बोले काशी- गांव हो या शहर, बिना सख्ती नहीं छूटेगी नशे की लत
Varanasi News - वाराणसी में ग्रीन आर्मी ने नशामुक्ति अभियान के तहत महिलाओं को जागरूक किया है। कई महिलाओं ने नशे के खिलाफ आवाज उठाई और पुलिस की मदद से पतियों को सुधारने में सफलता पाई। ग्रीन आर्मी अब 220 गांवों में...
वाराणसी। ‘पति अक्सर नशे में लड़खड़ाते हुए आते थे। घर-पड़ोस से ताना सुनते थे। बच्चों पर गलत असर पड़ रहा था। आर्थिक हालात खराब हो रही थी। मैंने कई बार कसम दिलाई तो बदले में पिटाई हुई। फिर, पुलिस से शिकायत की और ‘उन्हें जेल भेजवा दिया। दो माह बाद ‘वो जेल से निकले तो बदल चुके थे। उस वाकये के बाद कई पतियों ने तौबा कर ली नशे से। तय मानिए-गांव हो या शहर, बिना सख्ती के नशाखोरी नहीं छूटती-एक महिला का अनुभव ग्रीन आर्मी की सोच बन चुका है। विश्व तंबाकू दिवस (31 मई) के परिप्रेक्ष्य में ग्रीन आर्मी की सदस्यों के अनुभव और उनकी व्यावहारिक कार्यशैली नशामुक्ति अभियान को सही दिशा दे सकता है, उसे प्रभावी बना सकता है।
ग्रीन आर्मी की भूमिका सन-2015 में बनी। तब होप वेल्फेयर ट्रस्ट से जुड़े बीएचयू के विद्यार्थियों का ग्रुप रोहनिया क्षेत्र के खुशियारी गांव में नशाखोरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहा था। ग्रुप में शामिल छात्राओं ने नशा पीड़ित परिवारों की महिलाओं की आपबीती सुनी, उन्हें प्रतिरोध के लिए मानसिक रूप से तैयार किया। शुरुआत में कुछ साहसी महिलाओं ने गांव में या पास की चट्टी पर गुटखा-सिगरेट और तंबाकू की दुकानों पर हल्ला बोला। वहां बैठने वाले लती लोगों की सार्वजनिक भर्त्सना शुरू की। उसका असर पड़ा। 03 जनवरी-2015 को खुशियारी में ग्रीन आर्मी की नींव पड़ी। हरी साड़ी आर्मी की ड्रेस बनी। अब तो बनारस के अलावा मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर, बलिया,जौनपुर, अयोध्या, फिरोजाबाद सहित अन्य जिलों के 220 गांवों में ग्रीन आर्मी की सदस्य मिलेंगी। इन दिनों आर्मी काशी विद्यापीठ ब्लॉक के देउरा गांव में सक्रिय है। सामाजिक बदलाव के लिए जरूरी कई काम लेकर। देउरा में ही ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में सदस्यों ने कहा कि एक बार किसी को नशे की लत लग गई तो उसे छुड़ाना गंभीर चुनौती होती है। समझाने-बुझाने के अलावा सख्ती भी जरूरी है। निर्मला देवी, मंजु देवी, बिंदु, राधा देवी ने अनुभव बताए कि गांव-गांव नशे के खिलाफ जनजागरण के दौरान अनेक लोग समझाने पर माने। हमारी बातों का कम असर होता देख हमने पुलिस की मदद ली। उसके सकारात्मक परिणाम आए। सैकड़ो लोग नशा से तौबा कर चुके हैं। पैकेट की चेतावनी पर्याप्त नहीं ग्रीन आर्मी से जुड़ी महिलाएं चाहती हैं कि गांवों की तरह शहर में भी व्यापक स्तर नशामुक्ति अभियान चलना चाहिए। प्रशासन इसमें आगे आए तो हम सहयोग को तैयार हैं। जगपति, मीरा देवी, विभा ने कहा कि तंबाकू और उसके उत्पादों के पैकटों पर ‘वैधानिक चेतावनी छपी रहती है। कैंसर जैसे रोग की चेतावनी दी जाती है। लेकिन क्या तंबाकू एवं उसके उत्पादों के अलावा शराब-गांजा की बिक्री में कहीं कमी आई है? निर्मला ने कहा कि अब तो हर महीने या त्योहार पर रिकार्ड बिक्री के आंकड़े जारी होते हैं। मंजू ने कहा कि सिर्फ वैधानिक चेतावनी का असर नहीं पड़ने वाला है। धरातल पर एक-एक घर में जाना होगा। बताना होगा कि नशे के चलते हर माह और साल कितनी माताओं की गोद, विवाहितों की मांग सूनी हो रही हैं। महससू कराना होगा कि तंबाकू-शराब का नशा खुशहाल परिवार के लिए कितना खतरनाक है। सार्वजनिक स्थानों पर न दिखें दुकानें श्याम दुलारी, बिमला देवी, राधा ने कहा कि चौराहों, कॉलोनियों, स्टेशनों और स्कूल-कॉलेजों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर शराब-तंबाकू की दुकानें नहीं होनी चाहिए। ऐसी जगहों पर लोग नशे में अराजकता फैलाते हैं। इससे दूसरों को समस्या होती है। उर्मिला, सुशीला, चांदतारा ने अनुभव साझा किया कि सार्वजनिक स्थानों पर आसानी से नशे का सामान मिलने से उसका सेवन भी सहज होने लगता है। अगर शराब, गुटखा, तंबाकू लेने दूर जाना पड़े तो इसके सेवन में कमी आए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर नशेड़ियों के जमावड़े के चलते महिलाओं-बेटियों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। लगातार हो गश्त निर्मला देवी, वनिता ने कहा कि जुआरी कहीं भी जुआ खेलते हैं। बड़ों को ऐसा करते देख युवा भी इसमें लिप्त हो रहे हैं। शिकायत पर पुलिस आती है और जुआ न खेलने, नशा न करने के लिए समझाती है। तब जुआरी पुलिस की हां में हां मिलाते हैं। फिर एक दो दिन बाद उसी स्थान पर जुआ-शराब शुरू हो जाता है। ऐसे में अगर पुलिस हफ्ते या 10 दिन तक लगातार उस क्षेत्र का दौरा करे तो लोगों में भय पैदा होगा। मंजू देवी ने कहा कि ऐसा हमने कई गांवों में करवाया है। उसके अच्छे परिणाम मिले। पुलिस चौपाल से आसान होगी राह श्याम दुलारी, विमला देवी ने कहा कि पुलिस ग्रीन आर्मी के साथ चौपाल लगाए तो नशामुक्ति अभियान की राह और आसान होगी। ग्रीन आर्मी की महिलाएं समय-समय पर पुलिस को बताएंगी कि जहां चौपाल लगी, वहां वर्तमान स्थिति क्या है। बताया कि कई बार कई बार महिलाओं की टीम एक साथ धावा बोलती है तो लोग डर जाते हैं। बोलीं, पुलिस चौपाल को ग्रीन आर्मी की पूरी मदद मिलेगी। जहां पुलिस की जरूरत पड़ेगी, वहां महिलाएं मदद मांग लेंगी। इससे अभियान में तेजी आएगी। इसका असर भी बड़े स्तर पर दिखेगा। घाटों पर पर लगे प्रतिबंध मीरा देवी, विभा, श्याम दुलारी, विमला देवी ने कहा कि बनारस मंदिरों, घाटों और गलियों का शहर हैं। बाहर से आने वाले लोग घाट पर घूमते हैं। वहां उन्हें शांति और सुकून मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं। कई बार लोग नशे में अराजकता फैलाते हैं। घाटों पर नशे की सामग्रियों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। केवल बनारसी पान मिले। इससे घाट नशामुक्त होंगे। सुशीला देवी, चांदतारा ने कहा कि ग्रीन आर्मी की महिलाएं घाटों पर नशामुक्ति अभियान चलाने के लिए तैयार हैं। पुलिस प्रशासन से सहयोग मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं सराहना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ग्रीन आर्मी के कार्यों की सराहना कर चुके हैं। उन्होंने महिलाओं के वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया था। टीम की सदस्य निर्मला देवी से उन्होंने कार्यों की जानकारी ली थी। ग्रीन आर्मी के संस्थापक रवि मिश्रा से भी संवाद किया था। इनके कार्यों की सराहना राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी कर चुकी हैं। ग्रीन आर्मी की सदस्य नशामुक्ति अभियान के साथ बेटी उत्सव, मतदाता जागरूकता आदि काम कर रही हैं। सुझाव 1- सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू, गुटखा और शराब की दुकानें न हों। उन्हें ऐसे स्थान पर लगाया जाए जहां आवागमन कम हो। इससे माहौल सही रहेगा। 2- जुआ, सिगरेट के लती और शराबियों के इलाके में पुलिस लगातार कुछ दिनों तक गश्त करे। ताकि नशेड़ियों में खौफ बना रहे। 3- प्रशासनिक एवं पुलिस अफसर समय-समय पर गांव और शहर में चौपाल लगाएं। इसमें ग्रीन आर्मी की महिलाओं को भी शामिल किया जाए। 4-नशे में वाहन चलाने पर रोक लगे। कुछ दिनों के लिए उनके वाहन सीज कर दिए जाएं। तब लोगों में डर बनेगा और नशे में वाहन नहीं चलाएंगे। 5- स्कूल-कॉलेजों के पास से गुटखा-तंबाकू आदि की दुकानों को सख्ती से बंद कराया जाए। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दुकानदार नशे का सामान न दें। ऐसा करते हैं तो उन पर कार्रवाई हो। शिकायतें 1- सार्वजनिक स्थानों पर शराब, तंबाकू व अन्य नशे की सामग्री बिकने से लोग आसानी से सेवन करते हैं और अराजकता फैलाते हैं। इससे आसपास के लोगों को परेशानी होती है। 2- गांव से लेकर शहर तक कई जगह लोग शराब पीते हैं और जुआ खेलते हैं। नशे में अराजकता फैलाते हैं। इससे न सिर्फ महिलाओं को बल्कि बच्चों और अन्य लोगों को परेशान होना पड़ता है। 3- कई बार शिकायत पर पुलिस तुरंत पहुंचती है। लोगों को जुआ खेलने से रोकती है और कार्रवाई करती है, लेकिन कुछ समय बाद फिर उसी जगह जुआ शुरू हो जाता है। 4- नशे में लोग वाहन चलाते है्ं। कई बार सिगरेट पीकर सड़क पर फेंकते हैं। इससे सड़क के राहगीरों को परेशानी होती है। चालान के बाद भी आदत नहीं छूटती। 5- स्कूल-कॉलेजों के पास गुटखा-तंबाकू की दुकानों से बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रतिबंध के बाद भी दुकानें लगाई जा रही हैं। प्रशासन गौर करे नशे के खिलाफ शहर में भी वृहद स्तर पर अभियान चले। ग्रीन आर्मी को जब भी जागरूकता अभियान में बुलाया जाएगा, वह पहुंच जाएगी। - निर्मला देवी पैकेटों पर तंबाकू को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताने का असर नहीं पड़ने वाला है। इसके लिए कई स्तरों पर कड़ाई होनी चाहिए। - मंजू देवी सार्वजनिक स्थानों से शराब, तंबाकू की दुकानें हटनी चाहिए। वहां लोग नशा करने के साथ ही अराजकता फैलाते हैं। इससे माहौल खराब होता है। - विमला देवी जुआरी कहीं भी अड्डा जमाकर जुआ खेलते हैं। बड़ों को ऐसा करते देख युवा भी इसमें लिप्त हो रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। - श्याम दुलारी कोई भी शुरुआत घर से होनी चाहिए। जब मेरे पति शराब पीएंगे, जुआ खेलेंगे तो अन्य लोगों को मैं कैसे जागरूक कर पाऊंगी। - चांदतारा पुलिस ग्रीन आर्मी की महिलाओं के साथ चौपाल लगाए तो नशामुक्ति अभियान की राह आसान होगी। उसे सही सूचनाएं मिलेंगी। - मीरा देवी गंगा किनारे घाटों, धार्मिक स्थलों के आसपास गुटखा-सिगरेट और शराब-बियर की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। - मंजू देवी स्कूल-कॉलेज के पास तंबाकू-गुटखा और शराब की दुकाने नहीं होनी चाहिए। इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। इस पर सख्ती होनी चाहिए। - मुन्नी देवी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नशे वाली चीजें देने पर दुकानदारों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। वे भविष्य के सािा खिलवाड़ कर रहे हैं। - राधा देवी कई बार बेरोजगारी की वजह से भी नशे की लत लग जाती है। शासन-प्रशासन को ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए। - बिंदु ..................... नंबर गेम 03 जनवरी-2015 को रोहनिया क्षेत्र के खुशियारी गांव में पड़ी ग्रीन आर्मी की नींव 220 गांवों में बन चुकी हैं इसकी सदस्य 10 जिलों में हो चुका है आर्मी का विस्तार 22 सौ महिलाएं अब हैं ग्रीन आर्मी की सदस्य कई घर बर्बाद होने से बचाए फोटो ग्रीन आर्मी की महिलाओं ने कई गांवों को नशामुक्त किया है। उन्होंने अपने अलावा दूसरे गांवों में कई घर बर्बाद होने से बचाए हैं। महिलाओं को पुलिस और प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता है। ग्रीन आर्मी भी अभियानों में मदद करती है। - रवि मिश्रा, संस्थापक, ग्रीन आर्मी
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