परिवार अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ा रहा है लोगों में भावनात्मक तनाव
प्रभात कुमार नई दिल्ली। पारिवारिक विवादों में समय से निपटारा करने के लिए देशभर

प्रभात कुमार नई दिल्ली। पारिवारिक विवादों में समय से निपटारा करने के लिए देशभर में स्थापित किए गए कुल 914 परिवार अदालतों में 12 लाख 55 हजार से अधिक मामले लंबित है। अदालतों में पारिवारिक विवाद कम होने के बजाए और बढ़ता जा रहा है। परिवार न्यायालय में मुकदमों का समय से निपटारा नहीं होने की वजह से न सिर्फ आपस में बल्कि भावनात्मक तनाव बढ़ता है, जिसकी वजह से विवाद का समुचित समाधान निकालने में बाधा आती है। इसका खुलासा, कानून मंत्रालय के एक दस्तावेज से हुआ है, जिसे हाल ही में संसद में पेश किया गया है। संसद में पेश अपने दस्तावेज में कानून मंत्रालय ने परिवार न्यायालयों में लंबित मुकदमों के त्वरित और समय से निपटारे के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा है।
इसमें, परिवार न्यायालयों में सुधार के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा और पर्याप्त प्रशिक्षण वाले विशेषज्ञ न्यायाधीशों को उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि परिवार न्यायालयों में निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने, पक्षपात को कम करने और सभी पक्षों, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए जजों, अदालत कर्मियों और हितधारकों को संवेदनशील बनाना, लिंग संवेदनशीलता प्रशिक्षण देने की वकालत की है। कानून मंत्रालय ने कहा है कि यदि परिवार न्यायालयों में महिला जजों और परामर्शदाताओं की नियुक्ति की जाती है तो इससे इसकी प्रभावशीलता में और वृद्धि हो सकती है। कानून मंत्रालय द्वारा संसद में रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालती फैसलों के बावजूद बच्चों की कस्टडी, मुलाकात के अधिकार और भरन पोषण/ वित्तीय सहायता जैसे निर्णय को लागू करना आज भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, जिससे निरंतर संघर्ष और हताशा होती है। इसके अलावा, कानून मंत्रालय के मुताबिक अदालत में पेश होने के लिए दूसरे शहर की यात्रा करने की आवश्यकता, परिवहन, खानपान की वजह से लोगों पर वित्तीय बोझ पड़ता है। इससे उन परिवारों पर तनाव बढ़ता है जो पहले से ही विवादों के कारण तनाव में हैं। यह देश में बढ़ रहे है पारिवारिक विवादों का बोझ कानून मंत्रालय ने अनुसार देश में कुल 914 परिवार अदालतों में 12 लाख 55 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। हर साल जितने मामले का निपटारा किया जाता है, उससे अधिक नये मामले दर्ज हो जाते हैं। इसकी वजह से मुकदमों का बोझ कम होने के बजाए और बढ़ता जा रहा है। देशभर में परिवार अदालतों में लंबित कुल मुकदमों का लगभग एक तिहाई मामले अकेले उत्तर प्रदेश में लंबित है। यूपी के 179 परिवार अदालत में 401991 मामले लंबित हैं। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 2023 में 825502 मामले दर्ज किए गए थे और इस साल 826889 मामले का निपटारा किया गया। जबकि 2023 की समाप्ति पर देशभर के सभी परिवार अदालतों में 1143915 मामले लंबित थे। इसी तरह 2024 में 939100 मामले दाखिल किए गए और 900301 का निपटारा किया गया। 2024 की समाप्ति पर देशभर में कुल लंबित मामलों की संख्या 12 लाख 48 हजार 542 रह गया। यानि 2023 की तुलना में अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में 1 लाख 4 हजार 600 से अधिक मामलों बढ़ोतरी हो गई। इसी तरह फरवरी, 2025 तक देशभर में 1 लाख 41 हजार 755 मामले दाखिल किए गए और 1 लाख 33 हजार 634 मामले का निपटारा किया है। फरवरी, 2025 तक देश भर के परिवार अदालत में लंबित मामलों की संख्या 12 लाख 55 हजार 251 है। इस हिसाब से 2024 की तुलना में फरवरी 2025 तक यानी महज 2 माह में ही परिवार अदालतों में 6700 से अधिक मामले बढ़ गए। आंकड़े प्रमुख राज्यों में कहां कितने परिवार अदालत और कितने मामले लंबित राज्य कुल अदालत मामले उत्तर प्रदेश 189 401991 बिहार 39 66821 झारखंड 30 15386 उत्तराखंड 27 16760 मध्य प्रदेश 64 66779 दिल्ली 30 52568 पश्चिम बंगाल 6 11346 हरियाणा 33 68819 महाराष्ट्र 51 66846 राजस्थान 50 77188 नोट: सभी आंकड़े कानून मंत्रालय के 28 फरवरी, 2025 तक के हैं।
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