Challenges Faced by Bareilly s Petha Sweet Industry Due to Illegal Factories बोले बरेली: मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं पेठा कारोबारी, Bareily Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsBareily NewsChallenges Faced by Bareilly s Petha Sweet Industry Due to Illegal Factories

बोले बरेली: मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं पेठा कारोबारी

Bareily News - बरेली के पेठा मिठाई उद्योग को अवैध कारखानों के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पंजीकृत कारखाने बंद होने के कगार पर हैं, जबकि अवैध कारखाने कम कीमत पर मिठाई बेच रहे हैं, जिससे पंजीकृत...

Newswrap हिन्दुस्तान, बरेलीWed, 9 April 2025 02:50 AM
share Share
Follow Us on
बोले बरेली: मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं पेठा कारोबारी

बरेली के पेठा मिठाई की मिठास उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड और देश के कई राज्यों तक पहुंचती है। बरेली में पेठा का बड़ा कारोबार है। किला क्षेत्र में इसे बनाने के दर्जनों पंजीकृत कारखाने हैं, जो सरकार के निर्धारित मानक को पूरा करते हैं। हालांकि जिले में गैर पंजीकृत और अवैध कारखाने भी काफी संचालित हैं, जो पंजीकृत कारोबारयिों के सामने चुनौती बन गए हैं। पेठा कारोबार लड़खाने लगा है। पंजीकृत कारखाने बंदी की कगार पर है। पेठा कारोबारी शासन-प्रशासन से अवैध कारखानों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही सरकार से सब्सिडी चाहते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। बरेली का पेठा यूपी ही नहीं उत्तराखंड और दूसरे कई राज्यों में तक जाता है। जैसे आगरा के पेठा की मिठाई प्रसिद्ध है। वैसे ही अब बरेली का पेठा भी दूसरे राज्यों तक प्रसिद्ध है। लोग ऑडर देकर मंगवाते हैं। पेठा के रसगुल्ले, बर्फी, स्वीट पान, रोल भी बनते हैं। पेठा की मिठाई को शुद्ध माना जाता है। इसलिए लोग उसे व्रत में भी खाते हैं। अलखनाथ मंदिर से गढ़ी चौकी की ओर जाने वाले रास्ते को पेठा गली के नाम से जाना जाता है। कई दर्जन यहां पेठे की मिठाई बनाने वाले पंजीकृत कारखाने हैं। बड़ी संख्या में कारीगर काम करते हैं। बरेली में पेठा की खेती भी बड़े क्षेत्र में होती है। बरेली की मंडी से कच्चा पेठा कई राज्यों में सप्लाई किया जाता है। पेठे की खेती करने वाले कई किसान भी अब पेठा मिठाई के कारोबारी बन गए हैं। पेठा कारोबार पर सबसे बड़ा संकट अवैध कारखानों का है। शहर से लेकर देहात तक अवैध कारखाने हैं। झोपड़ियों में अवैध रूप से कारखाना संचालित हैं। प्रदूषण फैलाते हैं। साफ-सफाई को ध्यान नहीं रखते। जो कारखाने पंजीकृत हैं। वे कोयला से भट्टियां चलाते हैं। मानक पूरे करते हैं, जिससे लागत अधिक आती है। गांव देहात वाले कम दामों में पेठा की मिठाई सप्लाई करके रोजगार को फीका करने में लगे हैं। यही वजह है, गढ़ी चौकी क्षेत्र में अब काफी कम लोग ही पेठा की मिठाई बनाते हैं। बाकी लोग दूसरे कारोबार की ओर बढ़ रहे हैं।

पुराने जूता चप्पल,टायर से जलाकर भट्टी चलाते

पेठा कारोबारियों ने बताया, पेठा बनाने में लागत में असमानता आ रही है। जो लोग मानक के अनुसार काम करते हैं। वो कोयला से भट्टी चलाते हैं। 1800 रुपए कुंतल कोयला आता है। जबकि कई क्षेत्रों में लोग गन्ने की खोई और पुराने जूते चप्पले, प्लास्टिक, टायर का प्रयोग करके भट्टियों में जलाते हैं। जिसमें उनकी लागत भी कम आती हैं। हम लोग थोक में 72 रुपए और फुटकर में 90 रुपए किलो तक पेठे की मिठाई बेचते हैं। अवैध कारखाना चलाने वाले 60 रुपए किलो थोक और फुटकर 70 रुपये किलो बेचते हैं। इस तरह से पेठे की मिठाई के भाव में असमानता के चलते कारोबार बंद होता जा रहा है।

पेठा के अवैध कारखाने हो बंद

पेठा कारोबारियों ने कहा कि कर्मचारीनगर,साहाबाद,सीबीगंज, पुराना शहर, नरियावल, मोहनपुर ठिरिया, फतेहगंज पश्चिमी, फरीदपुर में सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से पेठा की मिठाई बनाने के कारखाने चल रहे हैं। वहां एफएसडीए की टीम भी नहीं जाती है। न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम पहुंचती है। 95 फीसदी अवैध रूप से कारखाना चल रहे हैं। 24-24 घंटा भट्टियां जलती हैं। प्लास्टिक, जूता-चप्पल और गन्ने की खोई जलाकर बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं।

पेठा मिठाई के सीजनल कारोबारी

कुछ ऐसे लोग हैं, जो गांव देहात में होली-दिवाली जैसे बड़े त्योहार से पहले कारखाना चलाने को तंबू लगा लेते हैं। तीन चार बड़ी कढ़ाई लगाकर भट्टियां शुरू करके पेठा की मिठाई बनाने लगते हैं। एक धंधा सिर्फ सीजनल होता है। एक से डेढ़ महीने को त्योहार पर मिठाई बेचने को चलाते हैं। पेठा कारोबारियों के मुताबिक सस्ती के चक्कर में आसपास के लोग अवैध कारखानों में बनी मिठाई खरीद लेते हैं। लोगों को 10 से 15 रुपये सस्ती मिठाई मिल जाती है। इससे बरेली के पेठा कारोबारों पर बड़ी असर पड़ता है।

शिकायतें:

- सैकड़ों की संख्या में अवैध रूप से पेठा मिठाई के कारखाने चल रहे हैं।

- प्लास्टिक और पुराने जूता-चप्पल जलाकर भट्टियां चलाई हैं

- मानकों से अधिक धुआं फैलाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

- कुछ मुनाफा को खराब सड़े-गले पेठा की मिठाई बनाकर बेचते हैं।

- पेठा से निकलने वाले कचड़ा के निस्तारण की नगर निगम व्यवस्था कराए।

- पेठा कारोबारियों को सरकार से कोई सुविधा नहीं मिलती है।

- सबसे वड़ी समस्या दिवाली के समय आती है। तमाम मिठाई के कारखाने खुल जाते हैं।

सुझाव:

- पेठा मिठाई कारोबारियों को सरकार की ओर से सब्सिडी की सुविधा मिलनी चाहिए।

- अवैध रूप से खुले में चल रहे पेठा मिठाई के कारखानों पर प्रतिबंध लगे।

- जो लोग मिठाई बनाने को पुराने जूता-चप्पल भट्टियों में जलाते हैं, उन पर कार्रवाई हो।

- नगर निगम की ओर से पेठा से निकले कचड़ा निस्तारण को व्यवस्था करानी चाहिए।

- कारखाना तक डोर टू डोर एजेंसी कूड़ा उठाने पहुंचती है, पेठा का कचड़ा नहीं उठाती।

- अवैध से खुले में झापड़ियों में पेठा मिठाई के कारखाने चल रहे हैं, उन्हें बंद कराया जाए

- बिना लाइसेंस के कारोबार करने वालों की जांच करके सख्त कार्रवाई हो।

अब मेरी भी सुनिए:

पेठा मिठाई का कारखाना एक छोटा व्यवसाय है। सरकार एवं उद्योग विभाग को पेठा व्यवसाय को पंख लगाने को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए। जिसमें सब्सिडी का प्रावधान हो। -चंद्र प्रकाश गुप्ता पेठा कारोबारी एवं पार्षद

सबसे पहले तो प्रशासन अवैध रूप से पेठा मिठाई बनाने वालों पर कार्रवाई करे, जो अवैध रूप से कारखाना चलाते हैं। उन कारखानों की जांच करके बंदी की कार्रवाई होनी चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रमाण पत्र अनिवार्य हो। - मुकेश

जहां पेठा की खेती होती है, वहीं किसानों ने झोपड़ियां डालकर पेठा की मिठाई बनानी शुरू कर दी है। कम दामों में बेचते हैं। न ही कोई शुद्धता है। ऐसे पेठा के कारखानों के खिलाफ कार्रवाई हो। जिससे जो नियमानुसार कारखाने चलाते हैं, उनके व्यवसाय को गति मिले। - निशांत गुप्ता

पहले गढ़ी और शाहबाद क्षेत्र में पेठा के कारखाने थे। अब तो 100 की संख्या में पूरे शहर में पेठा के कारखाने हैं। तमाम ऐसे कारखाना है, जहां जूता-चप्पल के ढेर देखे जा सकते हैं। उनसे ही पेठा बनता है। ऐसे कारखानों पर कार्रवाई होनी चाहिए। - रामगोपाल

पेठा कारोबारी की बरेली से पहचान है। प्रदेश सरकार को ऐसे कारोबारियों के लिए उत्थान को कोई योजना शुरू करनी चाहिए। आर्थिक सहायता दी जाए। सब्सिड़ी पर इलेक्ट्रिक भट्टियां दी जाएं। - आरुष गुप्ता

सबसे बड़ी समस्या पेठा से निकलने वाले कचरा निस्तारण को लेकर होती है। पहले किला नदी में कारोबारी कचरा डाल देते थे। अब वहां प्रतिबंध लगा दिया गया। निगम को उस कचरे के निस्तारण की व्यवस्था करानी चाहिए। - अमर सक्सेना

बरेली में कच्चे पेठा की मड़ी भी है। नरियावल में सबसे अधिक पेठा की खेती होती है। यहां से दूसरे राज्यों भी पेठा जाता है। सरकार बरेली के पेठा मिठाई कारखाना चलाने वालों को रियायती दरों में पेठा दिलवाये। जिससे लागत कम आएगी। - मुनीष मौर्य

गुणवत्ता युक्त पेठा की मिठाई बनाने वाले कारोबारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अवैध रूप से कारखाना चलाने वाले बन गये हैं। हम लोग दागी, सड़ा पेठा निकालकर बनाते हैं। एक कुंतल में 10 से 15 किलो खराब पेठा निकलता है। मुनाफा 5 से 10 रुपए किलो पर होता है। - चंद्रपाल सिंह

पहले हम लोग रेलवे लाइन की दीवार से पेठा रखवा देते थे। नगर निगम ने उसे हटवा दिया। कमरों में पेठा के कारखाने हैं। कच्चा पेठा रखने की जगह नहीं है। भट्टी चलाने को जगह कम पड़ती है। इसलिए अब जगह के अभाव में तमाम कारखाने बंद होने की करगार पर है। -भगवान दास

अवैध रूप से पेठा चलाने वालों ने कारोबार का पलीता लगा दिया है। हम लोग शुद्ध पेठा 100 रुपए किलो बेचते हैं। अवैध कारोबार करने वाले सड़ा-गला पेठा सब बनाकर 60 से 65 रुपए में पैक करके बेच देते हैं। इसलिए हम लोगों के व्यवसाय पर असर पड़ा है। - उमेश चंद्र

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।