यूपी में डॉक्टरों-स्टाफ नर्स के तबादलों में समय सीमा खत्म, शासनादेश जारी
उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों-स्टाफ नर्स के तबादलों में समय सीमा खत्म कर दिया। अब एक जिले या मंडल में तीन साल या सात साल का समय होने पर उनके तबादले नहीं किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा विभागों ने इन चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ को तबादले के लिए जारी शासनादेश की समय सीमा से छूट दे दी है। अब एक जिले या मंडल में तीन साल या सात साल का समय होने पर उनके तबादले नहीं किए जाएंगे। तीन, पांच और सात साल की जिले और मंडल में सेवा अवधि केवल सीएमओ, एसीएमओ और सीएमएस, प्रमुख अधीक्षक और निदेशकों पर ही लागू होंगे।
कार्मिक विभाग ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए छह मई को वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक स्थानांतरण नीति का शासनादेश जारी किया था। इसमें समूह क व ख के जो अधिकारी जिले में तीन साल और मंडल में सात साल पूरे कर चुके हों उन्हें जिले और मंडल से बाहर ट्रांसफर किए जाने की व्यवस्था तय की गई थी। इसे स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए शिथिल किया गया है। इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने शुक्रवार को दो संशोधित शासनादेश जारी किए।
स्वास्थ्य विभाग में ऐसे सीएमओ व एसीएमओ जो किसी जिले में तीन और मंडल में सात साल से तैनात हैं, उन्हें संबंधित जिले व मंडल से अन्यत्र ट्रांसफर किया जाएगा। किसी जिले या मंडल में पाच साल या उससे अधिक समय से तैनात सीएमएस, प्रमुख अधीक्षक या निदेशक भी स्थानांतरित किए जाएंगे। पांच साल से मंडल में तैनात संयुक्त निदेशकों के भी तबादले होंगे। वहीं केवल चिकित्सक के रूप में तैनात डॉक्टर व नर्सिंग अधिकारी (स्टाफ नर्स) को उनके सेवाकाल के आधार पर अनिवार्य रूप से जिले या मंडल से बाहर स्थानांतरित करने की बाध्यता नहीं होगी। जबकि सीएमओ के अधीन सीएचसी व पीएचसी पर तीन वर्ष से तैनात अधीक्षक को उसी जिले में अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया जाए। वहीं आकांक्षात्मक जिलों एवं ब्लाकों में अधिकाधिक कार्मिक तैनात किए जाएंगे। हालांकि प्रशासनिक दृष्टि से कभी भी स्थानांतरण किए जा सकेंगे।
इसी तरह मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षकों व नर्सिंग स्टाफ के लिए भी केवल सेवाकाल के आधार पर अनिवार्य रूप से जिले व मंडल से बाहर भेजे जाने की बाध्यता खत्म कर दी गई है। इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य, महानिदेशक परिवार कल्याण और महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं।