बीएड में आसानी से मिलेगा प्रवेश, 79 प्रतिशत अभ्यर्थियों का दाखिला तय
Lucknow News - बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में 304980 अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की है। 240000 सीटों के मुकाबले 79 प्रतिशत छात्रों का दाखिला सुनिश्चित है। पिछले वर्ष 223000 फॉर्म आए थे और करीब एक लाख सीटें खाली...

बीएड में आसानी से मिलेगा प्रवेश, 79 प्रतिशत अभ्यर्थियों का दाखिला तय - 240000 सीटों के मुकाबले 304980 छात्र पास हुए हैं - बीते वर्ष 223000 फॉर्म आए थे, एक लाख सीटें थीं खाली लखनऊ, प्रमुख संवाददाता बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफल घोषित किए गए 304980 अभ्यर्थियों को आसानी से प्रवेश मिलेगा। 240000 सीटें हैं और प्रत्येक सीट पर 1.02 छात्रों के बीच मुकाबला है। वहीं 79 प्रतिशत विद्यार्थियों का प्रवेश बिल्कुल तय है और उन्हें प्रवेश के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। अभ्यर्थियों के बीच मुख्य मुकाबला राजकीय डिग्री कॉलेजों व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों की आठ हजार सीटों पर होगा।
यहां अच्छी रैंक वाले ही प्रवेश पा सकेंगे। खराब रैंक होने पर उन्हें प्राइवेट बीएड कॉलेज में ही प्रवेश लेना होगा। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल होने को वर्ष 2024-25 में 223000 अभ्यर्थियों ने आवेदन फॉर्म भरा था। बीते वर्ष करीब 240000 सीटें बीएड की सीटों में से करीब एक लाख सीटें खाली रह गईं थी। फिलहाल, इस बार थोड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है लेकिन दाखिले की उतनी मारा-मारी नहीं रहेगी। क्योंकि अभी बीएड के नए सेल्फ फाइनेंस कॉलेज जुड़ सकते हैं। ऐसे में 10 जुलाई से प्रस्तावित काउंसिलिंग में सीटें बढ़ सकती हैं। बीते साल के मुकाबले इस बार बीएड प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए 344546 फॉर्म भरे गए थे। फिलहाल 305332 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए और 304980 पास घोषित किए गए हैं। माध्यमिक स्कूलों में पीजीटी में बीएड की अनिवार्यता के कारण इस बार आवेदन फॉर्म की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। माध्यमिक स्कूलों में स्नातकोत्तर शिक्षक (पीजीटी) व प्रिसिपल पद के लिए बीएड अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) में तकनीकी विषयों गृह विज्ञान, आर्ट्स व क्राफ्ट विषयों के शिक्षकों के लिए भी बीएड की अनिवार्यता कर दी गई है। ऐसे में विद्यार्थियों का कुछ रूझान इसके प्रति बढ़ा है। बीएड की पढ़ाई करने के बाद बेसिक व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक बना जा सकता है। वहीं बीएड के बाद अगर कोई छात्र एमएड की डिग्री हासिल करता है तो वह जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में प्रवक्ता बन सकता है। अगर वह आगे यूजीसी की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास कर लेता है तो वह डिग्री कॉलेजों में शिक्षक पद के लिए अर्ह हो जाता है। उप्र स्वावित्तपोषित डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि पीजीटी में भी बीएड की अनिवार्यता से क्रेज बढ़ा है। बेसिक स्कूलों में बीटीसी व डीएलएड कोर्स की पढ़ाई करने वालों को ही नौकरी मिल सकती है। सात वर्षों से भर्ती का इंतजार, हजारों पद खाली बेसिक शिक्षा के सरकारी स्कूलों में पिछले सात वर्षों से भर्ती का इंतजार है। हर साल परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के करीब 20 हजार शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अभी यहां पर साढ़े चार लाख शिक्षक व 1.43 लाख शिक्षामित्र व 26 हजार अनुदेशक कार्यरत हैं। ऐसे में 1.54 करोड़ विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं। प्राथमिक स्कूलों में 79296 पद और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 41338 पद रिक्त हैं। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को जोड़कर छात्र शिक्षक अनुपात सही होने का दावा करता है। मगर भविष्य में शिक्षकों की भर्ती तो उसे करनी ही होगी। बीएड अभ्यर्थियों के लिए 2018 में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड या सहायक अध्यापक की भर्ती आई थी। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी भर्ती वर्ष 2022 में आई थी और उसके बाद कोई भर्ती नहीं हुई। अब सहायक अध्यापक के साथ ही प्रवक्ता भर्ती में भी बीएड अनिवार्य कर दिया गया है। वर्तमान में राजकीय हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों में 7385 पद सहायक अध्यापक और 1658 पद प्रवक्ता के खाली हैं। वहीं अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में करीब 40 हजार पद रिक्त चल रहे हैं। ............................................................ लड़कों ने दी लड़कियों को कड़ी टक्कर बीएड की प्रवेश परीक्षा में इस बार लड़कियों को लड़कों ने कड़ी टक्कर दी है। प्रवेश परीक्षा में 147846 लड़के और 196700 लड़कियां शामिल हुईं यानी 43 प्रतिशत लड़के और 57 प्रतिशत लड़कियां शामिल हुईं। टॉप टेन की मेरिट सूची में मात्र दो लड़कियां हैं और आठ लड़के उसमें शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर कुल 88.52 प्रतिशत अभ्यर्थी बीएड प्रवेश परीक्षा में पास हुए। जिसमें से 88.49 प्रतिशत लड़के और 88.54 प्रतिशत लड़कियां पास हुई हैं। लड़कों के मुकाबले सिर्फ 0.5 प्रतिशत अधिक लड़कियां उत्तीर्ण हुई हैं। ..........................................................
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