ग्राम पंचायत अधिकारी सस्पेंड, सप्ताह के भीतर डीएम की तीसरी बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के गोंडा डीएम नेहा शर्मा ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में एक और ग्राम पंचायत अधिकारी को निलम्बित कर दिया गया है।

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के गोंडा डीएम नेहा शर्मा ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में एक और ग्राम पंचायत अधिकारी को निलम्बित कर दिया गया है। आरोप है कि संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारी ने पहले इण्टरलॉकिंग के नाम पर पैसे निकाल लिए और धनराशि आहरित करने के बाद आनन-फानन में कार्य कराया जिसके चलते टेंडर, कोटेशन एवं वित्तीय नियमों का पालन नहीं किया गया। खण्ड विकास अधिकारी बेलसर को इस प्रकरण की जांच सौंपी गई है।
डीएम नेहा शर्मा की भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सप्ताह के भीतर तीसरी बड़ी कार्रवाई है। शुक्रवार को रिश्वत लेने के आरोप में ग्राम पंचायत रायपुर में तैनात तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी अनिल कुमार वर्मा को निलंबित किया गया था। वहीं, भ्रष्टाचार के मामले में ग्राम पंचायत दुल्हमपुर, विकासखण्ड इटियाथोक के तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी पंकज कुमार मौर्या, तत्कालीन तकनीकी सहायक दिनेश दत्त शुक्ल और तत्कालीन ग्राम प्रधान ऊषा देवी को दोषी पाए जाने पर वसूली और एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई की गई है।
नोटिस के बाद भी नहीं दिया स्पष्टीकरण
मामला ग्राम पंचायत कुर्था विकासखण्ड करनैलगंज से जुड़ा है। जिला विकास अधिकारी के स्तर पर इस पूरे प्रकरण की जांच कराई गई थी। चार अक्टूबर को प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारी को अनियमितता के लिए दोषी पाया गया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राम पंचायत कुर्था में आरसीसी सड़क से राम के घर तक इण्टरलॉकिंग कार्य के लिए 2 लाख 66 हजार 565 रुपये का आहरण किया गया। इस कार्य के लिए धनराशि आहरित करने के बाद आनन-फानन में काम कराया गया। जिस कारण टेण्डर, कोटेशन एवं वित्तीय नियमों का पालन नहीं किया गया। जिसके लिए ग्राम पंचायत अधिकारी अरुण कुमार सिंह को दोषी पाया गया। इस प्रकरण में बीती 21 अक्टूबर को संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारी को नोटिस भी जारी किया गया लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया था ।
विकासखण्ड कार्यालय से सम्बद्ध किए गए
आरोपों की पुष्टि होने पर संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारी को निलंबित किया गया है। खण्ड विकास अधिकारी बेलसर को इस पूरे प्रकरण में जांच अधिकारी नामित किया गया है। साथ ही निलम्बन अवधि के दौरान अरुण कुमार सिंह को विकासखण्ड कार्यालय हरधरमऊ से सम्बद्ध कर दिया गया है। डीएम ने बताया कि भ्रष्टाचार किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।