Street Food Vendors in Sitapur Face Challenges Amidst Growing Popularity बोले सीतापुर -स्वाद का सफर, मुश्किलों की डगर, Sitapur Hindi News - Hindustan
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बोले सीतापुर -स्वाद का सफर, मुश्किलों की डगर

Sitapur News - सीतापुर में स्ट्रीट फूड विक्रेता पारंपरिक खाने के स्थान पर तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। लेकिन उन्हें स्थान, स्वास्थ्य, और सरकारी नियमों जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विक्रेताओं को अपने...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतापुरSun, 18 May 2025 05:36 PM
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बोले सीतापुर -स्वाद का सफर, मुश्किलों की डगर

सीतापुर। किसी भी शहर का खान-पान वहां की सांस्कृतिक और वैभव का प्रतीक माना जाता है। आज के अधुनिक युग में पुराने और पारंपरिक पकवानों की जगह स्ट्रीट फूड ने ले ली है। शहर से लेकर कस्बों की गलियों और चौक-चौराहों पर सजी स्ट्रीट फूड के स्टालों से उठती फस्टफूड की भीनी-भीनी महक हर आम-ओ-खास को बरबस की अपनी खींचती है। लेकिन सट्रीट फूड की इस रंगीन और स्वादिष्ट दुनिया के पीछे कई चुनौतियां और परेशानियां भी छिपी हुई हैं, जिनसे शहर के स्ट्रीट फूड विक्रेता जूझ रहे हैं। दैनिक जीवन की अनिश्चितताओं से लेकर सरकारी नियमों की जटिलताओं तक, इन विक्रेताओं का सफर आसान नहीं है।

स्ट्रीट फूड वेंडरों ने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है स्थान की समस्या। शहर के प्रमुख इलाकों में अपने स्टाल लगाने के लिए विक्रेताओं को अक्सर कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। नगर पालिका द्वारा निर्धारित स्थान सीमित होते हैं और उन पर अपना हक जमाए रखना एक सतत संघर्ष बना रहता है। कई बार अतिक्रमण विरोधी अभियानों के नाम पर उनकी ठेलियां हटा दी जाती हैं, जिससे उनका व्यवसाय क्षण भर में ठप हो जाता है और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। वैकल्पिक स्थानों की कमी और मनमानी वसूली भी इस समस्या को और गंभीर बना देती है। इसके अलावा आधारभूत सुविधाओं की कमी भी इनके लिए बड़ी चुनौती है। ज्यादातर स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के पास स्वच्छ पानी, शौचालय और कचरा निस्तारण जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव होता है। उन्हें अक्सर खुले में ही खाना बनाना और बेचना पड़ता है, जिससे स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बने रहते हैं। ग्राहकों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था न होने के कारण भी उन्हें परेशानी होती है, खासकर गर्मी और बरसात के मौसम में। स्ट्रीट फूड विक्रेता अक्सर दैनिक आय पर निर्भर करते हैं। खराब मौसम, त्योहारों या किसी अप्रिय घटना के कारण यदि बिक्री कम हो जाती है, तो उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो जाता है। ऋण प्राप्त करना जटिल प्रक्रिया, संक्रमण का खतरा भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करना भी उनके लिए एक कठिन प्रक्रिया है, क्योंकि उनके पास अक्सर कोई ठोस जमानत या नियमित आय का प्रमाण नहीं होता। साहूकारों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना उनकी आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर देता है। स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी चिंताएं भी इस व्यवसाय के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। खुले में भोजन बनाने और बेचने के कारण खाद्य पदार्थों में मिलावट और संक्रमण का खतरा बना रहता है। कई विक्रेता कम लागत वाले और निम्न गुणवत्ता वाले सामग्री का उपयोग करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे ग्राहकों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जागरूकता की कमी और प्रभावी निगरानी तंत्र के अभाव के कारण यह समस्या और बढ़ जाती है। आपसी प्रतिस्पर्धा भी स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के लिए एक बड़ा सिरदर्द है। जिससे प्रत्येक विक्रेता के लिए ग्राहकों को आकर्षित करना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, बड़े रेस्टोरेंट और फूड चेन भी अब किफायती विकल्पों के साथ बाजार में उतरने से इनकी मुश्किलों में इजाफा हुआ हैं, जिससे छोटे विक्रेताओं के लिए प्रतिस्पर्धा और कठिन हो गई है। सरकार और स्थानीय प्रशासन इन स्ट्रीट फूड विक्रेताओं की समस्याओं को समझें और उनके लिए सहायक नीतियां बनाएं। उन्हें उचित स्थान, बुनियादी सुविधाएं और आसान ऋण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए। व्यवसाय और भी फल-फूल सकता है स्ट्रीट फूड व्यवसाय न केवल स्वाद का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता और उद्यमशीलता का भी उदाहरण है। यदि इन विक्रेताओं को उचित समर्थन और अवसर मिले, तो यह व्यवसाय और भी फल-फूल सकता है और शहर की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण योगदान जारी रख सकता है। उनके स्वाद के सफर को मुश्किलों का डगर बनने से रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। इन तमाम मुश्किलों के बावजूद, सीतापुर के स्ट्रीट फूड विक्रेता अपनी मेहनत और लगन से इस व्यवसाय को चला रहे हैं। वे न केवल अपने परिवारों का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उनका स्वादिष्ट भोजन शहर की पहचान है और हर आने-जाने वाले को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। स्ट्रीटफूड वेंडरों ने बताया कि सरकारी नियमों और लाइसेंसिंग प्रक्रिया की जटिलता भी एक बड़ी बाधा है। कई विक्रेताओं को लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है, और जो प्रक्रिया जानते हैं, उनके लिए भी यह काफी लंबी और जटिल साबित होती है। विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना और बार-बार नवीनीकरण कराना उनके लिए एक थकाऊ और महंगा काम है। इनकी मांग है कि लाइसेंस लेने के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और अन्य बुनियादी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों तो कारोबार में आसानी हो। कचेहरी के पास लगती भीड़ शहर के कचेहरी के पास की मार्केट स्ट्रीट फूड के दीवानों के लिए स्वर्ग साबित हो रही है। यहां के चटपटे और स्वादिष्ट फास्ट फूड ने लोगों को अपना मुरीद बना लिया है। सुबह से लेकर देर रात तक इस मार्केट में खाने-पीने वालों की खूब भीड़ रहती है। यहां के गोलगप्पे तो इतने मशहूर हैं कि लोग दूर-दूर से इनका स्वाद लेने आते हैं। तीखे और मीठे पानी के साथ जब आलू और चने से भरी पूरी मुंह में घुलती है, तो स्वाद का एक अलग ही अनुभव होता है। इसके अलावा, यहां के चाट-पकौड़ी,मामोज,चिली पनीर,चाऊमिन,बर्गर,मंसूरियन-फ्राईड राईस और समोसे भी लोगों को खूब पसंद आते हैं। कुरकुरे समोसों के साथ चटनी का स्वाद लाजवाब होता है। इसके लालबाग चौराहे के पास साउथ इंडियन इडली और डोसे भी लोगों का खूब पसंद आते हैं। शाम होते ही मार्केट और भी गुलजार हो जाती है, जब टिक्की और बर्गर के स्टॉल सज जाते हैं। यहां के मसालेदार टिक्की और विभिन्न प्रकार के बर्गर युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वहीं, कुछ स्टॉलों पर गरमागरम मोमोज और स्प्रिंग रोल भी मिलते हैं, जिनका स्वाद ठंड के मौसम में और भी बढ़ जाता है। इस मार्केट की सबसे खास बात यह है कि यहां हर तरह के बजट वाले लोगों के लिए कुछ न कुछ जरूर मिलता है। किफायती दामों पर इतना स्वादिष्ट और विविधतापूर्ण खाना मिलना, इस मार्केट को शहर के लोगों के बीच और भी लोकप्रिय बनाता है। यही वजह है कि कचेहरी पास की यह मार्केट स्ट्रीट फूड के शौकीनों के लिए एक पसंदीदा ठिकाना बन चुकी है। सुझाव स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के लिए विशेष वेंडिंग जोन निर्धारित किए जाएं। लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाया जाए। मोबाइल फूड कार्ट को बढ़ावा दिया जाए, जो कि एक स्थान से दूसरे स्थान जा सके। फास्ट फूड विक्रेताओं को अपने संघ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। आसान शर्तों पर किफायती ऋण और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए। शिकायतें स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के लिए विशिष्ट वेंडिंग जोन निर्धारित नहीं है। लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया काफी जटिल और धीमी है। मोबाइल फूड कार्ट केी कोई व्यवस्था नहीं है। स्ट्रीट फूड विक्रेताओं का अपना कोई संगठन नहीं है। स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। बैंकों से कर्ज लेने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। प्रस्तुति- अविनाश दीक्षित

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