Jurranpur Village Struggling Between Urban and Rural Development बोले मेरठ : शहर-गांव में फंसा जुर्रानपुर, कौन करे विकास, Meerut Hindi News - Hindustan
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बोले मेरठ : शहर-गांव में फंसा जुर्रानपुर, कौन करे विकास

Meerut News - जुर्रानपुर गांव, जो मेरठ के अर्द्धनगरीय क्षेत्र में है, विकास की कमी से जूझ रहा है। यहां पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है और सीवर लाइन भी नहीं है। गांव में पानी की पाइपलाइन दो किलोमीटर दूर से...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठWed, 28 May 2025 07:52 PM
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बोले मेरठ : शहर-गांव में फंसा जुर्रानपुर, कौन करे विकास

बिजली बंबा बाइपास पर रेलवे फाटक से पहले जुर्रानपुर गांव है, जो ग्राम पंचायत क्षेत्र है, लेकिन अर्द्धनगरीय क्षेत्र में आता है। जो ना पूरी तरह नगर में शामिल है और ना ही देहात में आता है। खास बात ये, कि जुर्रानपुर गांव ब्लॉक मेरठ में है। गांव में सड़क के बीचोंबीच पानी की पाइप लाइन बिछी है, जिसका स्रोत दो किलोमीटर दूर बनाया गया है। यहां सीवर लाइन की व्यवस्था कहीं नहीं है, ऐसे में आधे गांव के गंदे पानी की निकासी खेत में और आधे की झोड़ी में की गई है। जुर्रानपुर के लोग अर्द्धनगरीय के चक्कर में फंसकर रह गए हैं और विकास का इंतजार देखा रहे हें।

मेरठ शहर के नजदीक बसा जुर्रानपुर गांव, करीब 1500 की जनसंख्या वाला यह गांव, जिसमें 1000 के करीब वोटर लोकतंत्र में भागीदारी निभाते हैं, आज भी विकास की उस दहलीज़ पर खड़ा है, जहां उम्मीदें तो हैं, लेकिन समाधान नहीं। यह गांव ना पूरी तरह गांव रह गया है, ना ही शहर का हिस्सा बन पाया है, जुर्रानपुर एक अर्द्धनगरीय उलझन में फंसकर रह गया है। जुर्रानपुर, भले ही मेरठ ब्लॉक और तहसील में आता हो, लेकिन विकास के पथ पर इसकी गिनती कहीं नहीं होती। इस गांव का पिन कोड शहरी है, आसपास के इलाके शहरी विकास की दौड़ में हैं, लेकिन जुर्रानपुर अपने हिस्से की सुविधाओं के लिए तरस रहा है। हिन्दुस्तान बोले मेरठ की टीम ने इस गांव के लोगों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की। जहां गांव के विकास को लेकर लोगों का दर्द सामने आया। पानी की निकासी बड़ी समस्या गांव के लोगों का कहना है कि यह ग्राम पंचायत में आता है। इसके चारों ओर से हाईवे गुजर रहे हैं, हापुड़ रोड को दिल्ली रोड से कनेक्ट करने वाला बिजली बंबा बाइपास इसके नजदीक से गुजर रहा है। इसके बावजूद यह इलाका विकसित नहीं हो पा रहा है। पानी की निकासी की कोई व्यवस्था पूरे गांव में नहीं है, ना ही यहां सीवर लाइन है। एक ओर जहां शहर में सीवर सिस्टम आम बात है, वहीं जुर्रानपुर में गंदे पानी की निकासी या तो खेतों में की जाती है या फिर गांव की झोड़ी में होती है। इससे न केवल स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है, बल्कि पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर होता है। बरसात के दिनों में दिक्कतें और भी बढ़ जाती हैं। दो किलोमीटर दूर से आता है पानी गांव की सबसे बड़ी जरूरत, पीने का पानी, जिसकी सप्लाई के लिए दो किलोमीटर दूर नरहैड़ा गांव में सबमर्सिबल लगाया गया है, और वहां से पाइपलाइन बिछाई गई है। लेकिन टंकी ना होने के कारण, पानी रिजर्व नहीं होता। अगर बिजली चली जाए तो पानी भी बंद रहता है। गर्मियों में जब पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब लोग बिजली और पानी दोनों के संकट से जूझते हैं। लोगों का कहना है कि पानी की व्यवस्था आसपास ही होनी चाहिए, साथ ही इसके लिए टंकी का निर्माण होना चाहिए, ताकि पानी स्टोर हो सके और बिजली जाने पर जनरेटर की सहायता से सप्लाई सुचारू की जा सके। लोगों का कहना है कि अभी पूरी तरह गांव में पानी की पाइप लाइन से कनेक्शन ही नहीं हुए। पानी भी बहुत धीरे-धीरे आता है। गांव में बने पंचायत भवन और बारात घर ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत होने के बावजूद यहां पंचायत घर नहीं है, साथ ही लोगों के विवाह शादी के लिए बारात घर भी नहीं है। अगर गरीब लोगों के लिए यहां बारात घर बनाया जाए तो राहत मिलेगी। काफी संख्या में ऐसे लोग भी गांव में हैं जिनके पास मंडप में शादी करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बारात घर उनके लिए सहारा बन सकता है। वहीं लोगों का कहना है कि गांव का श्मशान घाट भी विकसित होना चाहिए। वहां बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। श्मशान घाट का विकास किया जाए और वहां बैठने के लिए सीटें लगाई जाएं। स्कूल में भरता है पानी, आंधी में टूट गया बोर्ड गांव में प्रवेश करने के दौरान रास्ते में जुर्रानपुर प्राइमरी स्कूल पड़ता है। मेरठ ब्लॉक के इस स्कूल की स्थिति दयनीय नजर आती है। स्कूल में बरसात के दौरान पानी भर जाता है, जिसकी निकासी का जरिया भी पास में ही मौजूद झोड़ी है। यह झोड़ी स्कूल से लगी हुई है, जिसमें कीड़े-कांटे का डर बना रहता है। स्कूल का बोर्ड हाल ही आई आंधी में गिरने की स्थिति में है। जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया। वहीं गांव में मौजूद डेढ़ सौ साल पुराना पीपल के पेड़ का हिस्सा भी टूट गया। कूड़े के निस्तारण की हो व्यवस्था, बढ़ें सर्किल रेट ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कूड़े के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि यहां खसरे में कूड़ाघर भी है। पूरे गांव में एक सफाई कर्मी है, जो साफ सफाई करता है और यहां के कूड़े को खाली जगह पर फेंक देता है। लेकिन कूड़े के स्थाई निस्तारण की व्यवस्था कहीं नहीं है। लोगों का कहना है कि शहर के पास होने और अर्द्धनगरी एरिया होने के बावजूद इस इलाके का सर्किल रेट नहीं बढ़ रहा है। सरकार जो जमीन एक्वायर कर रही है उसका सर्किल रेट शहरी के हिसाब से दिया जाना चाहिए। किसान अपनी जमीन देना नहीं चाहते, इसके बावजूद उनसे आपत्ति मांगी जा रही है। समस्या - अर्द्धनगरीय होने के बाद जुर्रानपुर का विकास नहीं - पानी की लाइन है, कहीं भी सीवर लाइन नहीं है - गंदे पानी की निकासी खेतों और झोड़ी में की जाती है - कूड़े का निस्तारण करने के लिए स्थाई जगह नहीं - इस क्षेत्र के सर्किल रेट काफी समय से नहीं बढ़े हैं समाधान - शहरी क्षेत्र के हिसाब से ग्राम जुर्रानपुर का विकास हो - पानी की व्यवस्था पास में हो और सीवर लाइन बिछे - पानी की निकासी के लिए स्थाई व्यवस्था होनी चाहिए - कूड़े का निस्तारण करने के लिए स्थाई जगह मिले - सर्किल रेट बढ़ाए जाएं, ताकि ग्रामीणों को फायदा मिले बयां किया दर्द यह गांव ग्राम पंचायत में आता है, मेरठ तहसील और ब्लॉक होने के बाद भी इस क्षेत्र के सर्किल रेट छह साल से नहीं बढ़े। - पंकज भड़ाना जुर्रानपुर गांव वैसे तो अर्द्धनगरीय क्षेत्र में आता है, इसके बावजूद ना तो यह शहर में ही है और ना ही पूरी तरह गांव में। - अनुज भड़ाना गांव के कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था नहीं है, जबकि इसके लिए खसरे में जमीन भी है, जिसका समाधान होना चाहिए। - देवा सिंह भड़ाना गांव में दो किलोमीटर दूर से पानी आता है, नरहैड़ा गांव में पानी के लिए सबमर्सिबल लगाया गया है, जो बहुत दूर है। - कुलदीप भड़ाना पीने का पानी गांव तक पहुंचते-पहुंचते कम हो जाता है, पानी स्टोर करने के लिए कोई टंकी नहीं है, बिजली गुल तो पानी नहीं आता। - ओमपाल सिंह गांव में पानी की निकासी कहीं भी नहीं है, गांव के लोगों की तरफ से ही आधे गांव का पानी झोड़ी में और आधे का खेतों में डाला जाता है। - श्रीपाल भड़ाना शहर के करीब होने के बाद भी सीवर लाइन नहीं है, आजतक यह इलाका शहर और गांव के बीच फंसा हुआ है, जिसका समाधान होना चाहिए। - कपिल कुमार गांव की सबसे बड़ी जरूरत, पीने का पानी है। पानी की सप्लाई के लिए दो किलोमीटर दूर नरहैड़ा गांव से पाइपलाइन बिछाई गई है। - राजेंद्र भड़ाना इस गांव का पिन कोड शहरी है, आसपास के इलाके विकास की दौड़ में हैं, लेकिन जुर्रानपुर सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहा है। - रोबिन भड़ाना शहर में सीवर सिस्टम आम बात है, वहीं जुर्रानपुर में गंदे पानी की निकासी या तो खेतों में की जाती है या फिर गांव की झोड़ी में होती है। - नितिन भड़ाना गांव में नालियों का भी निर्माण होना चाहिए, साथ ही सीवर लाइन डाली जाए, ताकि गांव के गंदे पानी की निकासी का स्थाई समाधान हो। - पवन कुमार पानी का पाइप तो बिछा है, लेकिन उसमें पानी ही नहीं आता, बिजली भाग जाती है, तो फिर पानी कतई नहीं आता, बहुत दिक्कत होती है। - ब्रेसवती पानी की निकासी की व्यवस्था स्थाई रूप से होनी चाहिए, खेतों में भी तब तक जा रहा है, जब तक कोई विरोध नहीं करता, सीवर लाइन पड़े। - सुरेशवती गांव में कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था सुचारू होनी चाहिए, उसके लिए कोई जगह सुनिश्चित हो, ताकि गंदगी इधर-उधर ना फेंकी जाए। - मोनी भड़ाना शहरी क्षेत्र के आसपास होने के बावजूद इसके सर्किल रेट आजतक नहीं बढ़े हैं, सर्किल रेट बढ़ाए जाएं और शहरी क्षेत्र वाली सुविधाएं मिलें। - अमित भड़ाना यह पूरा एरिया शहर और गांव के बीच फंसकर रह गया है, ना तो शहर वाली सुविधाएं मिल रही हैं और ना ही यह पूरी तरह गांव रह गया। - मनु भड़ाना ------------------------------------

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