Shri Rudra Mahayagya Highlights Importance of Faith in Relationships सती मोह प्रसंग सुन भक्तों ने समझा विश्वास का महत्व, Ghazipur Hindi News - Hindustan
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सती मोह प्रसंग सुन भक्तों ने समझा विश्वास का महत्व

Ghazipur News - भांवरकोल, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के अराजी बुढ़ैला पाण्डेय का पूरा (अमरूपुर) में आयोजित

Newswrap हिन्दुस्तान, गाजीपुरFri, 13 June 2025 11:06 PM
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सती मोह प्रसंग सुन भक्तों ने समझा विश्वास का महत्व

भांवरकोल, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के अराजी बुढ़ैला पाण्डेय का पूरा (अमरूपुर) में आयोजित नौ दिवासीय श्री रुद्र महायज्ञ के चौथे दिन यज्ञाधीश श्री श्री 1008 विष्णु दास जी महाराज ने भक्तों को मागात्म्य, सत्संग महिमा, भारद्वाज संवाद और सती मोह की कथा सुनाई। उन्होंने भक्तों को बताया कि रामायण के रचयिता तुलसीदास अपनी पत्नी के प्रति आसक्त थे। मायके जाने पर वे एक बार रात में पत्नी के पास पहुंच गए थे। पत्नी ने कहा कि जैसी प्रीत मेरे शरीर से है, ऐसी प्रीत भगवान में हो तो कोई बात बने। तुलसीदास को यह बात चुभ गई और उन्होंने वैराग्य धारण कर रामायण की रचना कर डाली।

रामचरित मानस में छह शास्त्र, अठारह पुराणों का सार समाहित कर समाज को सही दिशा प्रदान कर भगवान की भक्ति राम कथा के माध्यम से कराई। श्रीरामचरित मानस के बालकांड में शिव और सती का एक प्रसंग है कि शिव और सती, अगस्त ऋषि के आश्रम में रामकथा सुनने गए थे। सती को यह थोड़ा अजीब लगा कि श्रीराम शिव के आराध्य देव हैं। सती का ध्यान कथा में नहीं रहा और वह यह सोचतीं रहीं कि शिव जो तीनों लोकों के स्वामी हैं। वे श्रीराम की कथा सुनने के लिए क्यों आए हैं। कथा समाप्त हुई और शिव-सती वापस कैलाश पर्वत लौटने लगे। तभी रावण ने माता सीता का हरण किया था, श्रीराम, सीता की खोज में थे। सती को यह देख आश्चर्य हुआ कि शिव के आराध्य देव एक स्त्री के वियोग में साधारण इंसान की तरह रो रहे हैं। सती ने शिवजी के सामने ये बात कही तो शिव ने समझाया कि यह सब श्रीराम की लीला है। भ्रम में मत पड़ो, लेकिन सती नहीं मानी और शिवजी की बात पर विश्वास नहीं किया। सती ने श्रीराम की परीक्षा लेने की बात कही तो शिवजी ने रोका, लेकिन सती पर शिवजी की बात का कोई असर नहीं हुआ। सती, सीता जी का रूप धारण करके श्रीराम के सामने पहुंच गईं। श्रीराम ने सीता के रूप में सती को पहचान लिया और पूछा कि हे माता, आप अकेली इस घने जंगल में क्या कर रही हैं? शिवजी कहां हैं? जब श्रीराम ने सती को पहचान लिया तो वे डर गईं और चुपचाप शिव के पास लौट आईं। शिव सब समझ गए थे। इस कारण शिवजी ने मन ही मन सती का त्याग कर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से विश्वास के महत्व को समझा जा सकता है। कई बार पत्नियां पति की और पति, पत्नी की बात पर विश्वास नहीं करते। इसका नतीजा यह होता है कि रिश्ते में बिखराव आ जाता है।

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