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Nagaur Pashu Mela 2024: नागौर में श्री रामदेव पशु मेले का शुभारंभ, जानिए क्यों है खास

राजस्थान के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक नागौर जिले का श्री रामदेव पशु मेले का आज से शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर अजमेर के संभागीय आयुक्त महेश चंद शर्मा ने ध्वजारोहण कर मेले की शुरुआत की।

Prem Narayan Meena लाइव हिंदुस्तान, जयपुरSun, 11 Feb 2024 12:55 PM
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Nagaur Pashu Mela 2024: नागौर में श्री रामदेव पशु मेले का शुभारंभ, जानिए क्यों है खास

राजस्थान के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक नागौर जिले का श्री रामदेव पशु मेले का आज से शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर अजमेर के संभागीय आयुक्त महेश चंद शर्मा ने ध्वजारोहण कर विधिवत रूप से मेले की शुरुआत की। इस दौरान कलक्टर डॉ अमित यादव, आईजी लता मनोज कुमार,  एसपी नारायण टोगस , सभापति मितु बोथरा, पूर्व सांसद डॉ ज्योति मिर्धा, पूर्व प्रधान ओम प्रकाश सैन, ADM अशोक कुमार योगी, जिला परिषद के सीईओ सुरेश कुमार सहित पशु पालन विभाग के अधिकारी और पशुपालक मौजूद रहे।

रामदेव पशु मेले की लोकप्रियता आज भी कायम 

इस मौके पर अजमेर डीसी महेशचंद शर्मा ने कहा कि नागौर के रामदेव पशु मेले की लोकप्रियता आज भी कायम है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि  इस मेले में भाग लेने वाले लोग और पशुपालक अभी से यहां पहुंचना शुरू हो चुके हैं। यह पशु मेला विश्व प्रसिद्ध नागौरी बैलों के लिए मशहूर है, मगर इस मेलें में बैलों के साथ ऊंट भी आते हैं। इस मेले में पशुओं के साथ अन्य कई प्रकार की दुकानें व कार्यक्रम भी होते हैं। इसकी लोकप्रियता के चलते हर साल यहां पर हजारों की तादात विदेशी सैलानी भी आते हैं। यह मेला पर्यटन की दृष्टि से भी नागौर जिले के लिए महत्वपूर्ण मेला हैं।

पशु मेले मे नागौरी नस्ल के बैल

वहीं जिला कलक्टर डॉ. अमित यादव ने कहा कि नागौर के विश्व प्रसिद्ध राज्य स्तरीय रामदेव पशु मेले में पशु परिवहन के लिए ट्रेन चलाने का आग्रह था, मगर स्वीकृति नही मिली। उन्होंने कहा कि पशु मेले मे नागौरी नस्ल के बैलों की मजबूत कदकाठी एवं कृषि कार्यों में उपयोगी होने के कारण पशु मेले में उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश सहित पश्चिम बंगाल तक के व्यापारी पशुओं की खरीद फरोख्त के लिए आते है। इस दौरान पशुपालकों और पशु व्यापारियो ने अपनी पीडा सभ्भागीय आयुक्त महेश चंद शर्मा और आईजी लता मनोज कुमार को बताते हुए कहा कि नागौरी नस्ल के बछड़ों के परिवहन पर रोक लगने के बाद वैध तरीके से बैलों को खरीदकर ले जाने वाले पशुपालकों को भी रास्ते में कई जगहो पर रोककर परेशान किया जाता है। इसलिए रास्ते के रूट परमिट सही हो और पशुपालकों को माकूल सुरक्षा मिले।

कृषि उपयोगी नागौरी नस्ल के बैलो को राजकीय संरक्षण देने की पहल जोधपुर रियासत के तत्कालीन नरेश उम्मेदसिंह ने की थी। उन्होंने नागौर शहर से सटे मानासर में श्री रामदेव पशु मेला भरने की शुरुआत 1940 में की थी। उस साल पड़े भीषण अकाल के कारण इसे ‘छिणम्या काळ’ कहा गया था। तब से यह मेला हर साल भरता आ रहा है, जिसमें हजारों मवेशियों की खरीद फरोख्त होती है। इस मेले में नागौरी नस्ल के बैलो की सबसे अधिक मांग होती है।