उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर पर सामने आया बड़ा अपडेट, सुगम-दुर्गम से जुड़ा हुआ मामला
तबादला ऐक्ट की धारा 17-1 में तबादलों का क्रम तय किया गया है। इसके अनुसार सबसे पहले अनिवार्य तबादले के दायर में आ रहे शिक्षकों के सुगम से दुर्गम क्षेत्र में तबादले किए जाते हैं।

उत्तराखंड में ट्रांसफर को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। सुगम-दुर्गम के बाद ही अनुरोध के तबादले करने की संस्तुति की जाएगी। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के अनुरोध के आधार पर होने वाले तबादलो को तरजीह देने की व्यवस्था को समाप्त करने की संस्तुति की है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने तबादला ऐक्ट में संशोधन के लिए प्रस्ताव भेजा है।
विभाग का कहना है कि तबादला प्रक्रिया में पहले सुगम से दुर्गम में तबादले किए जाने चाहिए। इसके बाद दुर्गम से सुगम क्षेत्र में तबादले किए जाएं। अनुरोध के आधार पर तबादलों पर तीसरे नंबर पर विचारार्थ रखा जाए। कुछ समय पहले शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान यह विषय आने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका प्रस्ताव देने के निर्देश दिए थे।
मालूम हो कि तबादला ऐक्ट की धारा 17-1 में तबादलों का क्रम तय किया गया है। इसके अनुसार सबसे पहले अनिवार्य तबादले के दायर में आ रहे शिक्षकों के सुगम से दुर्गम क्षेत्र में तबादले किए जाते हैं। इसके बाद अनुरोध के आधार पर आए तबादला आवेदनों पर कार्यवाही की जाती है। तीसरे नंबर पर उन शिक्षकों के तबादले होते हैं जो लंबे समय से दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं।
इस व्यवस्था की वजह से सुगम क्षेत्र के अधिकांश पद अनुरोध के आधार पर होने वाले तबादलों से भर जाते हैं। दुर्गम क्षेत्र के शिक्षकों के लिए सुगम क्षेत्र में तबादले के अवसर सीमित हो जाते हैं।विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अनुरोध के आधार पर होने वाले तबादलों का शिक्षकों के स्तर से विरोध होता है। यह भी आरोप लगते हैं कि प्रभावशाली शिक्षक मनमाफिक स्थानों पर तबादले कराने में कामयाब हो जाते हैं।
आम शिक्षक को मौका नहीं मिल पाता। इसलिए अनुरोध के आधार पर होने वाले तबादलों को सबसे आखिर में होना चाहिए।संपर्क करने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने इस विषय पर ज्यादा टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन यह जरूर कहा कि, उच्च स्तर के निर्देश के अनुसार प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है।
तबादला सत्र की बहाली को अपील करेगा शिक्षा विभाग
तबादला सत्र को बहाल रखने के लिए शिक्षा विभाग हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखेगा। कार्मिक विभाग ने शिक्षा विभाग को हाईकोर्ट में अपील करने की सलाह दी है। नौ अप्रैल को हाईकोर्ट ने तबादलों से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुगम और दुर्गम के आधार पर तबादलों को गलत बताया है। सरकार से पूछा है कि क्यों न इस तबादला सत्र को शून्य कर दिया जाए। इस वजह से शिक्षा विभाग में तबादला प्रक्रिया अप्रैल से थमी हुई है।
शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने बताया कि इस विषय पर कार्मिक विभाग से राय ली गई थी। कार्मिक विभाग ने न्यायालय में अपील करने की सलाह दी है। इस पर कार्यवाही की जा रही है। दरअसल, हाईकोर्ट द्वारा सुगम और दुर्गम क्षेत्र की अवधारणा को खारिज करने से शासन में असमंजस की स्थिति है। तबादला ऐक्ट पूरी तरह सुगम और दुर्गम पर आधारित है। सुगम और दुर्गम की सेवाओं के आधार पर ही तबादलों के मानक तय किए गए हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने 29 अप्रैल के अंक में इस पर प्रमुखता से रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
उत्तराखंड में दुर्गम श्रेणी में 11 हजार स्कूल
मालूम हो कि शिक्षा विभाग में वर्तमान में 6698 स्कूल सुगम श्रेणी में हैं, जबकि दुर्गम श्रेणी के स्कूलों की संख्या 11 हजार 119 है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है। तबादला सत्र को बहाल रखने के लिए सरकार को जल्द से जल्द न्यायालय में प्रभावी पैरवी करनी चाहिए।
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