Arya Samaj Conference on Swadeshi and Swaraj Highlights Contributions of Swami Dayanand हमारे देश में कभी भी विदेशी राजा न हो- राजेश सेठी, Meerut Hindi News - Hindustan
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हमारे देश में कभी भी विदेशी राजा न हो- राजेश सेठी

Meerut News - आर्य समाज थापर नगर में स्वदेशी और स्वराज पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। आचार्य सत्यप्रकाश शास्त्री ने यज्ञ कराया। प्रधान राजेश सेठी ने बताया कि स्वामी दयानंद ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठMon, 12 May 2025 04:51 AM
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हमारे देश में कभी भी विदेशी राजा न हो- राजेश सेठी

रविवार को आर्य समाज थापर नगर में स्वदेशी और स्वराज पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। आचार्य सत्यप्रकाश शास्त्री ने देव यज्ञ कराया। यज्ञ में यजमान कृष्ण कुमार वर्मा रहे। गोष्ठी में आर्य समाज थापर नगर के प्रधान राजेश सेठी ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महर्षि स्वामी दयानन्द के भाग लेने के प्रत्यक्ष उल्लेख महर्षि स्वामी दयानंद के जीवन चरित्र में प्राप्त नहीं होता। अन्य स्रोतों से यह जानकारी मिलती है की सन 1856 में महाकुंभ में स्वामी पूर्णानंद जिनकी आयु उस समय 108 वर्ष की थी और जो स्वामी विरजानंद के गुरु थे उन्होंने स्वामी को दण्डी विरजानंद के पास जाने और उनसे व्याकरण पढ़ने का आदेश दिया था।

स्वामी विरजानंद उस काल में अनेक राजाओं और उस क्षेत्र के लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की प्रेरणा दे रहे थे, स्वामी भी उस काल की घटनाओं से अछूते नहीं रहे और उन्होंने भी विभिन्न स्थानों पर जाकर क्रांतिकारियों को प्रेरणा और मार्गदर्शन देने का कार्य किया। आर्य विनय में उनकी ईश्वर से प्रार्थना हमारे देश में कभी भी विदेशी राजा ना हो। स्वदेशी राजा ही सर्वश्रेष्ठ होता है उनके राष्ट्र के प्रति प्रेम और उनकी देशभक्ति का स्पष्ट परिचायक है। आर्य समाज लाहौर ने 14 अगस्त 1879 को ही स्वदेशी वस्त्र को धारण करने और विदेशी माल को तिलांजलि देने का प्रस्ताव पास किया था। महर्षि स्वामी दयानंद की ही प्रेरणा थी। उनके प्रयासों से ही श्याम कृष्ण वर्मा ने विदेश में जाकर क्रांति का बिगुल बजाया । वीर सावरकर, लाला लाजपत राय, भाई परमानंद, राम प्रसाद बिस्मिल, शहीद भगतसिंह आदि अनेक क्रांतिकारियों ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए आहुत कर दिया। स्वामी दयानन्द के राष्ट्र प्रेम की सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्पष्ट रूप से गुणगान किया। वास्तव में स्वामी दयानन्द इस राष्ट्र की स्वतंत्रता का मूल मंत्र देने वाले राष्ट्रपितामह थे। आनंद वर्धन झा,करुणा सागर बाली, धर्म वीर, भानु बत्रा, अपर्णा अग्रवाल, विकास शर्मा, कृष्ण कुमार वर्मा, संजय मलिक, राकेश ओबराय, विजय बंसल आदि मौजूद रहे।

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