राज्य परिवहन प्राधिकरण की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इसमें डिम्ट्स की ओर से विशेषज्ञ शामिल होंगे। उसके अलावा डीटीसी और ट्रैफिक पुलिस के प्रतिनिधि समिति में होंगे। समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इसपर फैसला किया जाएगा।
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