बोले फिरोजाबाद: जिम्मेदारी की बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं श्रमिक परिवार की बेटियां
Firozabad News - फिरोजाबाद में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद परिवारों तक नहीं पहुंच पा रहा है। चूड़ी के काम में लगी महिलाओं को आयुष्मान कार्ड और शिक्षा की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जागरूकता की कमी...

फिरोजाबाद। सरकार जनता के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। मंशा हर जरूरतमंद तक लाभ पहुंचाने की है, लेकिन कहीं पर कागजी औपचारिकताओं में फंसकर जरूरतमंद तक यह नहीं पहुंच पा रही हैं तो कहीं पर दफ्तरों की बाबूशाही के मकड़जाल में उलझी हैं तो सबसे बड़ी दिक्कत है फिरोजाबाद के कई परिवारों में जागरूकता का अभाव। श्रमिक बस्तियों के रूप में जाने वाले मोहल्लों में दिन रात चूड़ी के काम में लगी रहने वाली महिलाओं को कई योजनाओं की जानकारी नहीं तो कई बार सरकारी दफ्तरों में इतने चक्कर लगवाए जाते हैं कि महिलाएं थक जाती हैं। इधर एक दिन सरकारी दफ्तर जाने का सीधा सा अर्थ होता है घर पर एक दिन के काम का बंद होना, जो परिवार का बजट बिगाड़ देता है।
इस स्थिति में जरूरी है कि सरकारी योजनाओं का लाभ कैंप के रूप में इन तक पहुंचे। हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत प्रकाश नगर एवं रानी नगर में चूड़ी जुड़ाई के काम में जुटी महिलाओं से संवाद किया तो सबसे बड़ी समस्या यहां दिखाई दी आयुष्मान कार्ड की। कई महिलाएं अपना इलाज नहीं करा पा रही हैं तो कार्ड न होने पर मात्र कुछ सौ रुपये कमाकर परिवार चलाने वाली महिलाएं कर्ज में फंस रही हैं। इधर सबसे बड़ी समस्या है कि इन परिवारों के बच्चों के समक्ष शिक्षा की जरूरतें। महिलाओं का कहना है कि मेहनताना बढ़ नहीं रहा है, लेकिन शिक्षा हर साल महंगी होती जा रही है। कभी विवि पंजीकरण शुल्क बढ़ा देता है तो कभी अन्य फीस के नाम पर खर्चे। अब इस स्थिति में बच्चों को बेहतर शिक्षा कैसे दिलाएं। महिलाएं कहती हैं कि सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ.... पर जोर देती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सरकार बेटियों के लिए फीस में भी रियायत देने की घोषणा करे। आखिर श्रमिक परिवारों में जहां दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल हो जाता है। इलाज के लिए धन की जरूरत होने पर दूसरों पर निर्भर रहना होता है तो वहां पर बेटियों की उच्च शिक्षा के इंतजाम कैसे करें। यही वजह है कि इन क्षेत्रों में कई बेटियां हाईस्कूल या इंटर के बाद पढ़ाई नहीं कर पाती हैं। महिलाओं का कहना है कि कम से कम चूड़ी श्रमिक परिवारों के बच्चों के लिए सरकार को कुछ राहत देनी चाहिए। महिलाएं कहती हैं कि वह भी चाहती हैं कि बेटियां आगे बढ़ कर पढ़ाई करें, लेकिन महंगी होती शिक्षा के कारण बेटियों की शिक्षा को भी बंदिशों की बेड़ियों में जकड़ना पड़ता है तथा बेटियों के हाथ में उनकी ही पढ़ाई का खर्च निकालने की खातिर चूड़ी पकड़ानी पड़ने को मजबूर हैं। इनकी भी सुनो रानी नगर एवं आसपास के इलाकों में अधिकांश परिवार चूड़ी के काम से जुड़े हैं। महिलाएं घर पर चूड़ी का काम करती हैं तो बच्चे भी इन कामों से जुड़े हुए हैं। इन परिवारों की कई महिलाएं अपने इलाज के लिए परेशान है। किसी का छोटा-मोटा ऑपरेशन होना है, लेकिन आयुष्मान कार्ड नहीं है। इस स्थिति में इनके द्वारा चक्कर भी लगाए जाते हैं तो कभी कागजी औपचारिकताएं बाधा पहुंच जाती हैं तो कई बार सूची में नाम नहीं होता है, जबकि इनमें से कई पात्रता की शर्तों को पूरा करते हैं। यहां पर शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ इन तक पहुंचाने के लिए इन बस्तियों में कैंप भी लगाए जाने चाहिए। -नीलम, मोबलाइजर इन क्षेत्रों की महिलाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है। जबकि यहां पर हर परिवार में चूड़ी का कार्य होता है तो श्रमिक परिवारों के बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए कम से कम यहां पर कैंप लगाकर महिलाओं को जागरूक करना चाहिए। -सुनीता चूड़ी जुड़ाई श्रमिक परिवारों के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा की जरूरत है। दिन भर चूड़ी की जुड़ाई करने के बाद में किसी तरह परिवार कुछ सौ रुपये ही कमाते हैं। यहां पर आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं हैं, एक आंगनबाड़ी केंद्र होना चाहिए। -किरन देवी कई महिलाएं ऐसी हैं, जिनके पति नहीं हैं। उनमें से कुछ को पेंशन तो मिल रही है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए चल रही सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आयुष्मान कार्ड भी नहीं है। इससे इन्हें इलाज में भी असुविधा भी होती है। -बेबी चूड़ी की झलाई का कार्य कर परिवार का पालन कर रहे हैं। इन परिवारों को विशेष सुविधाओं की तरफ ध्यान देना चाहिए, ताकि इन परिवारों के बच्चे भी बेहतर शिक्षा ग्रहण कर सकें। परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सकें। -सीता देवी हमारे मोहल्ले में भी सड़क नहीं बनी है। सड़कों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। यह क्षेत्र की बड़ी समस्या है। इससे बुजुर्गवारों के साथ में बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कम से कम सड़क का निर्माण तो होना चाहिए। -अशोक देवी हमारे मोहल्ले में भी सड़क नहीं बनी है। सड़कों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। यह क्षेत्र की बड़ी समस्या है। इससे बुजुर्गवारों के साथ में बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कम से कम सड़क का निर्माण तो होना चाहिए। -अशोक देवी हमारी गली में चलने में मुश्किल होती है। निगम द्वारा सड़क का निर्माण नहीं कराया जा रहा है। बिजली की भी व्यवस्था खराब है। विद्युत सप्लाई पूरी तरह से नहीं मिल पाती है। कम से कम विद्युतापूर्ति एवं सड़क व्यवस्थाएं यहां पर होनी चाहिए। -संजू देवी हमारे राशन कार्ड में सात लोगों के नाम हैं, लेकिन आयुष्मान कार्ड नहीं बना है। अस्पताल एवं अन्य स्थानों पर जाते हैं तो वहां पर कहा जाता है कि सूची में नाम नहीं है। कम से कम जरूरतमंद परिवारों के तो आयुष्मान कार्ड बनवाने चाहिए। -दीपमाला यहां पर अधिकांश परिवार चूड़ी के ही काम से जुड़े हैं, लकिन आयुष्मान कार्ड सहित अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकारी अधिकारियों को कम से कम क्षेत्र में कैंप लगाकर विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाना चाहिए। -शीला हमारी गली खराब है, नगर निगम द्वारा इसका निर्माण नहीं कराया जा रहा है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। श्रमिक बस्तियों की तरफ तो निगम का ध्यान नहीं है। इन मोहल्लों में सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं पहुंच रहा है। -विनीता सरकार की योजनाओं से निर्धन लोगों को वंचित किया जा रहा है। हमारे पति की मौत हो गई है। पेंशन मिलती थी, लेकिन एक वर्ष बाद ही पेंशन मिलना भी बंद हो गया है। अभी तक हमें बाल सेवा योजना का लाभ भी नहीं मिल सका है। -सरस्वती रानी नगर में सड़क काफी ऊबड़-खाबड़ है। इससे लोगों को राह निकलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार सड़क ऊंची-नीची होने से बुजुर्गवार एवं बच्चे भी गिर जाते हैं। निगम को कम से कम इन सड़कों का निर्माण कराना चाहिए। -रेखा हम प्रकाश नगर में रहते हैं। वहां पर अभी तक गली नहीं बनी है। यहां सड़क पर पानी भर जाता है। इस सड़क पर पानी भर जाने से लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कम से कम उधर सड़क का निर्माण तो कराया जाना चाहिए। -नेमश्री
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