दुधवा टाइगर रिजर्व में बढ़ा गिद्धों का कुनबा लेकिन घट गई नस्लें, विभाग फिर भी खुश
- दुधवा टाइगर रिजर्व में गिद्धों की संख्या बढ़ी है लेकिन उनकी नस्लें घट गई हैं। वन अधिकारी इस बात से खुश हैं कि विलुप्त हो रहे गिद्ध ना सिर्फ दुधवा में वापस लौट आए हैं बल्कि उनका कुनबा बढ़ रहा है।

दुधवा टाइगर रिजर्व में गिद्धों की संख्या बढ़ गई है। इस साल गिनती में दुधवा में 378 गिद्ध मिले हैं। पिछली बार सिर्फ 272 गिद्ध ही मिले थे। हालांकि बीते सालों के मुकाबले गिद्धों की 2 प्रजातियां इस बार नहीं मिली हैं। वन विभाग के अधिकारी खुश हैं कि विलुप्त होते-होते गिद्धों ने दुधवा में घर बना लिया है और अब उनका कुनबा लगातार बढ़ रहा है।
दुधवा टाइगर रिजर्व में गिद्धों की संख्या बढ़ने का कारण यहां के इको-सिस्टम को माना जा रहा है। फरवरी में तीन दिनों तक गिद्धों की गणना का विशेष अभियान चलाया गया। इसके लिए कई टीमें कैमरा, दूरबीन के साथ लगाई गईं। इन टीमों ने दुधवा की सभी 20 रेंजों में गिद्धों की न सिर्फ गिनती की, बल्कि उनकी प्रजातियों का अध्ययन भी किया। इस अध्ययन से सामने आया है कि इस बार दुधवा में गिद्धों का कुनबा बढ़ गया है। भले ही उनकी सभी नस्लें दुधवा में नजर नहीं आई हों। दुधवा के अफसरों के मुताबिक इस बार 378 गिद्ध मिले हैं।
विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके गिद्ध दुधवा में वापसी करने लगे हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व में गिद्धों की छह प्रजातियां एक साथ देखी गई हैं। गिद्धों के इस डेटा को रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। दुधवा में गिद्धों के संरक्षण पर लंबे समय से काम चल रहा है। हर साल फरवरी में गिद्धों की गिनती के लिए सर्वे होता है।
छह प्रजातियां दिखना है उत्साह की बात
दुधवा के डीडी डॉ. रंगाराजू टी ने बताया कि भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से छह प्रजातियों का दुधवा में एक साथ दिखना सुखद संकेत है। पिछले साल यहां आठ प्रजातियां देखी गई थीं। गणना और सर्वेक्षण के दौरान इस बार इंडियन वल्चर और व्हाइट रम्पड वल्चर नहीं दिखे हैं। दुधवा में व्हाइट रम्ड वल्चर, रेड हेडेड, स्लेंडर बिल्ड, हिमालयन, यूरेशियन ग्रिफान और सिनेरियस प्रजाति के गिद्ध देखे गए हैं।