नैनीताल ट्रैफिक पर HC सख्त, IIM विशेषज्ञों से मांगा समाधान; 20 अप्रैल को अगली सुनवाई
उत्तराखंड की मशहूर पर्यटक नगरी नैनीताल में पार्किंग और पर्यटकों का अनियंत्रित बहाव शासन-प्रशासन के लिये एक भीषण समस्या बन गया है। नैनीताल हाईकोर्ट में गुरुवार को इस पर मैराथन सुनवाई हुई।

उत्तराखंड की मशहूर पर्यटक नगरी नैनीताल में पार्किंग और पर्यटकों का अनियंत्रित बहाव शासन-प्रशासन के लिये एक भीषण समस्या बन गया है। नैनीताल हाईकोर्ट में गुरुवार को इस पर मैराथन सुनवाई हुई। अदालत ने काशीपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के वैज्ञानिकों को सोमवार तक यह बताने का निर्देश दिया कि नैनीताल में पार्किंग और यातायात की समस्या का लॉन्ग टर्म समाधान खोजने के लिए उन्हें किन अन्य विशेषज्ञ एजेंसियों की सहायता की जरूरत है।
चीफ जस्टिस जी. नरेंदर और जस्टिस आलोक माहरा की पीठ में इस मामले से जुड़ी आधा दर्जन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। आईआईएम काशीपुर के निदेशक अपनी टीम के साथ अदालत में वर्चुअली पेश हुए। आईआईएम के निदेशक की ओर से भी अदालत को बताया गया कि छह सदस्यीय टीम ने सरोवरनगरी नैनीताल, कैंची धाम, भवाली, भीमताल, काठगोदाम, कालाढूंगी तथा आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया है। उन्होंने पार्किंग, यातायात डाईवर्जन और शटल सेवा के संबंध में अपने मौखिक सुझाव पेश किये।
अदालत ने आईआईएम काशीपुर से नैनीताल की सड़कों की भार वहन क्षमता के संबंध में अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करने को कहा। अदालत ने कहा कि वह सोमवार तक बताये कि उसके साथ आईआईटी रूड़की, इंडियन रोड कांग्रेस, सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अलावा कौन सी वैज्ञानिक एजेंसी सहयोग कर सकती है। इस मामले में सोमवार को फिर से सुनवाई होगी।
अदालत ने सरकार को पर्यटक वाहनों पर नियंत्रण लगाने के लिये रानीबाग स्थित एचएमटी की 45 एकड़ भूमि पर पार्किंग बनाने और पर्यटकों के लिये शटल सेवा शुरू करने के संबंध में जानकारी देने को कहा है। यही नहीं सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में नैनीताल शहर में लचर स्वास्थ्य सेवाओं का मामला भी लाया गया। कहा गया कि सरकार भवाली स्थित टीवी सेनिटोरियम की 45 एकड़ भूमि पर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण करने की योजना थी लेकिन वह खटाई में पड़ गया है। अदालत इस मामले में भी अगली तिथि पर सुनवाई करेगी।
इसके अलावा पुलिस की ओर से भी अदालत के समक्ष यातायात नियंत्रण के लिये प्लान पेश किया गया। अदालत ने सभी पार्किंग स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और निगरानी रखने के निर्देश दिये। खंडपीठ के समक्ष अशोक टाकीज की भूमि पर 5.25 करोड़ की लागत से बन रही 90 वाहनों की बहुमंजिला पार्किंग के मामले पर भी सुनवाई हुई। नगर पालिका के अधिवक्ता डीएस पाटनी ने इसे जनता के धन का दुरूपयोग बताया। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया कि यह सरकार की भूमि है। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए फिलहाल काम रोकने के मौखिक आदेश जारी कर दिये। अब मामले पर सोमवार को सुनवाई होगी।
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