Issues Faced by Villagers at Panchayat Buildings Lack of Staff and Facilities पंचायत सहायकों की कमी बन रही काम में बाधक, Ambedkar-nagar Hindi News - Hindustan
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पंचायत सहायकों की कमी बन रही काम में बाधक

Ambedkar-nagar News - अम्बेडकरनगर में ग्रामीणों की सुविधा के लिए पंचायत भवन स्थापित किए गए हैं, लेकिन कई भवनों में पंचायत सहायकों और सचिवों की कमी है। नदारद स्टाफ और खराब सुविधाओं के कारण ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, अंबेडकर नगरFri, 30 May 2025 05:06 PM
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पंचायत सहायकों की कमी बन रही काम में बाधक

अम्बेडकरनगर। ग्रामीणों की सुविधा के लिए गांवों में संचालित पंचायत भवन ग्रामीणों की उम्मीद पर शतप्रतिशत खरा नहीं उतर रहे हैं। पंचायत सहायकों व सचिवों की मनमानी का खामियाजा आम जन को भुगतना पड़ रहा है। पंचायत भवनों में अक्सर पंचायत सहायक व सचिव नदारद रहते हैं। इतना ही नहीं सुविधाओं का अभाव व पंचायत भवनों की खराब हालत शासन की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। ज्यादातर पंचायत भवन में वाईफाई नहीं है। ऐसे में नेटवर्क समस्या सबसे अधिक बनी हुई है। दो दर्जन ऐसे पंचायत भवन हैं, जहां तक जाने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त है। इससे महिलाओं व बुजुर्गों को आवागमन में दिक्कत होती है।

पंचायत सहायकों व सचिवों की कमीं भी पंचायत भवन के बेहतर संचालन में बाधक बन रहे हैं। समुचित सुरक्षा के प्रबंध न होने से आए दिन पंचायत भवन में चोरियां होती रहती हैं। इससे भी पंचायत भवन के बेहतर संचालन में बाधा उत्पन्न होती है। समय समय पर जिम्मेदारों से शिकायतें होती हैं। जिले की 899 ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों की बेहतरी के लिए पंचायत भवन अर्थात मिनी सचिवालय की स्थापना है। हालांकि मौजूदा समय में 35 पंचायत भवन ऐसे हैं, जहां पंचायत सहायक की तैनाती ही नहीं है। इसके अलावा 14 पंचायत भवन ऐसे हैं जो या तो र्जर भवन में संचालित हैं या फिर किराए के भवन में। हालांकि इनके लिए नए भवन का निर्माण तेजी से चल रहा है। पंचायत भवन की स्थापना कर उसमें योजनाओं के बेहतर संचालन के लिए पंचायत सहायकों की तैनाती करने के साथ ही कम्प्यूटर, इंवर्टर आदि की व्यवस्था तो कर दी गई, लेकिन कम्प्यूटर के संचालन के लिए वाईफाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। ज्यादातर पंचायत भवन में वाईफाई की सुविधा नहीं है। ऐसे में पंचायत सहायकों को इसके लिए निजी व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसे में नेटवर्क समस्या के चलते कम्प्यूटर का संचालन बेहतर तरीके से नहीं होता है। इसके चलते ग्रामीणों को योजनाओं का समुचित लाभ भी नहीं मिल पाता है। और तो और मौजूदा समय में 864 पंचायत भवन में ही पंचायत सहायक की तैनाती है। ऐसे में 35 पद रिक्त चल रहे हैं। अब जहां पंचायत सहायक नहीं हैं, वहां योजनाओं का संचालन किस प्रकार से हो रहा है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इसके अलावा अक्सर कभी इन्वर्टर खराब रहता है, तो कभी कम्प्यूटर। इससे भी काम प्रभावित होता है। सामाजिक कार्यकर्ता अनंतराम वर्मा कहते हैं कि सिर्फ पंचायत भवन स्थापित करने से ही सब कुछ नहीं है। उनका समुचित तरीके से संचालन हो, इसके लिए जिम्मेदारों को ठोस कदम उठाना चाहिए। ग्रामीणों के हित को देखते हुए सभी ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक की तैनाती की जाए। साथ ही सचिव की संख्या भी बढ़ाई जाए। सभी पंचायत भवन को वाईफाई से लैस किया जाए। कभी सचिव नहीं, तो कभी पंचायत सहायक नदारद:ग्राम पंचायत में तैनात पंचायत सहायक व सचिव की मनमानी ग्रामीणों पर भारी पड़ रही है। कभी सचिव पंचायत भवन नहीं पहुंचते, तो कभी पंचायत सहायक ही नदारद रहते हैं। इसके अलावा विलंब से पहुंचना व समय से पहले ही पंचायत भवन छोड़ देना एक आम सी बात हो गई है। इसी का नतीजा है कि विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्र व योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए ग्रामीणों को चक्कर लगाना पड़ता है। क्षतिग्रस्त मार्ग के चलते पंचायत भवन का नहीं मिल रहा लाभ जिले में लगभग दो दर्जन पंचायत भवन ऐसे हैं, जहां तक जाने वाले मार्ग क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में गड्ढायुक्त मार्ग से होकर पंचायत भवन तक जाने में सबसे अधिक मुश्किल महिलाओं व बुजुर्गों को होती है। इसके चलते योजनाओं का लाभ लेने व प्रमाणपत्र के लिए ब्लॉक या फिर तहसील मुख्यालय तक का चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीणों को योजनाओं के बेहतर तरीके से लाभ दिलाने व कई प्रकार के प्रमाणपत्र के लिए इधर उधर की दौड़ न लगानी पड़े, इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में मिनी सचिवालय अर्थात पंचायत भवन स्थापित कर दिए गए हैं। दो दर्जन से अधिक ऐसे पंचायत भवन हैं, जहां तक जाने के लिए समुचित मार्ग ही नहीं है। बुरी तरह से क्षतिग्रस्त मार्ग के चलते पंचायत भवन तक पहुंचना ही ग्रामीणों को मुश्किल होती है। सबसे अधिक मुश्किल बारिश के मौसम में होती है। गड्ढों में पानी भर जाने व कीचड़ होने से लोग पंचायत भवन तक जाने से कतराते हैं। बोले जिम्मेदार- मिनी सचिवालय का संचालन सुचारु रूप से हो रहा है। जहां पंचायत सहायक नहीं हैं, वहां भी सचिव के माध्यम से पात्रों को योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। यदि कहीं से कोई शिकायत मिलती है, तो उसकी तत्काल जांच कराई जाती है। समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है। -अवनीश कुमार श्रीवास्तव, डीपीआरओ बोले लोग- जिले में पंचायत भवनों को उपयोगी बनाना प्रमाण पत्रों की उपलब्धता व कार्यों के लिए दौड़ना न पड़े। -अजय वाईफाई न होने से कार्य में अवरोध होता है। जन्म, आय व जाति प्रमाण पत्र प्राप्त के समस्या होती है। -राकेश योजनाओं की जानकारी मिलती है। भवनों को सुविधाओं से लैस करना होगा। -लालमणि पटेल पंचायत भवन तक पहुंच मार्ग ठीक नहीं है। लोगों को वहां तक पहुंचने में मुश्किल होती है। -दुर्गेश ग्रामीणों को योजनाओं का बेहतर ढंग से लाभ मिले, पंचायत सहायक तैनात किए जाएं। - पुन्नूलाल एक एक पंचायत सचिव पर कई कई ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में समय पर सभी काम पूरा नहीं हो पाते। -श्यामा देवी कुछ भवन जर्जर हैं, मरम्मत कराने की जरूरत है। बैठने से अनहोनी की आशंका बनी रहती है। -विमला पंचायत भवनों पर चोरों की हमेशा नजर बनी रहती है। आये दिन पंचायत भवनों में चोरी की घटनाएं सामने आती रहती हैं। -अमरावती पंचायत सहायकों के लेट लतीफी का खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ता है। -आशाराम जिम्मेदारों को समय समय पर पंचायत भवनों पर पहुंचकर कार्यों की समीक्षा करनी चाहिए। -हिमांशु जो ग्रामीण पंचायत भवन पर कार्य से पहुंचते हैं, उनके लिए पानी व मीठे की व्यवस्था होनी चाहिए। -केसरा देवी

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