144 साल की तो बात ही झूठ, 30 किमी पैदल चलाना कुप्रबंधन नहीं तो क्या? महाकुंभ प्रबंधन पर शंकराचार्य का हमला
महाकुंभ में प्रबंधन और व्यवस्था को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बार फिर यूपी की योगी सरकार पर हमला किया है। कहा कि 144 साल की तो बात ही झूठी है।

महाकुंभ की व्यवस्था और प्रबंधन को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बार फिर यूपी की योगी सरकार पर हमला किया है। शंकराचार्य ने कहा कि 144 साल की तो बात ही झूठी है। 144 साल का झूठा प्रचार करके लोगों को आकर्षित किया गया। आपके पास व्यवस्था ही नहीं थी। न आपके पास खिलाने के लिए भोजन है और न बैठाने के लिए जगह है। ठिंठोरा पीट दिया कि आइए-आइए भंडारा चल रहा है। जबकि असलियत यह है कि आपने कोई व्यवस्था ही नहीं की थी। 300 किलोमीटर तक जाम लगा रहा। लोगों को 25 से 30 किलोमीटर तक सामान लेकर पैदल चलना पड़ा है। यह सब कुप्रबंधन नहीं तो क्या है?
शंकराचार्य ने कहा कि कुंभ अचानक नहीं आया है। इसके बारे में पहले से पता था। छह साल और 12 साल पहले से सब पता था। फिर भी कुछ नहीं किया गया। शंकराचार्य ने कहा कि राजनीतिक लोगों की अपनी भाषा होती है। लेकिन एक सनातनी होने और कुंभ में जाकर लौटने, परिस्थितियों को देखने जानने के बाद हम क्या कह सकते हैं। वहां पर स्नान के लिए जो जल आ रहा है, उसमें मलजल मिला हुआ है। वैज्ञानिक उसे स्नान के योग्य नहीं मानते हैं।
इसके बाद भी आप लोगों को उसी दूषित जल में स्नान के लिए मजबूर कर रहे हैं। यह अलग बात है कि लोग अपनी श्रद्धा से स्नान कर रहे हैं। लेकिन सरकार का तो काम था कि कुछ दिनों के लिए नालों को रोक देते या उसके पानी को डायवर्ट कर देते। इससे लोगों को स्नान के लिए शुद्ध जल मिल पाता। यह नहीं कर पाए तो साफ मतलब है कि कुप्रबंधन है। आपको छह साल पहले से पता था कि कुंभ आएगा। 12 साल पहले से पता था कि आयोजन होना है।
भगदड़ में मौतों पर सवाल उठाते हुए शंकराचार्य ने कहा कि इतने सारे लोग मारे गए। पहले से पता था कि इतने सारे लोग आएंगे, इतनी ही जगह है, तो इसके लिए योजना बनाई जानी चाहिए थी या नहीं? कहा कि हम किसी का पक्ष विपक्ष नहीं लेंगे लेकिन सच्चाई सभी के सामने है। आपको कोई योजना बनाकर रखना चाहिए था। सरकारें तो एक योजना नहीं बनाती हैं। कई योजनाएं बनाई जाती हैं। एक योजना फेल हुई तो दूसरी योजना पर काम होता है। आपने कोई योजना नहीं बनाई और 144 साल के नाम पर प्रचार इतना कर दिया।
शंकराचार्य ने कहा कि जितने लोगों की व्यवस्था कर सकते थे उतने लोगों को ही बुलाइए और उन्हें वापस सुरक्षित भेजिए, उनका आशीर्वाद लीजिए। मुख्यमंत्री को कहना चाहिए था कि हमारे पास इतनी जगह है, इतनी पार्किंग है। इतने ही लोग आएं। अंधाधुंध लोगों को आमंत्रित कर दिया गया। पुल बनाए गए और उन्हें बंद कर दिया गया। फिर इतने पुल क्यों बनाए गए। कोई वैकल्पिक रास्ता ही नहीं था। क्राउड मैनेजमेंट के सिद्धांत का भी पालन नहीं किया गया। हम मेजबान हैं, अगर लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं तो उसकी व्यवस्था करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा भी नहीं किया गया। इसके बाद लोग मर गए तो उसे भी छिपाने का काम किया गया।