रामपुर सीआरपीएफ मच्छरदानी घोटाला मामले में सुनवाई
गाजियाबाद में सीबीआई अदालत में मच्छरदानी घोटाले, नोएडा टेंडर घोटाले और झज्जर मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले की सुनवाई हुई। मच्छरदानी घोटाले में पूर्व डीआईजी और सप्लायर पर रिश्वत लेने का आरोप है। नोएडा...

गाजियाबाद। रामपुर के सीआरपीएफ कैंप में हुए मच्छरदानी घोटाले के मामले में मंगलवार को सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। गवाह जेए नकवी ने कोर्ट में उपस्थित होकर बयान दर्ज कराए। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 27 जून को तिथि तय की है। अदालत से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन डीआइजी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह और सहायक उप निरीक्षक चंद्रशेखर सिंह ने मच्छरदानी खरीद के बिल पास कराने के लिए रिश्वत ली थी। मच्छरदानी सप्लायर विजय खन्ना ने दो किश्तों में रिश्वत ली थी। सीबीआई ने रिश्वत लेने के आरोप में विजय खन्ना को आरोपी बनाया था। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई।
नोएडा टेंडर घोटाले में विवेचक से की गई जिरह नोएडा प्राधिकरण टेंडर घोटाले के मामले में मंगलवार को विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। विवेचक से बचाव पक्ष के वकील ने जिरह की। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 30 मई की तारीख तय की है। अदालत से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआइ ने 30 जुलाई 2015 को 1,000 करोड़ रुपए के टेंडर घोटाले में यादव सिंह सहित 11 लोग और तीन कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसके बाद तीन फरवरी 2016 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यादव सिंह, उसके बेटे सनी यादव और पत्नी कुसुमलता, पुत्रवधू श्रेष्ठा सिंह और दोनों बेटियों पर भी आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे दर्ज किए थे। यादव सिंह 2007 से 2012 तक नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर के पद पर रहे। उसने 29 निजी फर्मों को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर पास किए। मामले की सुनवाई विशेष सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन है। मंगलवार को विशेष सीबीआई कोर्ट में केस के विवेचक राजेश कुमार से बचाव पक्ष के वकीलों ने जिरह की। झज्जर मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में सुनवाई सीबीआई कोर्ट में मंगलवार को झज्जर मेडिकल कालेज रिश्वत मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान गवाह इकबाल लतीफ ने बयान दर्ज कराए। गए। मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 मई तय की गई है। अदालत से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा के झज्जर में वर्ल्ड कालेज आफ मेडिकल साइंस एवं रिसर्च हास्पिटल की सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता रद कर दी थी। कालेज प्रशासन के लोग मान्यता बहाल कराने के लिए अधिकारियों संपर्क कर रहे थे। इसके लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत दी जानी थी। सीबीआई ने अगस्त 2017 में विनोद कुमार, वैभव शर्मा और एक अन्य को 50 लाख रुपये रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने इस मामले में विनोद कुमार, वैभव शर्मा , नरेंद्र कुमार और कुंवर निशांत को आरोपी बनाया था। इस मामले की सुनवाई गाजियाबाद सीबीआई अदालत में चल रही है।
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