अगर हरीश रावत न लड़ते;धामी के मंत्री ने पूर्व CM को क्यों बनाया 2022 चुनाव की हार का विलेन?
हरक ने कहा कि राजनीति का सीधा फंडा है, जो जीता वही सिकंदर। हमारी पार्टी की बैठकों में लोग कहते हैं कि भाजपा चुनाव जीतने को वोट बढ़ाती है। इस पर मैं यही कहता हूं कि जो काम वो करते हैं, हम क्यों नहीं कर सकते। राजनीति का मूल मंत्र है, दूसरे को गलत न करने दो और अपने गलत को भी सही ठहराओ।

पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने एकबार फिर पूर्व सीएम हरीश रावत पर सियासी हमला किया। दो टूक कहा कि यदि हरीश 2022 में विधानसभा चुनाव न लड़ते तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती। मीडिया से बातचीत में हरक ने कहा कि हरीश रावत ने 2022 में सिर्फ लालकुंआ अपने लिए और हरिद्वार ग्रामीण में अपनी बेटी के लिए ही प्रचार किया। इसके अलावा उन्होंने पूरे राज्य में किसी भी सीट पर चुनाव प्रचार नहीं किया। उनके लालकुंआ चुनाव लड़ने से कांग्रेस लालकुंआ, रामनगर और सल्ट सीट सीधे तौर पर हार गई। यदि वे चुनाव न लड़ते तो कांग्रेस इन तीनों सीटों के अलावा अन्य सीटों पर भी बड़े बहुमत से जीतती।
उन्होंने टिकट वितरण के दौरान हरीश रावत से साफ कहा था कि मेरा तेरा न कीजिए,जो जीतने वाला है,उसे ही टिकट दीजिए। राजनीति में कोई अपना पराया नहीं होता। हरक सिंह ने कहा कि हरीश रावत ने 2009 में गंगा हर की पैड़ी पर कहा था कि वे अब कभी भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद भी वे लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में उन पर भरोसा नहीं कर सकते।
भाजपा पर आरोप लगाने की बजाय सीखा जाए
हरक ने कहा कि राजनीति का सीधा फंडा है, जो जीता वही सिकंदर। हमारी पार्टी की बैठकों में लोग कहते हैं कि भाजपा चुनाव जीतने को वोट बढ़ाती है। इस पर मैं यही कहता हूं कि जो काम वो करते हैं, हम क्यों नहीं कर सकते। राजनीति का मूल मंत्र है, दूसरे को गलत न करने दो और अपने गलत को भी सही ठहराओ।
हरक ने हरीश के बार-बार चुनाव हारने पर कसा तंज
हरक ने हरदा के बार बार चुनाव हारने पर भी तंज कसा। कहा कि एक जननेता दो चार सौ वोट से तो चुनाव हार सकता है, लेकिन नैनीताल लोकसभा सीट से वे साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों से चुनाव हार जाते हैं। लालकुंआ विधानसभा में साढ़े 17 हजार से अधिक वोट से हारते हैं। कहा कि राजनीति सन्यासी, साधु संतों का खेल नहीं है। सिर्फ यात्रा निकालने से कुछ नहीं होता।
हरीश रावत ने आज तक माफ नहीं किया
हरक ने कहा कि हरीश रावत ने आज तक उन्हें माफ नहीं किया है। जबकि मुझे भी 2016 की घटना का दुख है। 2016 की घटना सिर्फ सत्ता में बैठे मदहोश हुए लोगों को सबक सिखाने के लिए थी। इस बार भी वे अपनी मर्जी से कांग्रेस में नहीं आए हैं। कहा कि उन्होंने हमेशा जनता की लड़ाई लड़ी। यदि उन्हें पैसे ही कमाने होते तो वे राजनीति में नहीं आते, बल्कि राजनीति में आने से पहले श्रीनगर विवि में प्रोफेसर रहते हुए उन्होंने खूब कारोबार किया।
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