घर की फाइल में रिश्तों के पन्ने बेतरतीब
Moradabad News - हिंदी साहित्य संगम द्वारा मुरादाबाद के मिलन धर्मशाला में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की पूजा से हुआ। डॉ. महेश दिवाकर ने सम्मान की बात की, जबकि अन्य कवियों ने तंबाकू,...

साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। इसके बाद अशोक विद्रोही ने मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. महेश दिवाकर और विशिष्ट अतिथि रघुराज सिंह निश्चल और डॉ. मनोज रस्तोगी रहे। काव्य पाठ करते हुए डॉ. महेश दिवाकर ने कहा कि ‘मुझसे मेरा जीवन ले लो, पर मेरा सम्मान न छीनो। वरना मेरे स्वाभिमान की, अग्नि तुम्हें ही झुलसा देगी। जितेंद्र कुमार जौली ने कहा, तंबाकू का सेवन करके, बहुत लोग मर जाते हैं।
तंबाकू से दूर रहेंगे, चलो कसम ये खाते हैं। योगेंद्र वर्मा व्योम ने सुनाया, सुख-दुख कैसे बंट पाएं, जब बातचीत तक मौन। मोबाइल में बंद हुए सब सांकल खोले कौन। दिखता नई सदी में घर-घर कैसा दृश्य अजीब। घर की फाइल में रिश्तों के पन्ने बेतरतीब। अमर सक्सेना ने सुनाया-सत्ता के लोभ में गुमान हो जाता है अक्सर, याद रहे सत्ता बिना जनता के आती नहीं है। मंगू सिंह ने सुनाया कि, ‘जाति अपनी रहो बनाके, पर सबका सम्मान तो हो। मानव से मानव का कल्याण तो हो। प्रशांत मिश्र ने कहा, ‘जिंदगी एक शाम बन जाती है, जो सवेरा होने के, इंतजार में ढलती जाती है। अशोक विद्रोही ने ‘जैसे जली स्वर्ण की लंका, रावण का अभिमान जला। तहस नहस आतंकी अड्डे धूधू पाकिस्तान जला सुनाया। डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा कि, ‘बीत गए कितने ही वर्ष, हाथों में लिए डिग्रियां, कितनी ही बार जलीं आशाओं की अर्थियां। कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी व संचालन संस्था के संगठन मंत्री डॉ. प्रशांत मिश्र ने किया। महासचिव जितेंद्र कुमार जौली ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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