बोले फर्रुखाबाद:संरक्षित करा कर अस्तित्व बचाएं
Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद का गंगा तट प्राचीन स्थलों और पौराणिक घटनाओं का गवाह रहा है। यहां ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की आवश्यकता है। कई स्मारक संरक्षित हैं पर उनकी देखभाल नहीं हो रही है। इतिहासकारों का कहना है कि...

पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित फर्रुखाबाद प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण स्थलों और घटनाओं का साक्षी रहा है। काम्पिल्य, संकिसा, श्रंगीरामपुर और फतेहगढ़ नगरों में इसके साक्ष्य मिलते हैं। गंगा का तट अपनी विविधताओं की वजह से लोगों को आकर्षित कर रहा है। पौराणिक ग्रंथों में भी फर्रुखाबाद के गौरवशाली अतीत को रेखांकित किया गया है। अनदेखी और उचित महत्व न मिल पाने से भावी पीढ़ी को गौरवशाली इतिहास के बारे मेें सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी कभी पांचाल प्रदेश की राजधानी भी रहा था। इसके कंपिल में पौराणिक साक्ष्य भी अभी तक हैं।
पौराणिक नगरी में ऐतिहासिक धरोहरें संरक्षित करने की बहुत बड़ी जरूरत है। इसके साथ ही अपने यहां के जो प्राचीन टीले-मकबरे और चर्च हैं इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में पांचाल शोध एवं विकास समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सोमवंशी कहते हैं कि बिडंबना है कि संरक्षित स्मारकों को सूचीबद्ध कर दिया गया है मगर उनके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अपने जनपद में कई ऐसे स्थान हैं जो कि धार्मिक, पौराणिक, ऋषियों की तपोभूमि रहे हैं। इनको संरक्षित कर महत्वपूर्ण स्थान के रूप में स्थापित किया जा सकता है। इतिहासकार डॉ.रामकृष्ण राजपूत कहते हैं कि अपने यहां की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। स्वतंत्रता संग्राम के कई युद्ध स्थल, शहादत स्थल और धार्मिक केंद्र हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि अपने जिले में पर्यटन की दिशा में बेहतर काम करने की जरूरत है। जरा से प्रयास से यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं होंगी और जिले के विकास को भी बल मिलेगा। उनका कहना है कि जो स्मारक संरक्षित हैं उन पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। नवाब मोहम्मद काजिम हुसैन कहते हैं कि इस शहर को बसाने वाले नवाब मोहम्मद बगश खां का मकबरा भले ही संरक्षित स्मारकों की सूची में है पर इसके रखरखाव पर किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे बड़ा कष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को प्राचीन धरोहरों के बारे में समय समय पर जानकारी कराए जाने की आवश्यकता है। सुरेंद्र पांडेय कहते हैं कि पखना, पिलखना और कई स्थानों पर जो प्राचीन टीले हैं उन पर ध्यान दिया जाए। यहां पर बराबर निगरानी रखी जाए। जनपद में वैसे तो जगह जगह ऐतिहासिक धरोहरे हैं। मगर पुरातत्व विभाग की संरक्षित सूची में सिर्फ 16 स्मारक ही हैं। इसमें आल सोल्स मेमोरियल चर्च फतेहगढ़, ब्रिटिश इन्फेंट्री लाइंस, सर जाॅन थामस हेमिल्टन, क्वीन विटोरिया मेमोरियल फतेहगढ़, ऐतिहासिक टीला कंपिल, मेजर रोवर्सन का मकबरा कड़हर, पखना बिहार और पिलखना का टीला, नवाब रशीद खां का मकबरा, ऐतिहासिक टीला संकिसा, कंदायत ताल संकिसा, मोहम्मद खां बगश का किला प्रमुख है। लोगों का कहना है कि इनमें कई प्राचीन इमारतों के संरक्षण पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इनकी दशा बिगड़ रही है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।