जनगणना:: जनगणना कर्मियों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण
भारत में जनगणना और जातीय गणना को पूरा करने के लिए 30 लाख से अधिक कर्मियों की आवश्यकता है। कर्मचारियों का प्रशिक्षण अक्टूबर में शुरू हो सकता है। नए आंकड़े टैबलेट के जरिए और जियो फेंसिंग के माध्यम से...

नई दिल्ली, एजेंसी। देश में जनगणना और जातीय गणना प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 30 लाख से अधिक कर्मियों की जरूरत पड़ सकती है। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि जनगणना में शामिल कर्मचारियों का विशेष प्रशिक्षण इसी साल अक्तूबर में शुरू हो सकता है। जानकारों की मानें तो इस बार जनगणना के आंकड़े टैबलेट के जरिए एकत्र किए जाएंगे। इन टैबलेट के जियो फेंसिंग से जोड़ा जाएगा। जियो फेंसिंग के जरिए आंकड़ा तभी भरा जा सकता है जब जनगणना अधिकारी उक्त स्थान पर मौजूद होगा। कई नए सवाल भी संभव इस बार की जनगणना में काफी कुछ नया हो सकता है।
कई नए विकल्पों और सवालों को इसमें जोड़ा जा सकता है। पहली बार संप्रदाय को लेकर भी सवाल पूछे जाने की संभावना है। युवाओं को लेकर कुछ नए सवाल भी पूछे जा सकते हैं। जातियों की संख्या चार हजार पार देश में 1931 में जातीय जनगणना हुई तो कुल जातियों की संख्या 4,147 थी। 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे। वर्ष 1872 से 1931 तक जितनी बार जनगणना हुई, उसमें जातिवार आंकड़े दर्ज किए गए। 1901 में जातीय गणना हुई तो 1,646 अलग-अलग जातियों की पहचान हुई थी। जातीय गणना से परहेज वर्ष 1961, 1971, 1981, 1991, 2001 में जो भी जनगणना हुई, उसमें सरकार ने जातीय गणना से दूरी रखी थी। वर्ष 2011 की जनगणना में पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए गए, लेकिन यह आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया। जनगणना में और 23 महीने की देरी का कोई भी कारण नहीं है। केंद्र सरकार तय समय के अंदर जनगणना की योजना नहीं बना पाई है। जयराम रमेश, महासचिव, कांग्रेस
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