दिल की 100 फीसदी बंद नसें अब बिना ऑपरेशन खुलेंगी
Lucknow News - दिल की बीमारियों की संख्या बढ़ रही है। हर पांचवें मरीज की 100 फीसदी नसें बंद हैं। लखनऊ में बिना सर्जरी के नसें खोलने की तकनीक का उपयोग हो रहा है, जिसे क्रॉनिक टोटल ऑक्लूजन (सीटीओ) कहा जाता है। इससे...

दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। हर पांचवें दिल के मरीज की 100 फीसदी नसें बंद पाई जा रही हैं। इसकी वजह से खून की आपूर्ति प्रभावित होती है। ऐसे मरीजों को बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है। लखनऊ में दिल की बंद नसों को बिना ऑपरेशन खोलने की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। चिकित्सा विज्ञान में इस तकनीक को क्रॉनिक टोटल ऑक्लूजन (सीटीओ) कहते हैं। इससे गंभीर मरीजों को बड़े ऑपरेशन से बचाने में कामयाबी मिल रही है। यह जानकारी पीजीआई के पूर्व कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. पीके गोयल ने दी। सुशांत गोल्फ सिटी स्थित एक होटल में इंडो-जैपनीज सीटीओ क्लब की 11वीं समिट हुई।
इसका शुभारंभ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर समय-समय पर कार्यशाला करें। नई तकनीक साझा करें। इससे आधुनिक तकनीक का आदान प्रदान किया जा सकता है। मरीजों को आधुनिक इलाज घर के निकट के अस्पतालों में मिल सकता है। केजीएमयू, पीजीआई जैसे संस्थानों में बाईपास सर्जरी के बिना 100 फीसदी बंद नसों को खोलकर मरीजों की जान बचाई जा रही है। क्लब के सेक्रेटरी डॉ. पीके गोयल ने कहा कि दिल की नसों को बिना सर्जरी खोलने की तकनीक और अनुभव हर कार्डियोलॉजिस्ट के पास नहीं होता। अब भारत में नई एडवांस तकनीकों जैसे ऑर्थोगोनल या बाई-प्लेन इमेजिंग आधारित थ्री-डायमेंशनल वायरिंग और इंट्रावैस्कुलर गाइडेंस ने यह संभव बना दिया है। बिना छाती खोले इन नसों को सुरक्षित रूप से खोला जा सके, आने वाले समय में यही स्किल हर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगी, ताकि ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत को कम किया जा सके। मरीजों को तेज, सुरक्षित और कम जोखिम वाला इलाज मिल सके। डॉ. एन प्रताप कुमार ने कहा कि शुरुआती समय में लोग स्वास्थ्य को लेकर लोग गंभीर नहीं रहते। जब समस्या बढ़ जाती है तब मरीज डॉक्टर के पास जाते हैं। समय पर जांच व इलाज से बीमारी पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
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