अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस: नृत्य में पारंगत होकर औरों को भी प्राचीन विधाओं की दे रहे शिक्षा
Orai News - उरई। शहर के निजी डांस एकेडमी में नृत्य की अलग-अलग विधाओं को सीख कर अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस: नृत्य में पारंगत होकर औरों को भी प्राचीन विधाओं की दे रह

उरई। शहर के निजी डांस एकेडमी में नृत्य की अलग-अलग विधाओं को सीख कर युवक युवतियों जिले से लेकर प्रदेश और देश में बेहतर परफॉर्मेंस कर नृत्य में दूसरों को भी पारंगत कर रहे हैं। लेकिन सरकारी स्तर पर यहां कोई भी डांस एकेडमी की ना तो सुविधा है और ना ही संसाधन मौजूदा समय में उपलब्ध हैं। जिले में संगीत और नृत्य में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है बस जरूरत है उन्हें निखारने की। लेकिन सरकारी स्तर पर जनपद में कोई भी डांस एकेडमी ना होने से तमाम प्रतिभाएं नृत्य के क्षेत्र में कैरियर बनाने से पहले ही विलुप्त हो जाती हैं। ऐसे में युवाओं को डांस में पारंगत होने के लिए निजी डांस एकेडमी का सहारा लेना पड़ रहा है। लेकिन इन डांस एकेडमी में भी संसाधनों की जितनी दरकार होनी चाहिए उतने यहां उपलब्ध नहीं होते हैं। इसके बावजूद शहर के युवक युवतियों में फोक डांस, वेस्टर्न डांस, लोक डांस और कथक जैसी प्राचीन विधाओं में पारंगत होकर नृत्य के क्षेत्र में एक प्लेटफार्म तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। शहर में 20 साल से स्थापित नटराज डांस एकेडमी में अब तक हजारों युवक युवतियों डांस में पारंगत होकर यह विद्या औरों को देकर आगे बढ़ा रहे हैं।
सरकारी स्तर पर नृत्य की प्रतिभा को बढ़ाने के नहीं सुविधा और संसाधन : जिले में सरकारी स्तर पर नृत्य के लिए प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की न कोई सुविधा है और ना ही संसाधन मौजूदा समय में उपलब्ध हैं। ऐसे में नृत्य के क्षेत्र में युवक युवतियां आगे बढ़ने की चाह में मायूस हो रहे हैं।
12 साल से प्राचीन विद्या कथक नृत्य में बच्चों को पारंगत कर रहीं डॉ सुमिति श्रीवास्तव: शास्त्रीय नृत्य में 12 साल से बच्चों को पारंगत कर रही मशहूर कथक नृत्यांगना डॉ सुमिति श्रीवास्तव का कहना है आधुनिकता के दौर में जहां इंसान को एक दूसरे से बात करने तक का समय नहीं है। वहां पर अपनी कला संगीत की जड़ों से दूर होते जा रहे दौर में भारतीय शास्त्रीय नृत्य की कत्थक क्लास कला भूमि का संचालन करने वाले शिक्षक से प्रेरित होकर यह आभास होता है कि किस प्रकार हमारी जड़ों को संरक्षित किया जाए। वह जहां भी रहे वहां अपनी कला का एक दीपक तो जरूर जलाएं।
नृत्य में युवाओं को मिले अच्छा प्लेटफार्म तो निखरेंगी प्रतिभाएं : कथक को आगे बढ़ाने के लिए हमे समय समय पर कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए। हम अपने क्षेत्र में शास्त्रीय व लोक नृत्य कलाकारों को बुला कर हमारे क्षेत्र के बच्चों और युवाओं को इनकी महत्वता समझानी पड़ेगी। जिससे नृत्य कला शादी विवाहों तक सीमित न रहे बल्कि इस कला को एक मंच मिले। सरकार को चाहिए वो बुंदेलखंड के सभी क्षेत्रों में एक संस्था के माध्यम से समय समय पर कलाकारों को भेज कर यहां के क्षेत्रों को भी नृत्य कला से समृद्ध करे।
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