Maha kumbh 2025 prayagraj know Mahakumbh se pehle ki kahani skand puran rishi Shrap Mahakumbh 2025: लक्ष्मीहीन हो गई थी धरती, चारों तरफ मच गया था हाहाकार, जानें महाकुंभ से पहले की ये कहानी
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Mahakumbh 2025: लक्ष्मीहीन हो गई थी धरती, चारों तरफ मच गया था हाहाकार, जानें महाकुंभ से पहले की ये कहानी

महाकुंभ की कहानी आप सागर मंथन से जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्या हुआ था कि सागर मंथन किया और अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी, जहां आज महाकुंभ आयोजित किया जाता है।

Anuradha PandeyFri, 10 Jan 2025 12:50 PM
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देवताओं के दिए गए श्राप का कारण

महाकुंभ से समुद्र मंथन की कथा तो आप जानते होंगे, लेकिन क्या उन वजहों को जानते हैं, जिसकी वजह से समुद्र मंथन हुआ और महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इसके पीछे स्वर्ग से जुड़ी एक कहानी का वर्णन स्कंदपुराण में मिलता है। दरअसल समुंद्रमंथन जो किया गया था, वो मुनि द्वारा देवताओं को दिए गए श्राप का कारण था। स्वर्ग की राजधानी में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। सभी देवता ऐशो आराम में डूब गए थे।

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इंद्र देव भी अलसी और अभिमानी हो गए थे

इंद्र देव भी अलसी और अभिमानी हो गए थे। एक बार का युद्ध जीतने के बाद उनमें घमंड आ गया था। रात दिन वो सोमरस के नशे में चूर रहते थे। इसको देखकर सभी चिंतित थे कि कहीं भविष्य में कोई अनहोनी ना हो जाए।

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ऋृषि दुर्वासा से भगवान इंद्र को समझाने की बात कही

इंद्र का आलस और आमोद-प्रमोद इतना बढ़ गया था वो किसी ग्रह की बैठक में भी नहीं जाते थे, जिससे ग्रह असंतुलित हो रहे थे। इसके बाद सप्तऋर्षियों ने चिंता जताई और ऋृषि दुर्वासा से भगवान इंद्र को समझाने की बात कही।

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देवराज को समझाने के लिए दर्वासा ऋषि जब वहां पहुंचे तो

देवराज को समझाने के लिए दर्वासा ऋषि जब वहां पहुंचे तो स्वर्ग का माहौल बिल्कुल ही अलग था। सभी आमोद-प्रमोद में डूबे हुए थे। ऋृषि ने जब एक फूलों की माला इंद्र को उपहार स्वरूप दी, तो इंद्र ने ऐरावत पर वो माला डाल दी, ऐरावत ने माला को पैरों तले रौंद दिया।

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 ऋृषि दुर्वासा बहुत क्रोधित हो गए

अपने उपहार का ऐसा अनादर देख ऋृषि दुर्वासा बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने गुस्से में श्राप दिया कि तुम लोग लक्ष्मी हीन हो जाओगे, जिस जीत और धन, धान्य, ऐशवर्य का तुम घमंड कर रहे हो, वो कुछ नहीं तुम्हारे पास बचेगा।

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लक्ष्मी जी स्वर्ग से जाकर सागर में विलुप्त हो गई

ऋृषि के श्राप से लक्ष्मी जी स्वर्ग से जाकर सागर में विलुप्त हो गई, हर तरफ हाहाकार मच गया। मौके का फायदा उठाकर दानवों ने भी फिर मिलकर आक्रमण कर दिया। देवताओं और राजा इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ और भगवान विष्णु ने उन्हे एक रास्ता सुझाया।

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समुद्र मंथन कर अमृत कलश निकाला।

उन्होंने कहा कि समुद्र का मंथन करो, तब सभी देवताओं ने समुद्र मंथन कर अमृत कलश निकाला। अमृत कलश से कुछ बूंदे गिरकर धरती पर चार जगहों पर पड़ी, जहां पर कुंभ का आयोजन किया जाता है।