बनारस की मशहूर पहलवान लस्सी और चाची की दुकान धराशाई, प्रशासन ने चलाया बुलडोजर
वाराणसी की मशहूर पहलवान लस्सी और चाची की सौ साल पुरानी दुकान जमींदोज कर दी गई। पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में प्रशासन ने बुलडोजर से दुकानों को ध्वस्त कर दिया। सड़क चौड़ीकरण के लिए यहां करीब दो दर्जन दुकानों को तोड़ा गया है।

वाराणसी की मशहूर पहलवान लस्सी और चाची की दुकान का अस्तित्व बुधवार को खत्म हो गया। प्रशासन ने बुलडोजर से दोनों दुकानों समेत करीब दो दर्जन दुकानों को जमींदोज कर दिया। बीएचयू-रवीन्द्रपुरी मार्ग को सिक्सलेन करने के लिए पीडब्ल्यूडी ने लंका स्थित रविदास गेट के आसपास और रामलीला मैदान स्थित अधिग्रहीत दुकानें तोड़ दीं। इससे पहले देर शाम से ही दुकानदारों ने दुकानें खाली करनी शुरू कर दी थीं। दुकानदारों को इसकी पूर्व सूचना दे दी गई थी।
दरअसल, लगभग 350 करोड़ से 9.512 किमी लम्बी लहरतारा से मंडुवाडीह, भिखारीपुर तिराहा, सुंदरपुर से बीएचयू तक फोरलेन और इससे आगे रवीन्द्रपुरी तक सिक्सलेन सड़क का निर्माण चल रहा है। लहरतारा से भिखारीपुर तक यह परियोजना 80 फीसदी से ज्यादा पूरी हो चुकी है। कुछ ही कार्य शेष हैं।
अब लोक निर्माण विभाग (प्रांतीय खंड) ने बीएचयू से रवीन्द्रपुरी तक सिक्सलेन का कार्य तेज कर दिया है। लंका चौराहे पर पेड़ काटे गए और रवीन्द्रपुरी में पुराने डिवाइडर तोड़कर दो मीटर चौड़े डिवाइडर बनाए गए। हरितिमा संवर्धन के लिए डिवाइडरों में पौधे रोपे जाएंगे। अब चौड़ीकरण के दायरे में आने वाली रविदास गेट के आसपास की दुकानें तोड़ी जा रही हैं।
एडीएम सिटी आलोक कुमार वर्मा के निर्देश पर मंगलवार रात लगभग 11 बजे पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता जितेन्द्र सिंह की अगुवाई में अवर अभियंता केके सिंह, पवन त्रिपाठी और हेमंत सिंह के साथ कार्यदाई संस्था के सीपीएम मोहन कौशिक पुलिसबल के साथ पहुंचे। अभियान के दौरान रविदास गेट से रवीन्द्रपुरी छोर और दुर्गाकुंड की ओर निर्धारित दायरे में आने वाली दुकानों को ध्वस्त किया गया। इस दौरान सुगम ट्रैफिक के लिए पुलिसकर्मियों ने कमान संभाली।
योगी, अमित शाह भी लस्सी का स्वाद ले चुके
पहलवान लस्सी की दुकान पर कई हस्तियां आ चुकी हैं। यहां की लस्सी का स्वाद सीएम योगी, गृहमंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी और अखिलेश यादव भी ले चुके हैं। कुल्हड़ में दही, मलाई-रबड़ी के कॉम्बिनेशन से लस्सी तैयार होती थी। इस स्वाद को चखने के लिए सिर्फ काशी के लोग ही नहीं, देशभर के लोग आते थे। बीएचयू से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान तक पहुंच गए लोग बनारस आने पर यहां जरूर आते थे।
इसी तरह चाची की दुकान पर कचौड़ी खाने के लिए रोज सुबह भीड़ लगती है। वाराणसी की 108 साल पुरानी दुकान पर पहले चाची ही बैठती थी। हींग-दाल की डबल लेयर कचौड़ी के साथ सीताफल वाली सब्जी और मटका जलेबी भी दोने-पत्तल में परोसी जाती थी। चाची की गालियां भी खूब मशहूर थीं।