बोले एटा: जलेसर को 16 साल से मुंसिफ कोर्ट का इंतजार
Etah News - जलेसर के लोग पिछले 16 वर्षों से मुंसिफ कोर्ट की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एटा के न्यायालय में 45 किमी की दूरी तय कर वाद की पैरवी करनी पड़ती है। 2009 में स्वीकृति मिलने के बावजूद भी कोर्ट नहीं...
पिछले 16 वर्ष से जलेसर के लोग मुंसिफ कोर्ट के लिए आंदोलन कर रहे हैं। मजबूरी में यहां के लोगों को 45 किमी की दूरी तय कर वाद की पैरवी करने के लिए जाना होता है। सरकार की ओर से निर्देश होने के बाद भी जलेसर के लोगों को मुंसिफ कोर्ट नसीब नहीं हो सका। राजनीतिक पहल से लेकर अधिवक्ताओं तक की पैरवी के बाद हालात जस के तस हैं। चुनावों में भी यह मुद्दा बन चुका है, लेकिन इसके बाद भी कोई निर्णय नहीं हो सका। बोले एटा के तहत अधिवक्ताओं से हिन्दुस्तान की टीम ने वार्ता की तो उन्होंने अपनी पीड़ा खुलकर बताई।
र्ष 2009 में जलेसर के लिए मुंसिफ न्यायालय की स्वीकृति मिली थी। न्यायालय मिलने के बाद तहसील क्षेत्र के लोगों में खुशी थी कि अब वादों की पैरवी के लिए जिला मुख्यालय नहीं जाना होगा। यह स्वीकृति सिर्फ कागजों में ही आदेश बनकर रह गई। यहां के लोगों को यह खुशी हाथ नहीं लग सकी। इस बाबत तहसील बार एसोसिएशन भी अनेकों बार धरना प्रदर्शन किए जा चुके है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात कर अधिवक्तागण मुंसिफी का संचालन एटा की जगह जलेसर में कराये जाने को लेकर गुहार भी लगा चुके हैं। साथ ही कई बार उच्च न्यायालय और न्याय विभाग में भी प्रयास कर चुके है। जलेसर के लोग आज भी अपनी मांग पूरी करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। वर्ष 2016 में जलेसर तहसील बार एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल उच्च न्यायालय प्रयागराज के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश से मिला था। अधिवक्ताओं ने उनके समक्ष जलेसर में मुंसिफी का संचालन कराये जाने का निवेदन किया था। सभी जनप्रतिनिधियों द्वारा एटा बार एसोसिएशन के कहने पर जलेसर मुन्सिफ़ कोर्ट का संचालन एटा की बजाय जलेसर करा दिया गया था। 1982 से शुरू हुआ था मुंसिफी के लिए आन्दोलन:तहसील मुख्यालय में मुंसिफी की स्थापना के लिए वर्ष 1982 में तत्कालीन तहसील बार एसोसिएशन की ओर से आन्दोलन शुरू हुए थे। अधिवक्ताओं ने बड़े ही जोश के साथ आन्दोलन में प्रतिभाग किया गया था। कई दिनों तक वकीलों द्वारा न्यायिक कार्यो का भी बहिष्कार कर दिया गया था। तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक की पहल पर जनपद न्यायालय से उत्तर प्रदेश शासन एवं उच्च न्यायालय के लिए पत्र भी भिजवाये गये थे। न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासनों पर अधिवक्ताओं धरना प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया था। लगभग ढाई दशक से अधिक समय तक लड़ी गयी लड़ाई के बाद शासन की ओर से मुंसिफ कोर्ट स्वीकृत किया गया था। इस जीत को लेकर अधिवक्ताओं में काफी उत्साह भी था। मुंसिफी को एटा से जलेसर लाने के लिए नौ वर्षो से निरन्तर संघर्ष चल रहा है। -विष्णुगोपाल दीक्षित, वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व बार अध्यक्ष वर्ष 2016 में अधिवक्ताओं के एक प्रतिनिधि मंडल की ओर से उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मिल जलेसर मुंसिफ कोर्ट का संचालन एटा की जगह जलेसर में संचालित कराये जाने की मांग गई थी। स्वीकृति के बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिल सका। -विनोद उपाध्याय, पूर्व अध्यक्ष तहसील बार एसोसिएशन अपने कार्यकाल में उन्होंने काफी प्रयास किया था। तहसील बार की ओर से न्यायिक कार्यो के बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन भी किया था। इस संदर्भ में क्षेत्रीय विधायक एवं सांसद से भी कहा गया, लेकिन स्थिति अभी भी जस के तस बनी हुई है। चुनाव के समय में ही सिर्फ मुद्दा बनकर रह जाता है। -विजय कुमार सिंह, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन क्षेत्रीय सांसद एवं केन्द्रीय विधि एवं कानून राज्य मंत्री रहे प्रो. एसपी सिंह बघेल के समक्ष भी यह समस्या रखी गयी थी। मगर अभी तक स्थिति जस के तस बनी हुई है। लगातार जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया जा रहा है। अभी यह काम नहीं हो सका। रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग एटा पैरवी करने के लिए जाते है। -सुदीप पाठक, अधिवक्ता विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों के अलावा बड़े बड़े नेता मुख्यमंत्री तक यहाँ आते हैं। अधिवक्ताओं की ओर से उन्हें मंचों पर ज्ञापनपत्र भी दिये जाते हैं। यहाँ से जाने के बाद जहाँ बड़े बड़े नेता भूल जाते हैं वही जीतने के बाद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी कुछ याद नहीं रहता है। -लायक सिंह यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता तहसील मुख्यालय जलेसर से जनपद मुख्यालय एटा की दूरी लगभग 45 किमी है। जबकि जलेसर से 15-20 किमी अंदर दूरदराज क्षेत्र से वादकारियों को मुन्सिफ़ कोर्ट में सुनवाई के लिए एटा जाना पड़ता है। पूरा दिन एटा जाकर तारीख करने में ही निकल जाता है। सुबह की कोर्ट होने पर बहुत परेशानी होती है। -पुरुषोत्तम यादव अपने अध्यक्षीय काल मे काफी प्रयास किये गये। शासन एवं उच्च न्यायालय के साथ साथ जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर एटा में संचालित मुंसिफी को जलेसर में ही संचालित कराये जाने का अनुरोध किया गया था। सरकार से मांग है कि न्यायालय एटा में शिफ्ट किया जाए।-रामदेव सिंह यादव, अधिवक्ता जब तहसील परिसर में मुंसिफी के लिए बिल्डिंग मौजूद है। जलेसर क्षेत्र के लोगों के हित में इस कोर्ट का संचालन एटा की जगह जलेसर में शुरू करा देना चाहिए, ताकि लोगों को सुलभता के न्याय मिल सके। क्षेत्रीय लोगों को बहुत परेशानी होती है। अगर यहां पर संचालन हो तो समय और पैसे ही काफी बचत होगी। -सुरेन्द्र देव पाठक, अधिवक्ता जलेसर में मुंसिफी के संचालन के लिए अधिवक्ताओं की ओर से हर वर्ष धरना प्रदर्शन आदि आन्दोलन किये जाते रहते हैं। जब भी कोई बड़ा अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि आता है तो उसे ज्ञापन दिया जाता है। इससे सरकार जलेसर क्षेत्र के वादकारियों के लिए मुंसिफी की समस्या बहुत बड़ी है। क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को वाद सुनवाई के लिए प्रतिदिन जनपद मुख्यालय जाना पड़ता है। जहां लोगों का समय के साथ-साथ अधिक पैसा की भी बर्बाद होती है। डग्गामार वाहनों के सहारे ही यहां से आना जाना पड़ता है। -रमेश पाल सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।