एम्स से केजीएमयू रेफर मरीज को दलाल उठा ले गए
Lucknow News - गोरखपुर के एक मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिला, जिसके कारण उसे निजी अस्पताल ले जाना पड़ा। एम्स और केजीएमयू की चिकित्सा व्यवस्था की कमी उजागर हुई है। मरीज की हालत गंभीर थी, लेकिन दलालों ने परिवार को निजी...

गोरखपुर एम्स से 300 किलोमीटर दूर केजीएमयू रेफर मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिला। यहां ट्रॉमा सेंटर में दलालों ने मरीज को घेर लिया। परिवारीजनों को सस्ते व बेहतर इलाज दिलाने का झांसा देकर मरीज को निजी अस्पताल लेकर चले गए। पूरी घटना ने एम्स व केजीएमयू की बदहाल व्यवस्था को भी उजागर कर दिया है। बलरामपुर के उतरौला निवासी वजहुल कमर उर्फ सुफियान (37) पर किसी ने सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर घायल कर दिया। खून से लथपथ वजहुल को परिजन सुबह करीब चार बजे गोरखपुर एम्स की इमरजेंसी ले गए। यहां डॉक्टरों ने मरीज की हालत गंभीर बताते हुए वेंटिलेटर की जरूरत बताई और उसे प्राथमिक इलाज के बाद केजीएमयू रेफर कर दिया।
मरीज के साथियों ने एम्स से ही वेंटिलेटर मुहैया कराने की गुजारिश की। सुनवाई न होने पर परिजनों ने वेंटिलेटर युक्त एम्बुलेंस का इंतजाम किया। इसके बाद दोपहर में घायल केजीएमयू पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने मरीज को देखने के बाद वेंटिलेटर की जरूरत बताई। डॉक्टरों ने वेंटिलेटर खाली न होने की बात कही। परिवारीजन काफी देर वेंटिलेटर के लिए भटकते रहे। एक से दूसरे विभाग में धक्के खाए। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। काफी देर तक मरीज एंबुलेंस में वेंटिलेटर सपोर्ट पर तड़पता रहा। चुटकियों में दिला देंगे वेंटिलेटर इसी दौरान दलालों ने एम्बुलेंस घेर ली। तीमारदारों को निजी अस्पताल में चुटकियों में वेंटिलेटर दिलाने का दावा किया। एम्स व केजीएमयू की बदहाल व्यवस्था से दुखी परिवारीजन घायल को निजी अस्पताल ले जाने को राजी हो गए। गोरखपुर एम्स के डॉक्टर ने मरीज को रेफर करने की असल वजह पर्चे पर नहीं लिखी। मरीज की इंजरी व स्थिति का जिक्र भी पर्चे पर नहीं किया। इलाज के अभाव में मरीज की हालत और गंभीर हो गई। घायल की जान बचाने के लिए परिवारीजन राजी हो गए। उसके बाद दलालों ने घायल को ठाकुरगंज के निजी अस्पताल में शिफ्ट कराया। दलालों पर नहीं कस पर नकेल केजीएमयू दलालों पर नकेल कस पाने में नाकाम है। नतीजतन दलाल मरीजों को बहला-फुसलाकर ले जा रहे हैं। निजी अस्पताल में मरीज को कौन इलाज मुहैया करा रहा है? इसकी जानकारी भी किसी को नहीं है। केजीएमयू में करीब 350 वेंटिलेटर हैं। अलग-अलग विभागों में आईसीयू-वेंटिलेटर यूनिटों का संचालन हो रहा है। कई विभाग के डॉक्टर अपनी मर्जी से मरीजों को भर्ती कर रहे हैं। नियम कानून ताक पर रखकर मरीजों की भर्ती की जा रही है। इसका खुलासा पिछले साल हो चुका है। केजीएमयू ईएनटी विभाग के रेजिडेंट डॉक्टर ने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां ऑपरेशन किया। हालत गंभीर होने पर मरीज को जुगाड़ से केजीएमयू में वेंटिलेटर दिला दिया। मरीज की मौत के बाद घटना का खुलासा हुआ था। मरीजों का दबाव है। वेंटिलेटर पर मरीज अधिक समय तक रहते हैं। इसलिए वेंटिलेटर के खाली होने में वक्त लगता है। मरीज को किन कारणों से वेंटिलेटर नहीं मिला। इसकी जानकारी ली जाएगी। -डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू
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