बोले रुद्रपुर-आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल, बिना पंखे के गर्मी में पढ़ रहे बच्चे
जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्मी के कारण बच्चों और महिलाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पंखों की कमी, खराब गुणवत्ता का राशन, और कार्यकर्ताओं का दुर्व्यवहार आम समस्याएं हैं। महिलाएं राशन...

इस भीषण गर्मी में जिले के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों में न पंखे हैं और न ही बैठने की पर्याप्त सुविधा। छोटे-छोटे बच्चे पसीने से तरबतर होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इससे उनका ध्यान पढ़ाई पर कम और परेशानी पर ज्यादा रहता है। भवनों की हालत इतनी खराब है कि कई जगह छतें टपकती हैं और फर्श उखड़ा हुआ है। वार्ड 23 रम्पुरा निवासी महिलाओं ने बताया कि वर्षों से पंखे खराब हैं, पर कोई अधिकारी सुध नहीं ले रहा है। बच्चों को मिलने वाली किट भी या तो एक्सपायर होती है या पैसे लेकर दी जाती है। कई अभिभावकों ने बताया कि शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
इससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। लोगों की मांग है कि केंद्रों में तत्काल पंखे लगाए जाएं, साथ ही मरम्मत की जाए। बच्चों को शुद्ध एवं पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराया जाए। महिलाओं और बच्चों के पोषण और कल्याण के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाएं आंगनबाड़ी केंद्रों पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और किशोरियों के लिए योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें अपने बच्चे के जन्म के बाद केवल एक बार ही राशन मिला, उसके बाद महीनों तक इंतजार करने पर भी कुछ नहीं मिला। वितरण में इस कदर अनियमितता है कि जब महीनों बाद राशन आता है तो वह या तो खराब हो चुका होता है या खाने लायक नहीं रहता। आरोप लगाया कि केंद्रों की कार्यकर्ता महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करती हैं। महिलाओं ने बताया कि जब वह राशन या किट लेने जाती हैं तो कार्यकर्ता उनसे पैसे मांगती हैं। कुछ महिलाओं ने तो रुपये देने के बाद भी एक्सपायर किट मिलने की बात कही। एक महिला ने बताया कि बच्चे के जन्म पर दी जाने वाली किट के बदले पहले 500 और बाद में 200 रुपये और लिए गए। शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। साथ ही कार्यकर्ता और भी अधिक अभद्र व्यवहार करने लगती हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं अब केंद्रों पर जाना ही छोड़ चुकी हैं। विधवा पेंशन, वृद्धावस्था की सुविधाओं और किशोरियों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मांग है कि महिलाओं के साथ हो रहे इस अन्याय को खत्म किया जाए। साथ ही दोषी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की जाए और राशन वितरण को पूरी तरह पारदर्शी और नियमित बनाया जाए। परिजनों ने की पंखे लगाने और ठीक कराने की मांग : गर्मी का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए कोई राहत नहीं है। इन केंद्रों में पंखों की कमी बच्चों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रही है। पसीने से तरबतर मासूम जब केंद्रों में घंटों बैठते हैं तो उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। कई बार तो बच्चे गर्मी से बेहाल होकर बीमार पड़ जाते हैं। लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद खराब पंखों की मरम्मत नहीं की गई। कुछ केंद्रों में लगे पंखे महीनों से बंद पड़े हैं और अधिकांश जगहों पर बिजली की व्यवस्था भी नहीं है। इन हालातों में छोटे बच्चों के लिए केंद्रों में रहना किसी सजा से कम नहीं है। लोगों की मांग है कि सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में तत्काल बिजली और पंखों की व्यवस्था की जाए। बच्चों के बैठने के लिए टाट-पट्टी या मैटिंग की सुविधा भी सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा भवनों की मरम्मत कर छतों की सीलन और दरारों को दुरुस्त किया जाए, जिससे बच्चों को सुरक्षित और आरामदायक माहौल मिल सके। पोषण आहार की अनियमित आपूर्ति से लोग परेशान : आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाला पोषण आहार गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और छोटे बच्चों के लिए जीवनरेखा होता है पर यह सुविधा अब बाधित हो चुकी है। कई महिलाओं ने बताया कि राशन महीनों तक नहीं आता है और जब आता है तो उसकी गुणवत्ता बेहद खराब होती है। राशन वितरण में भारी अनियमितता के कारण कुछ महिलाओं को एक बार भी पोषण आहार नहीं मिल पाता है। कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें बच्चे के जन्म के बाद केवल एक बार राशन मिला और फिर कभी नहीं मिला। जब शिकायत की जाती है तो जवाब मिलता है कि ऊपर से आदेश नहीं आया। कई बार आने वाला राशन खराब, सड़ा-गला या एक्सपायर होता है। ऐसे में उसका कोई लाभ नहीं होता है, साथ ही इससे महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। लोगों की मांग है कि राशन वितरण की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध बनाई जाए। गुणवत्ता जांच की व्यवस्था की जाए और स्थानीय प्रतिनिधियों को भी वितरण पर निगरानी का अधिकार दिया जाए। गरीब माताओं पर पड़ रही भ्रष्टाचार की मार : एक अन्य गंभीर समस्या जो सामने आई है, वह है आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ओर से सुविधा देने के बदले रुपये मांगने की। कई महिलाओं ने बताया कि बच्चों को दी जाने वाली किट लेने के लिए उनसे 200 से लेकर 800 रुपये तक मांगे गए। राशन वितरण में भी यही हाल है। कुछ स्थानों पर महिलाओं को राशन पाने के लिए खर्चा देना पड़ता है। यहां तक कि जिन किट्स को मुफ्त में दिया जाना था, वह या तो पैसे लेकर दी गईं या फिर गुणवत्ता में बेहद खराब निकलीं। ऐसी घटनाओं से न केवल महिलाओं का आंगनबाड़ी केंद्रों पर से विश्वास उठ रहा है, साथ ही सरकारी योजनाओं की साख भी प्रभावित हो रही है। यदि लाभार्थियों को रिश्वत देकर योजनाओं का लाभ लेना पड़े तो यह पूरे तंत्र पर सवाल खड़े करता है। महिलाओं की मांग है कि ऐसी घटनाओं की जांच हो और दोषी कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही एक शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाए, जहां महिलाएं बिना डरें अपनी समस्याएं दर्ज करा सकें। कार्यकर्ता करती हैं महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार : आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यकर्ताओं का व्यवहार भी एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। कई महिलाओं ने बताया कि जब वह राशन या किट लेने जाती हैं तो कार्यकर्ता उनके साथ अभद्र भाषा में बात करती हैं और उन्हें घंटों इंतजार कराया जाता है। कुछ महिलाओं ने तो यहां तक कहा कि इस दुर्व्यवहार के कारण उन्होंने केंद्र जाना ही छोड़ दिया। कार्यकर्ताओं की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि शिकायत करने पर वह और भी बदसलूकी करने लगती हैं। स्थानीय पार्षद अंजलि कोली ने भी अपनी जांच में पाया कि कार्यकर्ताओं ने रिपोर्ट देने से मना कर दिया और कहा कि ऊपर से लिखवाकर लाओ। इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें जवाबदेह बनाने का कोई तंत्र मौजूद नहीं है। लोगों की मांग है कि केंद्रों पर कार्यरत कर्मचारियों के व्यवहार पर नजर रखी जाए और समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाए। इससे वह संवेदनशीलता से काम करें। साथ ही शिकायतों के समाधान के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए। योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा बेटियों और वृद्ध महिलाओं को : सरकारी योजनाएं अक्सर बेटियों और वृद्ध महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं, पर जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। कई किशोरी-बालिकाओं को योजनाओं का कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है। 18 वर्ष से कम उम्र की बेटियों के लिए पोषण, शिक्षा सहायता या सैनिटरी पैड जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। इसी तरह 60 साल से ऊपर की कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिलती है। विधवा पेंशन जैसी योजनाओं में तो इतनी कम राशि दी जाती है कि उससे गुजर-बसर करना नामुमकिन है। इस तरह की उपेक्षा महिलाओं में गहरी निराशा और असंतोष पैदा कर रही है। वह महसूस करती हैं कि वह सिर्फ आंकड़ों का हिस्सा बनकर रह गई हैं। जबकि असल सुविधाएं कहीं और जा रही हैं। महिलाओं की मांग है कि किशोरी-बालिकाओं के लिए अलग से योजनाएं चलाई जाएं, जो वास्तव में उन तक पहुंचे। वृद्ध महिलाओं के लिए पेंशन की राशि बढ़ाई जाए और उन्हें भी स्वास्थ्य सेवाएं, मुफ्त दवाएं व यात्रा सुविधा जैसी राहतें मिलें। शिकायतें 1-आंगनबाड़ी केंद्रों में पंखे नहीं हैं। जिससे गर्मी में बच्चों और महिलाओं को काफी परेशानी होती है। लंबे समय से पंखे खराब हैं, पर अब तक मरम्मत या बदले नहीं गए। 2-कई बार महीनों तक पोषण आहार नहीं आता और जब आता है तो वह खराब या एक्सपायर होता है। महिलाओं और बच्चों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। 3-बच्चों को दी जाने वाली किट कार्यकर्ता बिना पैसे लिए नहीं देती हैं। कई महिलाओं ने 500 से 700 रुपये तक देने के बाद ही किट हासिल की है। 4-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं से अभद्र भाषा में बात करती हैं। कई बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, जिससे उनका व्यवहार और बिगड़ता जा रहा है। 5-18 साल से कम उम्र की बेटियों को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है। जिससे उनके भविष्य को लेकर परिवारों में चिंता बढ़ रही है। उनकी समस्या का हल हो। सुझाव 1-सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पंखों, बिजली और रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था की जाए, जिससे बच्चों को गर्मी से राहत मिल सके और पढ़ाई का माहौल बेहतर हो। 2-राशन वितरण को समयबद्ध और पारदर्शी बनाया जाए। स्थानीय निगरानी समिति बनाई जाए, जो वितरण पर नजर रखे और गुणवत्ता जांच करे। 3-एक स्वतंत्र और सक्रिय शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाए, जहां महिलाएं बिना डरे शिकायत दर्ज करा सकें और तय समय पर समाधान मिले। 4-कार्यकर्ताओं को संवेदनशीलता के साथ व्यवहार और सेवा भावना पर आधारित प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वह महिलाओं और बच्चों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। 5-किशोरियों को स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण से जुड़ी सुविधाएं दी जाएं, ताकि वह सुरक्षित और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें। इस ओर ध्यान दिया जाए। साझा किया दर्द बच्चा होने के बाद मुझे केवल एक ही बार आंगनबाड़ी से राशन मिला, उसके बाद कभी भी राशन नहीं मिला है। साथ ही अन्य जिन महिलाओं को जो राशन में अंडे आदि दिए भी जाते हैं, वह बेहद खराब स्थिति में होते हैं। -नन्ही मेरे चार बच्चे हैं पर किसी भी बच्चे के जन्म के समय एक बार भी आंगनबाड़ी केंद्र से बच्चे और मुझे कोई सुविधा नहीं मिली है। आंगनबाड़ी केंद्र शोपीस बनकर रह गए हैं। -मीना तीर्थयात्रा कर सकें, ऐसी निशुल्क सुविधा दी जानी चाहिए। विधवा पेंशन में केवल 50 रुपये दिन का दिया जाता है। इतने कम रुपये से कैसे गुजारा किया जाए। -शांति 60 साल से अधिक की महिलाओं को सरकारी सुविधाएं दी जानी चाहिए। मेरी उम्र इतनी होने के बावजूद मुझें कोई सुविधा नहीं मिल रही है। इस ओर ध्यान दिया जाए। -नेमवती आंगनबाड़ी जाते हैं तो वहां मौजूद कार्यकर्ता हमेशा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करती हैं, जो गलत है। उन्हें इस बात का प्रशिक्षण दिया जाए कि महिलाओं के साथ किस तरह से पेश आना है। -लक्ष्मी मेरा बच्चा जब हुआ तो आंगनबाड़ी से किट दी जानी थी। इसके बदले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने पहले 500 रुपये मांगे और जब किट लेने गए तो भी 200 रुपये और लिए। इसके बाद ही बच्चे को किट दी गई। -राखी आगंनबाड़ी कार्यकर्ता की कई बार उनके व्यवहार आदि को लेकर शिकायत की गई, पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी कारण उनका व्यवहार और भी ज्यादा खराब होता जा रहा है। -राम दुलारी रुपये देने के बावजूद बच्चों को दी जाने वाली किट भी एक्सपायर दी जाती है। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से कहा जाता है तो किट को बदलने वह साफ मना कर देती हैं। - शांति 18 साल से कम आयु की बेटियों को सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। सरकार से मांग है कि बेटियों को सुविधाएं दी जाएं, जिससे उनका भविष्य अच्छा हो सके। -रज्जो आंगनबाड़ी केंद्र में महिलाओं के साथ अक्सर गलत व्यवहार किया जाता है। इस कारण कई महिलाओं ने तो आंगनबाड़ी केंद्र ही जाना बंद कर दिया है। इसमें सुधार की जरूरत है। -ममता आंगनबाड़ी केंद्र में देखा गया है कि बच्चों की संख्या के अनुसार वहां बेहद कम खाना बनाया जाता है, ऐसे में बच्चों का पेट किस तरह भरता होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। -भूरी राशन कार्ड होने के बाद उसे अधिकारियों ने कैंसिल कर दिया है। कई बार अधिकारियों के यहां चक्कर काट चुके हैं, जिससे राशन की सुविधा मिल जाए, पर कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। -कमलेश बोलीं पार्षद महिलाओं की शिकायत पर जब मैं आंगनबाड़ी केंद्रों पर गई तो 11 बजे के समय दो आंगनबाड़ी केंद्र बंद मिले और दो खुले थे। जो आंगनबाड़ी केंद्र खुले थे, उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी। आंगबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ताओं से रिपोर्ट मांगी तो उन्होंने कहा कि आप ऊपर से लिखवा के आइए, तब आपको रिपोर्ट और जानकारी दी जाएगी। - अंजलि कोली, वार्ड-23 पार्षद बोले जिला कार्यक्रम अधिकारी आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता और सहायता कर्मी की ओर से यदि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। यदि शिकायत सही पाई जाती है तो संबंधित पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। -मुकुल चौधरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी
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