Angry Food Mothers Protest for Increased Honorarium and Other Demands in Rudrapur मानदेय वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट में गरजीं भोजन माताएं, Rudrapur Hindi News - Hindustan
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मानदेय वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट में गरजीं भोजन माताएं

रुद्रपुर में भोजन माताओं ने मानदेय बढ़ाने और अन्य मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय ज्ञापन सौंपा जिसमें 26,000 रुपये प्रति माह मानदेय, दुर्घटना...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरTue, 20 May 2025 01:24 PM
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मानदेय वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट में गरजीं भोजन माताएं

रुद्रपुर। मानदेय बढ़ाए जाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को जिलेभर की भोजन माताएं कलेक्ट्रेट परिसर में गरज उठीं। उत्तराखंड भोजन माता कामगार यूनियन के बैनर तले भोजन माताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के उपरांत भोजन माताओं ने मुख्यमंत्री को संबोधित सात सूत्रीय ज्ञापन ओसी कलेक्ट्रेट गौरव पांडे को सौंपा। ज्ञापन में कहा कि भोजन माताएं वर्ष 2003 से प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत विद्यालयों में सेवा दे रही हैं, लेकिन उनकी मांगों की लगातार अनदेखी की जा रही है।भोजन माताओं ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया तो वे विद्यालयों के पोषण कक्षों में ताले डालकर भूख हड़ताल और आंदोलन करने को विवश होंगी।

इस स्थिति के लिए पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। प्रदर्शन में यूनियन की जिलाध्यक्ष रेखा राणा, संध्या रानी, राधा जोशी, गीता, धर्मवती, पारुल, सविता, मीना देवी, सुनीता देवी, संतोष, मोनिका, चंपा देवी, सुषमा शर्मा, मीरा, दीपा आर्य, फूलमती, राम लली, माया, अंजलि मंडल, हंसी देवी तिवारी, माधवी राय, अमेला बाला, रमिता सन, कमला कांडपाल, रूपवती सहित अन्य भोजन माताएं मौजूद रहीं। ये रखीं प्रमुख मांगें भोजन माताओं ने मांग की कि उनका मानदेय 26,000 प्रति माह किया जाए। साथ ही जिन विद्यालयों में छात्र संख्या कम हो रही है, वहां से हटाने के बजाय उन्हें अन्य स्थानों पर समायोजित किया जाए। इसके अलावा दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा और भविष्य निधि योजना के लाभ दिए जाने, सेवानिवृत्ति पर प्रोत्साहन राशि, बारह महीने का मानदेय और सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार प्रधानमंत्री पोषण योजना के क्रियान्वयन की मांग की गई। भोजन माताओं ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी पूर्व शर्त के हटाया जा रहा है, जबकि नियुक्ति के समय छात्र संख्या को आधार नहीं बनाया गया था।

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