इसरो की मदद से अपना सेटेलाइट लॉन्च करेगा एमएमएमयूटी
Gorakhpur News - तैयारी क्यूबसैट नैनोसेटेलाइट श्रेणी का होगा उपग्रह, एक करोड़ रुपये आएगी लागत तापमान, आर्द्रता,

गोरखपुर, निज संवाददाता। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की तैयारियां अब आसमान की बुलंदियों को छूने की हैं। इसके लिए एमएमएमयूटी अपना उपग्रह बनाएगा और उसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित भी कराएगा। इसके लिए एमएमएमयूटी ने तैयारियां शुरू कर दी है। एमएमएमयूटी की टीम जो उपग्रह तैयार करेगी वह क्यूबसैट नैनोसेटेलाइट श्रेणी का होगा। क्यूबसैट नैनो उपग्रहों की एक श्रेणी है, जो छोटे घन आकार (आमतौर पर 10 सेमी गुणा 10 सेमी गुणा 10 सेमी, जिसे 1यू के रूप में जाना जाता है) का उपयोग करता है। इन्हें अक्सर बड़े अंतरिक्ष यान के साथ शैक्षिक, अनुसंधान या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए लॉन्च किया जाता है।
क्यूबसैट की यह विशेषता होती है कि वे कम लागत में तैयार हो जाते हैं और उन्हें कम समय में विकसित किया जा सकता है। एमएमएमयूटी जो उपग्रह तैयार कर रहा है उसका संभावित आकार 10 गुणा 10 गुणा 30 सेमी और वजन 10 किलोग्राम से कम होगा। इसे बनाने में लगभग एक करोड़ रुपये की लागत आएगी। ... पृथ्वी से 300 से 400 किमी की ऊंचाई पर होगा स्थापित उपग्रह को लोअर अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी से लगभग 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई) में स्थापित किया जाएगा। लोवर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद यह सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग, बाढ़ के पैटर्न, नदियों की धारा के पैटर्न, मौसमी बदलावों विशेषकर पूर्वांचल के मौसमी बदलावों की जानकारी देगा। इस उपग्रह में उच्च क्षमता का एक मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरा और पर्यावरणीय सेंसर लगे होंगे। उपग्रह में लगे पर्यावरणीय सेंसर तापमान, आर्द्रता, ग्रेडिएंट, बाढ़, वायु गुणवत्ता, मौसमी बदलाव आदि की जानकारी देंगे। उपग्रह तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय में प्रयोगशाला के रूप में एक क्लीन रूम की स्थापना की जाएगी। इसी क्लीन रूम में सेटेलाइट तैयार किया जाएगा। ... उपग्रह प्रक्षेपण तक इसरो करेगा नियंत्रित उपग्रह प्रक्षेपण तक इसरो के ग्राउंड स्टेशन से इसे नियंत्रित किया जाएगा। अंतरिक्ष में स्थापित होने के बाद सेटेलाइट से संपर्क बनाए रखने और डेटा प्राप्त करने के लिए एमएमएमयूटी में ही एक छोटा ग्राउंड स्टेशन स्थापित होगा। सेटेलाइट बनाने और उसके प्रक्षेपण के लिए एमएमएमयूटी की टीम इसरो के संपर्क में है। जैसे ही इसरो से औपचारिक स्वीकृति मिलती है, वैसे ही सेटेलाइट बनाने की दिशा में काम शुरू हो जाएगा। ... इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना मंत्रालय से मांगेगा मदद इस तरह की परियोजनाओं पर काम करने के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा पूर्व में संस्थानों को सहायता दी जाती रही है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन मंत्रालय से संपर्क करेगा। विवि प्रशासन को उम्मीद है कि मंत्रालय द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। ... स्पेस टेक्नोलॉजी में शुरू होगी माइनर डिग्री एमएमएमयूटी की योजना सेटेलाइट बनाने के साथ ही इस दिशा में महत्वपूर्ण अध्ययन और शोध केंद्र के रूप में स्थापित होने की भी है। इसलिए सत्र 2026-27 से बीटेक में स्पेस टेक्नोलॉजी (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी) में माइनर डिग्री शुरू होगी। इंटेलिजेंट एवियानिक्स एंड स्पेस रोबोटिक्स में एमटेक पाठ्यक्रम भी शुरू करने की योजना है। इन पाठ्यक्रमों से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की दिशा में कुशल पेशेवर तैयार करने में मदद मिलेगी। ... इसरो में काम कर चुके डॉ. विजय वर्मा बने प्रभारी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए एक समिति भी गठित कर दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के डॉ. विजय कुमार वर्मा को समिति का प्रभारी बनाया गया है। डॉ. वर्मा इसके पहले इसरो में काम भी कर चुके हैं। टीम में इलेक्ट्रॉनिक्स के डॉ. प्रतीक, डॉ. प्रज्ञेय कौशिक, डॉ. शलभ मिश्र, कंप्यूटर साइंस के डॉ. एसपी मौर्य, मैकेनिकल के डॉ. दीपेश मिश्र और सिविल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. रवि प्रकाश त्रिपाठी को रखा गया है। ... कोट इसरो की मदद से अपना सेटेलाइट लॉन्च करने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। इसके लिए गठित टीम ने काम करना शुरू कर दिया है। अपने स्रोतों से उपग्रह प्रक्षेपण किया जाएगा। -प्रो. जेपी सैनी, कुलपति, एमएमएमयूटी
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