Rare Sickle Cell Anemia Cases Registered in Gorakhpur Medical College बीआरडी में ढाई साल में 27 मरीज हुए पंजीकृत, Gorakhpur Hindi News - Hindustan
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बीआरडी में ढाई साल में 27 मरीज हुए पंजीकृत

Gorakhpur News - गोरखपुर में सिकल सेल एनीमिया की जन्मजात बीमारी के 27 मरीजों का पंजीकरण हुआ है। यह रोग खून की समस्या है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं आकार बदल लेती हैं। इससे मरीजों को दर्द, थकान और सांस की तकलीफ होती है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरThu, 19 June 2025 06:19 AM
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बीआरडी में ढाई साल में 27 मरीज हुए पंजीकृत

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। सिकल सेल खून से जुड़ी जन्मजात बीमारी है। यह दुर्लभ बीमारी है। इसके मरीज पूर्वी यूपी में मिलते हैं। बीते ढाई साल में सिकल सेल एनीमिया के 27 मरीजों का पंजीकरण मेडिकल कॉलेज में हुआ है। यह पंजीकरण मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में हुआ है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि सिकल सेल रोग खून की बीमारी है। इसके कारण खून में लाल रक्त कणिकाओं का आकार बदल जाता है। सामान्यत: लाल रक्त कोशिकाएं गोल, चिकनी होती हैं। यह खून में ऑक्सीजन का वहन करती है। शरीर में आसानी से चलती हैं।

सिकल सेल से पीड़ित लोगों में यह कणिकाएं कठोर, चिपचिपी हो जाती है। इनका आकार बदल कर केले या हंसिया जैसा हो जाता है। आकार बदलने के कारण छोटी धमनियों में यह अवरोध उत्पन्न करती हैं। इससे शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। इससे मरीज को दर्द होता है। शरीर के आंतरिक उत्तक डैमेज होते हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की डॉ. प्रियंका सिंह ने बताया कि यह अनुवांशिक रोग है। माता-पिता के जीन में सिकल सेल होने पर बच्चों को बीमारी होने का खतरा रहता है। अब तक मिले 27 मरीजों में महिलाओं की संख्या अधिक है। इस बीमारी की वजह से रेड ब्लड सेल्स सामान्य से कम समय तक जीवित रहती हैं। जिसके कारण मरीज की जान बचाने के लिए उसे खून चढ़ाना पड़ता है। बीमारी की वजह से मरीज को थकान, सांस की तकलीफ और शरीर में पीलापन और बदन दर्द जैसी समस्या रहती है। बच्चों को बार-बार होता पीलिया, नहीं है सटीक इलाज डॉ. प्रियंका सिंह ने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का शरीर पीला पड़ने लगता हैं। उन्हें बार-बार पीलिया हो जाता है। ऐसे में खून की जांच कराई जाती है। सिकल सेल एनीमिया का कोई स्थाई इलाज नहीं है। शरीर पर इसका प्रभाव कम करने के लिए दवाएं और अन्य उपचार उपलब्ध हैं। मेडिकल कालेज में पंजीकृत ज्यादातर मरीजों का इलाज एम्स दिल्ली में होता है। कुछ मरीजों के परिजन दिल्ली के निजी अस्पतालों में बच्चों का इलाज कराते हैं।

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