बोले मुजफ्फरनगर:नर्सरी संचालक सुविधाओं के अभाव में आर्थिक तंगी झेलने को मजबूर
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शहर में करीब 20 से ज्यादा छोटे-बड़े नर्सरी संचालक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इन नर्सरी में करीब 500 लोग काम कर रहे है। नर्सरी संचालक सब्सिडी और पौधों की सरकारी खरीद की मांग कर रहे हैं। हाल के वर्षों में हरियाली और पौधरोपण के प्रति लोग जागरूक हुए हैं। इस कारण पौधों की डिमांड बढ़ी है। लेकिन, नर्सरी संचालकों का कहना है कि प्रशासन उनकी नर्सरी से पौधों की खरीद के साथ ही भुगतान की व्यवस्था करें और उन्हें सब्सिडी और आधुनिक तकनीक की जानकारी मिले। हर साल के पौधरोपण अभियान में उन्हें भी शामिल किया जाए तो उनके कारोबार में भी हरियाली आ सकती है।
--------------- रुड़की रोड पर ‘हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में नर्सरी संचालकों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। राम नर्सरी के संचालक ने बताया कि शहर में करीब 20 से ज्यादा छोटी-बड़ी नर्सरी हैं, जिनके संचालक खुद अपने यहां पौधे तैयार कराते हैं। शहर में मौजूद नर्सरी में आम, अमरूद, जामुन, सफेदा से तमाम किस्म के पेड़-पौधे उगाए जाते हैं। जबकि सरकार द्वारा चलाने वाले पौधारोपण अभियान में नर्सरी संचालकों से कुछ ही पौधे खरीदे जाते हैं, लेकिन उनका समय से भुगतान नहीं किया जाता है। जिस कारण नर्सरी के संचालन में आर्थिक रूप से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जबकि प्राइवेट नर्सरी संचालकों के यहां हर तरह के पौधे उपलब्ध होते हैं। शहर के अधिकांश नर्सरी संचालक जमीन के अभाव में खुद पौधे नहीं उगा पाते हैं। वे ग्राहकों की डिमांड पर अन्य जनपद या राज्य से पौधे मंगाते हैं। घर के अंदर-बाहर सजाने वाले 150 तरह के पौधों की डिमांड पूरी करते हैं। छोटे नर्सरी संचालकों को पौधों को जिंदा रखने के लिए दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है। वहीं बड़े नर्सरी संचालक फलदार के अलावा विभिन्न प्रकार की सब्जी के भी पौधे तैयार करते हैं। --------------- -- अन्य जिलों में भी बढ़ रही है पौधों की डिमांड नर्सरी संचालक राजवीर सिंह ने बताया कि सरकारी मदद के बिना 31 काफी दिनों से नर्सरी का संचालन कर रहे हैं। यूपी के अलावा अन्य जिलों में भी पौधों की डिमांड बढ़ने से वर्तमान में नर्सरी का विस्तार करने के लिए आर्थिक रूप से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। सहारनपुर, शामली, बागपत, मेरठ और बिजनौर के नर्सरी संचालक और किसानों को पौधों की आपूर्ति की जाती है। अधिकांश किसानों के यहां सब्जी और आम, अमरूद की बागवानी के लिए पौधों की सप्लाई की जाती है। ग्राहकों की डिमांड पर नर्सरी में पौधे उगाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे यहां क्वालिटी के पौधे उगाए जाते हैं। इसलिए पौधों की कीमत भी महंगी होती है। -------------- -- बंदर कर देते हैं पेड़ पौधों को नष्ट नर्सरी संचालक मेनपाल ने बताया कि बंदरों के उत्पात से पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं। यही कारण हैं कि पौधे के शौकीन लोग बंदरों के आतंक के चलते कम पौधे खरीद रहे हैं, क्योंकि छतों या गार्डन में पौधे लगाने के बाद बंदर नष्ट कर देते हैं। घरों के अंदर और बाहर लगने वाले पौधों में प्रमुख रूप से स्नेक प्लांट, रबर प्लांट, डाइफन, आरिका पाम, एग्लोनिया, बेसिया, चाइना डाल सहित 150 तरह के पौधे शामिल हैं। ये पौधे 80 से डेढ़ सौ रुपये मूल्य तक के होते हैं। कुछ लोग जाली लगाकर पौधों से घरों को सजा रहे हैं, लेकिन यह काफी महंगा पड़ता है। ------------- -- सरकारी स्तर से नहीं की जाती पौधों की खरीद नर्सरी संचालक विनीत प्रताप सिंह ने बताया कि सरकारी स्तर पर नर्सरी संचालकों की उपेक्षा की जाती है। सरकारी विभाग पौधरोपण अभियान के दौरान पहले उनकी नर्सरी से पौधे खरीदते थे, लेकिन अब उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है। हालांकि जो पौधे सरकारी विभाग द्वारा खरीदे भी जाते हैं, उनका समय से भुगतान नहीं किया जाता हैं, जिस कारण नर्सरी उद्योग प्रभावित हो रहा है। आम तौर पर सामान्य लोग ही पौधे खरीदने आते हैं। सरकार की खरीद पर उचित मूल्य के साथ समय से भुगतान मिले तो कारोबार को उड़ान मिल सकती है। नर्सरी संचालकों द्वारा बीज की खरीद पर सब्सिडी दिए जाने की मांग कई बार की जा चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं होने से नर्सरी संचालकों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। ------------- -- कम दरों पर मिले ऋण तो कारोबार भरे उड़ान शहर की विभिन्न नर्सरी के संचालक आर्थिक तंगी झेलने को मजबूर हैं, गर्मी के मौसम में पेड़-पौधों की खरीद में कमी और होने वाले नुकसान से काफी दिक्कतें सामने आती हैं। विभिन्न किस्मों के सजावटी पौधों की डिमांड पूरी करने और लेवर का समय से भुगतान करने के लिए नर्सरी संचालकों को कम दरों पर ऋण की आवश्यकता है। वहीं पेड़-पौधे उगाने के लिए खरीदे जाने वाले बीज पर सब्सिडी की सुविधा नहीं मिलने के कारण भी नर्सरी संचालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। सरकार से बीज खरीद पर सब्सिडी और कम दरों पर ऋण की मांग नर्सरी संचालक कर रहे हैं। ------------- --- शिकायतें और सुझाव --- शिकायतें -- 1. बाहर की मंडी से पौधे मंगवाने पर पौधे टूट जाते हैं, जिससे नर्सरी संचालकों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। 2. शहर में मौजूद नर्सरी से सरकारी स्तर पर पौधों की खरीद नहीं की जाती हैं, जिस कारण नर्सरी संचालक उचित मूल्य से वंचित रह जाते हैं। 3. सरकारी नर्सरी में प्राइवेट नर्सरी संचालकों की डिमांड पर पौधे नहीं उगाए जाते, जिस कारण उन्हें बाहर से पौधे मंगवाने पड़ते हैं। 4. नर्सरी संचालकों को पौधों की देखरेख के लिए उचित प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है, न ही बीज की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है। सुझाव -- 1. बाहर की मंडी से पौधे मंगवाने पर पौधे टूट जाते हैं, जिसके लिए सरकार द्वारा नर्सरी संचालकों बीमा योजना का लाभ दिया जाना चाहिए। 2. प्रशासन द्वारा प्राइवेट नर्सरी से सरकारी स्तर पर पेड़-पौधों की खरीद के लिए योजना तैयार करनी चाहिए, जिससे उन्हें पेड़-पौधों के उचित दाम मिल सके। 3. सरकारी नर्सरी में प्राइवेट नर्सरी संचालकों की डिमांड पर पौधे उगाए जाने चाहिए, जिससे उन्हें बाहर से पौधे मंगवाने के झंझट से राहत मिल सके। 4. नर्सरी संचालकों को पेड़-पौधों की देखरेख के लिए उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, वहीं सरकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के साथ दिया जाना चाहिए। ---------------- -- बोले जिम्मेदार विभाग की तरफ से किसानों और नर्सरी संचालकों को समय-समय पर पौधारोपण के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है, वही नर्सरी संचालकों के प्रस्ताव पर उन्हें अलग से प्राथमिकता के साथ प्रशिक्षण दिया जाएगा। विभाग में पंजीकृत नर्सरी संचालकों को सरकारी की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रमुखता के साथ उपलब्ध कराया जाता है। अरुण कुमार, जिला उद्यान अधिकारी ----------- -- सुने हमारी बात सरकार द्वारा चलाए जाने वाले पौधारोपण अभियान में खरीदे जाने वाले पेड़ पौधों का भुगतान समय से नहीं हो पाता है, जिस कारण नर्सरी संचालकों को आर्थिक रूप से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अंकित पाल ----------- कड़ी मेहनत और रखरखाव से नर्सरी संचालक पेड़-पौधों को तैयार करते हैं, जिस कारण उत्तम गुणवत्ता के कारण दाम में भी बढ़ोतरी करनी पड़ती है। राजवीर सिंह ----------- गर्मी के कारण पौधों को डिमांड में कमी आई है, नर्सरी संचालक बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार से सब्सिडी की सुविधा उपलब्ध हो तो राहत मिल सकती है। छोटा ----------- बंदरो के आतंक के कारण पेड़ पौधों नष्ट हो जाते हैं, जिस कारण आर्थिक रूप से नर्सरी संचालकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। मुरली ----------- सरकार स्तर से पेड़-पौधों की खरीद नहीं होने के कारण काफी समस्याएं सामने आती हैं, जिस कारण पौधों के उचित दाम मिलने से वंचित रहना पड़ता है। मैनपाल ----------- सरकारी नर्सरी में प्राइवेट नर्सरी संचालकों की डिमांड पर पौधे उगाए जाने चाहिए, जिससे बाहर से पौधे मंगवाने के झंझट से छुटकारा मिल सके। विनीत प्रताप सिंह ----------- नर्सरी संचालकों को पौधों की देखरेख के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, जिससे बदलते मौसम के साथ ही पौधों में होने वाले नुकसान से बचा जा सके। इनाम ----------- नर्सरी संचालन के लिए सरकार द्वारा कम दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जिससे आर्थिक रूप से दिक्कतों का सामना न करना पड़े। इकराम ----------- गर्मी के मौसम में पेड़-पौधों की ज्यादा खरीद नहीं हो पाती है, जिस कारण लेवर को भी खुद से ही पैसों का भुगतान करना पड़ता है। जमिल ----------- बंदरो के आतंक से नाजुक और सजावटी पौधे नष्ट हो जाते हैं, जिस कारण नर्सरी संचालकों को आर्थिक रूप से नुकसान का सामना करना पड़ता है। सन्नवर ----------- नर्सरी संचालकों द्वारा बीज की खरीद पर सरकार को सब्सिडी उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे खुद ही नर्सरी में पौधे उगाए जा सके। सुहैल
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