बोले प्रयागराज : चालीस हजार की आबादी को आज भी इलाज के लिए जाना पड़ता है बीस किमी दूर
Gangapar News - लालापुर पीएचसी, जो 1985 में सांसद अमिताभ बच्चन द्वारा स्थापित किया गया था, अब पूरी तरह से बदहाल है। चिकित्सकों की कमी के कारण ग्रामीणों को बुनियादी इलाज के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। स्वास्थ्य...

लालापुर पीएचसी बदहाल वर्ष 1985 में तत्कालीन सांसद अमिताभ बच्चन ने ग्रामीणों की मांग पर लालापुर भटपुरा गांव में छह बेड का सुसज्जित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का निर्माण करवाकर लोगों के स्वास्थ्य लाभ के लिए सौंपा था। कुछ दिनों तक तो यहां चिकित्सीय व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रही, लेकिन धीरे धीरे पूरी व्यवस्था विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हो गई। नवीन स्वास्थ्य केंद्र लालापुर में लंबे समय से चिकित्सकों की कमी के चलते इलाके के तीन दर्जन से ज्यादा गांव के लोगों को मामूली बीमारी के इलाज के लिए भी सुदूर लालापुर इलाके से बीस किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करते हुए या तो जसरा अथवा सीएचसी शंकरगढ़ ही जाना पड़ता है।
यहां की जरूरत तो सामान्य के साथ विशेषज्ञ चिकित्सक की भी है लेकिन दोनों में से एक भी नहीं है। ऐसे में इलाज की कल्पना भी बेमानी है। मजबूरी में ग्रामीण झोलाछाप के पास ही इलाज को पहुंचते हैं। जहां जेब तो ढीली होती है साथ ही जान का खतरा अलग। कहने को तो सप्ताह में तीन दिन के लिए एक डॉक्टर की नियुक्ति की गई है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी मात्र एक वार्ड ब्वाय के भरोसे ही अस्पताल को जीवित रखा गया है। शहर से चालीस किलोमीटर सुदूर और जसरा, शंकरगढ़ कस्बे से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित लालापुर क्षेत्र के लालापुर, पंड्या, प्रतापपुर, भिलोर, डेराबारी, सेमरी तरहार, नोडिया, अमिलिया, महेरा, नागनपुर, गोझवार, पचवर, बेलमुंडी, घूरी, गोबरा, सोनौरी, इच्छौरा, ओटघी, सोनवे, दुबहा, कोटा, गोलहैया सहित दो दर्जन से ज्यादा गांव के लगभग चालीस हजार की आबादी वाले क्षेत्र में मात्र एक लालापुर स्थित पीएचसी के ही सहारे हैं। लेकिन लाखों की लागत से बना सुविधाओं से लैस छह बेड का उक्त अस्पताल केवल भूतखाना ही बन कर रह गया है। क्षेत्र की प्रसूताओं को नियमित जांच आदि कराने के लिए न तो यहां कोई महिला चिकित्सक ही हैं और न ही अस्पताल में लैब टेक्नीशियन है। ऐसे में किसी भी प्रकार की कोई जांच नहीं हो पाती। प्रसूताओं को मजबूरी में इलाके के ऊबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्ते से गुजरते हुए या तो शंकरगढ़ जाना होता है फिर जसरा सीएचसी अथवा शहर के किसी निजी अस्पतालों में ही इलाज और जांच करवाना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग की छोटी सी लापरवाही के चलते इस सुदूर इलाके में बंगाल तक के डॉक्टरों की चांदी कट रही है, अधिकाश साधन और सुविधा विहीन ग्रामीण दूर दूर से आकर क्षेत्र के विभिन्न बाजारों और चौराहों पर दुकान सजा कर बैठे अप्रशिक्षित और झोलाछाप डॉक्टरों का ही सहारा लेकर अपना इलाज महंगे और इधर उधर की दवाओं से करवाने को मजबूर हैं। कभी कभी तो गलत दवा का प्रयोग होने के चलते बीमारी तो नहीं दूर हो पाती बल्कि बीमार की जान पर बन आती है। उक्त लालापुर की सरकारी अस्पताल में स्थाई रूप से प्रशिक्षित डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए क्षेत्र के दिनेश तिवारी, विजय निषाद, प्रधान शंकरलाल पांडेय सहित विधायक बारा वाचस्पति ने खुद कई बार मौखिक और पत्र के माध्यम से डॉक्टरों की नियुक्ति मांग की लेकिन विभाग के पास केवल और केवल आश्वासन के अलावा कुछ मिलता ही नहीं। स्थानीय ग्रामीणों के साथ ही लालापुर पुलिस को भी उक्त अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं । इलाके में हुई मारपीट अथवा पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों का मेडिकल परीक्षण कराना एक अभिलेखीय और कानूनी मजबूरी है। जिसे लेकर लालापुर पुलिस को भी बीस किलोमीटर की दूरी करके पकड़े गए मुलजिम अथवा मारपीट से घायल पीड़ित को शंकरगढ़ ही लेकर जाने की मजबूरी होती है। दूरी के चलते कभी कभी पुलिस न्यायालय तक पहुंचने में भी देर हो जाती है जहां पुलिस वालो को न्यायालय की फटकार भी सुननी पड़ती है । खाली पड़े स्टाफ और डॉक्टरों के आवास हो रहे जर्जर डॉक्टरों और अस्पताल के स्टाफ को ठहरने के लिए बनाए गए आवास भी बिना देख रेख और खाली पड़े होने के चलते धीरे धीरे खंडहर होते जा रहे हैं, अगर समय रहते इनकी साफ सफाई और मरम्मत के बाद संबंधित स्टाफ रहने लगे तो निश्चित ही इन लाखों कीमत से बने आवासों को फिर से संवारा जा सकता है। बोले जिम्मेदार लालापुर अस्पताल में डॉक्टरों की मौजूदगी के लिए मेरे द्वारा पत्र लिखा गया था। यदि अभी तक डॉक्टर और अन्य सुविधाएं नहीं है तो स्वास्थ्य विभाग से बात कर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा। स्वास्थ्य प्राथमिकता में है। -डॉ. वाचस्पति, विधायक, बारा फिलहाल एक डॉक्टर को उक्त अस्पताल में अटैच किया गया है। यदि ग्रामीणों की मांग होगी तो और डॉक्टरों की नियुक्ति की पहल की जाएगी। इसके अलावा भी कोई दिक्कत होगी तो उसे भी दूर करने का पूरा प्रयास किया जाएगा ताकि लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके। -डॉ. अभिषेक सिंह, अधीक्षक, सीएचसी शंकरगढ़ --------------- हमारी भी सुनें स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते आज तक चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हो सकी जो बेहद ही शर्मनाक है। बिना डॉक्टर के कैसे लोगों को इलाज की सुविधा मिल सकती है। इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। -शंकरलाल पांडेय, ग्राम प्रधान, लालापुर शहर से बसे इस पिछड़े क्षेत्र में कई सुविधाएं नहीं है । स्वास्थ्य सुविधा ठीक से संचालित हो तो लोगों को लाभ मिले । -विवेक शुक्ल, लाला प्रबंधक शिव कुमारी इंटर कॉलेज बारा क्षेत्र का लालापुर का क्षेत्र शहर से लगभग पचास किलोमीटर की दूरी पर है । स्वास्थ्य सेवा समुचित न होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। -जगतराज सिंह, समाजसेवी डेराबारी ग्रामीणों ने लालापुर अस्पताल को लेकर कई बार संबंधित विभाग को डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए शिकायती पत्र दिया । जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया । -दीपेश मिश्र, प्रधान पड़ुआ लालापुर के दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों को इलाज के लिए देर सबेर शंकरगढ़ से लेकर शहर तक की यात्रा करनी पड़ती है । -रामबाबू मिश्र, पूर्व राजस्व निरीक्षक डेराबारी सरकार स्वास्थ्य और सभी बुनियादी सुविधाओं को ढिंढोरा तो पीटती है लेकिन जमीनी हकीकत बहुत ही दयनीय है । -रामकरण निषाद, प्रधान, प्रतापपुर सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर इतनी बड़ी बिल्डिंग तैयार की लेकिन विभागीय अधिकारियों के चलते लालापुर के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलना मुश्किल हो गया है। -विजय धर द्विवेदी, शिक्षक लालापुर क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों के लिए अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है जिससे लोग शहर में महंगे इलाज कराने को मजबूर है । -अश्विनी मिश्र, शिक्षक, लालापुर क्षेत्र में सरकारी अस्पताल की लचर व्यवस्था के चलते ग्रामीणों को अनावश्यक रूप से प्रशिक्षित चिकित्सकों से महंगे इलाज कराने की मजबूरी बनी हुई है । -सुरेश चंद्र त्रिपाठी, प्रबंधक
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।