Monsoon Season Begins Spiritual Significance of Ashadha Month and Rituals श्रीहरि चार माह रहेंगे योग निद्रा में तो अब आएगा मौसम में बदलाव, Gangapar Hindi News - Hindustan
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श्रीहरि चार माह रहेंगे योग निद्रा में तो अब आएगा मौसम में बदलाव

Gangapar News - गौहनिया,हिन्दुस्तान संवाद। वर्षा ऋतु के कारक और आध्यात्मिक माह आषाढ़ की शुरुआत हो गई। इस

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारSat, 14 June 2025 03:18 PM
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श्रीहरि चार माह रहेंगे योग निद्रा में तो अब आएगा मौसम में बदलाव

वर्षा ऋतु के कारक और आध्यात्मिक माह आषाढ़ की शुरुआत हो गई। इस माह में भगवान शिव, विष्णु, मां लक्ष्मी और सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। यह महीना विष्णु भगवान और सूर्यदेव को समर्पित है। आषाढ़ महीना आरम्भ होने के साथ ही साधक द्वारा मंदिरों में हवन-यज्ञ के आयोजनों का क्रम शुरू हो गया है। ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक आधार भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हवन या यज्ञ से देवताओं को आहुति दी जाती है। इससे प्रसन्न होकर देवी देवता साधकों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। वहीं वैज्ञानिक आधार यह है कि ऋतुओं के संधिकाल में बढ़ने वाले जीवाणुओं, कीट-पतंगों को हवन का धुआं नष्ट कर देता है।

यह महीना सेहत के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। व्रतों व सूर्य पूजा के जरिए आहार व दिनचर्या पर संयम रख स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाएगा। इस मास में कई व्रत, पर्व और त्योहार आएंगे। मौसम में बदलाव के साथ विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन देखने को मिलेगा। वर्षा ऋतु, देवी आराधना, जगन्नाथ रथयात्रा, गुरु की आराधना और चातुर्मास की शुरुआत के कारण यह मास खास माना जाता है। पं उमेश शास्त्री दैवज्ञ के मुताबिक, आषाढ़ मास में भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस माह से देवशयन आरंभ होता है यानी भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं। इस कारण इस माह के बाद से मांगलिक कार्य, विवाह आदि कुछ समय के लिए वर्जित हो जाते हैं। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरुओं को समर्पित पर्व गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाएगी। इसी दिन आषाढ़ मास का समापन भी होगा। गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को पड़ेगी। हवन और यज्ञ की परम्परा पौराणिक काल से चली आ रही है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी है। ज्योतिष विशेषज्ञ पं उमेश शास्त्री दैवज्ञ ने बताया कि हवन-यज्ञ में अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना की जाती है। इससे वे जल्द प्रसन्न होकर अपनी कृपा दृष्टि साधक पर बनाए रखते हैं। बताया कि हवन का न केवल आध्यात्मिक महत्त्व है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। पुराणों में भी बताया गया है कि हवन से निकलने वाले धुएं से वातावरण में मौजूद कई प्रकार के विषाणु नष्ट हो जाते हैं। 24 घंटे तक वातावरण में शुद्धता बनी रहती है।शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि हवन में प्रयोग होने वाले घी या गुड़ के जलने से ऑक्सीजन का निर्माण होता है। हवन के धुएं से 94 हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।आषाढ़ मास में भक्त भगवान वामन के निमित्त एक वक्त खाना खाएंगे। सूर्यदेव की पूजा के लिए आषाढ़ मास में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करेंगे। इससे संक्रमण काल में स्वास्थ्य रक्षा होती है।

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