यूपी के इस शहर में बढ़ाई गई पार्षद निधि, महापौर और नगर आयुक्त की निधि में हुई कटौती
- यूपी की राजधानी लखनऊ में वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट पर चर्चा और सहमति बनाने के लिए बुलाई गई कार्यकारिणी की बैठक के शुरू होते पार्षद निधि बढ़ाने की मांग उठी।

यूपी की राजधानी लखनऊ में वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट पर चर्चा और सहमति बनाने के लिए बुलाई गई कार्यकारिणी की बैठक के शुरू होते पार्षद निधि बढ़ाने की मांग उठी। लगभग 45 मिनट के बहस के बाद निधि को 1.5 करोड़ रूपये से बढ़ा कर 2.10 करोड़ रूपये किए जाने पर सहमति बन गई। महापौर और नगर आयुक्त की निधि में कटौती की गई। कार्यकारिणी सदस्य भाजपा के भृगु नाथ शुक्ला ने पार्षद निधि 2.5 करोड़ + जीएसटी की मांग रखी। इस मुद्दे पर अन्य पार्षदों ने भी उनका समर्थन किया।
सभी पार्षदों ने कहा कि नगर निगम के विस्तार से उनके वार्डों की सीमा भी बढ़ी है। ऐसे में पार्षद निधि 2.5+जीएसटी ही रखा जाए। भले इसके लिए सफाई के मद में कटौती कर दी जाए। नगर आयुक्त ने 2 करोड़ + जीएसटी करने की बात कही। पर पार्षद सहमत नहीं हुए। लम्बे बहस के बाद पार्षद निधि को 2.10 करोड़ रूपये + जीएसटी किए जाने पर सहमति बन गई। साथ ही महापौर और नगर आयुक्त की निधि में 10-10 करोड़ रूपये की कटौती की गई। महापौर की निधि 35 और नगर आयुक्त की निधि अभी 29 करोड़ थी।
पार्षदों ने बैठक का किया था बहिष्कार
बतादें कि लखनऊ नगर निगम के प्रस्तावित बजट पर सहमति बनाने के लिए महापौर की अध्यक्षता में 10 मार्च को आयोजित कार्यकारिणी की बैठक में कार्यकारिणी समिति के कुल 12 में से 10 सदस्यों ने बहिष्कार कर दिया था। इसमें 8 सदस्य भाजपा के थे। बहिष्कार करने वाले सदस्यों ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि शहर की सफाई के लिए बजट तीन गुना बढ़ा दिया गया। ऐसा निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। जबकि, शहर के विकास के लिए बजट नहीं बढ़ाया गया।