हाईवे पर डस्ट-गिट्टी डालकर छोड़ी, धूल के गुब्बार से फूल रही सांस
Unnao News - उन्नाव में कानपुर-लखनऊ हाईवे की स्थिति अत्यंत खराब है। पूर्णागिरि मंदिर से दही थाने के बीच 700 मीटर में 150 से अधिक गड्ढे हैं। सड़क पर धूल के गुब्बार से वाहन चालकों को परेशानी हो रही है, दुर्घटनाएँ...

उन्नाव, संवाददाता। शहर से सटे इलाके में हाईवे पर वाहन चलने के लायक नहीं हैं। कानपुर- लखनऊ हाईवे पर पड़ने वाले पूर्णागिरि मंदिर से लेकर दही थाने तक 700 मीटर सड़क पर डेढ़ सैकड़ा से अधिक गड्ढे हैं। 20 दिनों से परत उधड़ी पड़ी है, धूल का गुब्बार वाहन स्वामियों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। दुर्घटना का शिकार भी हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों के कानों में जू तक नहीं रेंग रह है। लोग कहते हैं कि वह मनमाने तरीके से लेयर चढ़ाने का काम कर रहे हैं। बाईपास से नवाबगंज तक 16 किलोमीटर क्षेत्र में तीन जगह सड़क नहीं बनाई गई। जाजमऊ से बनी बार्डर तक लखनऊ-कानपुर हाईवे की लंबाई करीब 82 किलोमीटर है। अत्यधिक यातायात वाला यह हाईवे कई साल से खस्ताहाल है। पिछले दिनों राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सड़क बनवाने के साथ ही मार्ग को यात्री सुविधाओं से लैस करने के लिए जीएस एक्सप्रेस निर्माण एजेंसी को 92 करोड़ का ठेका अक्टूबर 2024 में दिया था। दीवाली के वक्त काम शुरू हुआ था। लक्ष्य था कि होली के पहले दोनों छोर के हाईवे दुरुस्त कर दिए जाएंगे। एक लेयर चढ़ाने का काम जैसे ही पूरा होगा, वैसे ही दूसरी लेयर बॉर्डर से चढ़ाई जाने लगेगी, लेकिन इसमें लेटलतीफी हुई। लक्ष्य के सापेक्ष काम पूरा करने की जल्दबाजी में काम आधा अधूरा छोड़ आगे बढ़ गए। कानपुर- लखनऊ हाइवे से जुड़े पूर्णागिरि मंदिर के आगे से लेकर दही थाने तक तकरीबन 600 मीटर सड़क जर्जर पड़ी है। परत उधड़ गई है। बीस दिनों से उधड़ी सड़क से गुजर रहे राहगीर धूल के गुब्बार में फंसकर चोटिल हो रहे हैं, लेकिन इस सड़क पर नई परत चढ़ाने का काम शुरू नहीं हुआ है। आगे बढ़ने पर बाशिरतगंज के पास 200 मीटर परिक्षेत्र में सड़क जर्जर हालातों में रही। गौरतलब है कि हाईवे की बदहाली पर दो माह पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर तंज कसा था। इसके बाद काम में तेजी आई थी और सूरत बदलने की कवायद शुरू की गई थी।
तीन जगह चल रहा निर्माण कार्य
असल में, लखनऊ कानपुर व कानपुर-लखनऊ हाइवे का 160 किलोमीटर परिक्षेत्र उन्नाव सीमा में पड़ती है। इनदिनों गंगाएक्सप्रेसवे के अलावा लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे का काम चल रहा है। सोनिक, आजाद मार्ग के अलावा बाशिरतगंज में निर्माण कार्य चल रहा। इसी वजह से हाईवे पर उड़ रही धूल के राहगीरों के सफर में खलल डाल रही है। बड़े वाहनों व तेज हवा से उठने वाले धूल के गुबार से दृश्यता शून्य हो जाती है। मजबूरी में चालकों को वाहन खड़े कर धूल छंटने का इंजतार करना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इससे निजात के लिए कोई पहल करता हुआ नहीं दिख रहा है।
डेंजर जोन में बचाव के प्रयास नाकाफी
जरूरी बन चुके व्यस्ततम लखनऊ-कानपुर हाईवे पर अव्यवस्थित पटरियों और डेंजर जोन में हादसे से बचाव तक के इंतजाम नहीं दिखते हैं। जगह-जगह पटरियों पर गड्ढों उभर आए हैं। तमाम जगहों पर मार्ग पर धूल की मोटी परत जमी हुई है। जब बड़े वाहन मार्ग से गुजरते हैं तो यह धूल उड़कर धुंध में बदल जाती है। इससे पीछे आ रहे वाहनों को रुकना पड़ता है। वाहन चालक गाड़ी रोककर धूल के छंटने का इंतजार करते हैं, जबकि मोटरसाइकिल सवार की आंखों में धूल के कण घुस जाते हैं। इससे उन्हें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह कण सांस के द्वारा फेफड़ों में जाकर सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
वर्जन:
एक लेयर का काम अगले पांच दिनों में पूरा हो जाएगा। तुरंत बाद दूसरी लेयर चढ़ाई जाएगी। गंगा एक्सप्रेसवे के ब्रिज और आरओबी के निकट कुछ सड़क नहीं बन पाई है। एक बार दोबारा सर्वे कराएंगे। जहां जरूरत लगेगी, वहां लेयर चढ़ाई जाएगी।
सौरभ चौरसिया, पीडी- एनएचएआई
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।