Residents of Azad Nagar Face Demands for Resettlement Amid Encroachment Issues बोले रुद्रपुर: नियमित साफ सफाई नहीं होती, अवैध शराब धड़ल्ले से बेची जा रही , Rudrapur Hindi News - Hindustan
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बोले रुद्रपुर: नियमित साफ सफाई नहीं होती, अवैध शराब धड़ल्ले से बेची जा रही

आजाद नगर के निवासी पिछले 30 वर्षों से कल्याणी नदी के किनारे रह रहे हैं। प्रशासन ने उनके घरों को अतिक्रमण मानकर हटाने की प्रक्रिया शुरू की है, बिना किसी पुनर्वास नीति के। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं...

Newswrap हिन्दुस्तान, रुद्रपुरFri, 6 June 2025 07:01 PM
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बोले रुद्रपुर: नियमित साफ सफाई नहीं होती, अवैध शराब धड़ल्ले से बेची जा रही

आजाद नगर में रहने वाले ज्यादातर लोग कल्याणी नदी के किनारे बसे हैं। प्रशासन ने इन घरों को अतिक्रमण की श्रेणी में चिह्नित किया है, लेकिन इससे लोगों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। लोगों का कहना है कि नगर निगम, सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग की संयुक्त कार्रवाई में बिना किसी मुआवजा या पुनर्वास नीति के उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ऐसे में करीब 30 साल से अधिक समय से यहां बसे लोग असमंजस में हैं कि आखिर वह जाएं तो कहां। कहा कि क्षेत्र की स्थिति पहले से ही दयनीय है। सड़कें जर्जर हैं। नालियों की सफाई नहीं होती है।

बिजली के तार जानलेवा स्थिति में लटक रहे हैं। नदी के अत्यधिक दूषित होने से बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। पुलिस का उस पर भी अंकुश नहीं है। आजाद नगर में बीते 30 वर्षों से लगभग 500 परिवार रह रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। लोगों का आरोप है कि नगर निगम की ओर से सफाई व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित है। हफ्ते में एक बार एक छोटा वाहन आता है, जो बमुश्किल कुछ घरों से ही कूड़ा उठा पाता है। अधिकांश समय कूड़ा सड़कों पर ही पड़ा रहता है, जिससे दुर्गंध व मच्छरों का प्रकोप बना रहता है। नालियों की सफाई नहीं होने से जलजमाव व बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बताया कि बिजली के तार मकान की छतों से बिल्कुल सटे हुए लटक रहे हैं। इससे बच्चों व बुजुर्गों को करंट लगने का डर रहता है। इसके बावजूद ऊर्जा निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। क्षेत्र में नशे का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है। स्थानीय पार्षद व नागरिकों की ओर से कई बार शिकायत के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। नदी किनारे बसी इस कॉलोनी की स्थिति तब और बिगड़ गई, जब अतिक्रमण की कार्रवाई पर प्रशासन ने घर चिह्नित करना शुरू कर दिया। जिन परिवारों की कई पीढ़ियां यहीं बीती हैं, उन्हें अब बेघर होने की चिंता सता रही है। लोगों के लिए पुनर्वास योजना की घोषणा नहीं की गई है और न ही मुआवजे की बात सामने आई है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि यदि अतिक्रमण हटाना ही है, तो पहले वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। जर्जर सड़कों का किया जाए निर्माण: वार्ड-7 की लगभग सभी सड़कों की हालत इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि इन पर चलना अब लोगों के लिए रोज का संघर्ष बन गया है। अधिकतर सड़कें जर्जर हो चुकी हैं, जिन पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। बारिश के मौसम में यही गड्ढे जलभराव का कारण बनते हैं और गलियां कीचड़ से भर जाती हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। स्थानीय नागरिकों ने कई बार नगर निगम को लिखित व मौखिक शिकायतें दी हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की हो पाई है। केवल निरीक्षण करके आश्वासन दिया गया है। जमीन पर नतीजा कुछ नहीं दिखता है। कई बार वाहन गड्ढों में फंस चुके हैं और लोग चोटिल भी हुए हैं। गंभीर स्थिति में एंबुलेंस भी घर व अस्पताल तक नहीं पहुंच पाती है। बुजुर्गों का कहना है कि जब कॉलोनी बसी थी, तब सड़कों की हालत ठीक-ठाक थी, लेकिन कई सालों से रखरखाव व मरम्मत नहीं होने से अब वह बिल्कुल खराब हो चुकी हैं। बरसात के दिनों में स्थिति और भयावह हो जाती है। जब सड़कों पर पानी भर जाता है और फिसलन से हादसे होने लगते हैं। लोगों की मांग है कि वार्ड की सड़कों का प्राथमिकता से निर्माण किया जाए। साथ ही, जल निकासी की व्यवस्था की जाए, ताकि बारिश के दौरान पानी जमा ना हो। लावारिस पशुओं का किया जाए निस्तारण: वार्ड-7 में लावारिस पशुओं की समस्या गंभीर होती जा रही है। लावारिस कुत्ते व गौवंशीय पशु अक्सर गलियों व मुख्य सड़कों पर घूमते रहते हैं। इससे लोगों का चलना तक दूभर हो गया है। यह कई बार राहगीरों पर हमला भी कर चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि लावारिस पशुओं के कारण बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग हमेशा डर के साये में रहते हैं। रात के समय लावारिस पशुओं के अक्सर सड़कों पर लड़ने व दौड़ने से दोपहिया वाहन चालकों के लिए संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। इससे हादसों का खतरा बढ़ जाता है। कई बार लोग चोटिल भी हो चुके हैं। लोगों की समस्या तब और बढ़ जाती है, जब यह पशु बीमार होकर गलियों में ही गिर व मर जाते हैं। ऐसे में, उनका शव कई दिनों तक वहीं पड़ा रहता है, जिससे आसपास दुर्गंध फैलती है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। बताया कि कई बार नगर निगम कार्यालय में फोन करके इस संबंध में सूचना दी गई, लेकिन अधिकांश मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होती है। नगर निगम की निष्क्रियता ने लोगों को खुद ही समाधान ढूंढ़ने पर मजबूर होना पड़ता है। लोगों की मांग है कि नगर निगम नियमित रूप से लावारिस पशुओं को पकड़ने व मृत होने पर उनका निस्तारण की व्यवस्था करनी चाहिए। अवैध नशीले पदार्थ बेचने वालों पर की जाए कार्रवाई: वार्ड-7 के नशे का अवैध कारोबार एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र के कुछ घरों से खुलेआम नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री हो रही है। खुलेआम बिक रहे अवैध मादक पदार्थों से लोग बेहद चिंतित हैं, क्योंकि इससे स्कूली बच्चे व किशोर भी नशे की चपेट में आ रहे हैं। महिलाओं व बुजुर्गों ने इस संबंध में कई बार पुलिस-प्रशासन को सूचित किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। क्षेत्र की महिलाएं बताती हैं कि जब भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई जाती है, तो अवैध नशीले पदार्थ बेचने वालों की ओर से धमकियां दी जाती हैं। ऐसे में लोग अक्सर डर की वजह से चुप हो जाते हैं। उनका कहना है कि पुलिस व प्रशासन की निष्क्रियता से असामाजिक तत्वों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं। नशा करने वालों की संख्या बढ़ने से घरों में आए दिन झगड़े, चोरियां और हिंसा की घटनाएं भी हो रही हैं। स्थानीय पार्षद ने भी पुलिस-प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। कहा कि अवैध नशे के कारोबार से जुड़े लोगों पर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे क्षेत्र के युवाओं को नशे से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि समय रहते इस पर लगाम लगाई जाए वरना आने वाली पीढ़ियां इसकी भारी कीमत चुकाएंगी। नालियों की नियमित रूप से की जाए सफाई: वार्ड-7 में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। लोगों ने बताया कि नगर निगम की ओर से यहां केवल दो सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है, जो हफ्ते में मुश्किल से एक या दो दिन क्षेत्र में आते हैं। उनके पास कूड़ा उठाने के लिए सिर्फ एक छोटा वाहन होता है, जिससे पूरे वार्ड का कूड़ा नहीं उठ पाता है। इससे अक्सर गलियों, सड़कों व नालियों में कचरे का अंबार लगा रहता है। इससे उठने वाली दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। साथ ही, संक्रमण और बीमारियों का खतरा बना रहता है। जब सफाईकर्मी आते भी हैं, तो वह केवल खानापूर्ति करके चले जाते हैं। गलियों और नालियों की सफाई महीनों से नहीं हुई है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक नगर निगम की ओर से फॉगिंग आदि भी नहीं कराई जाती है। ऐसे में, मच्छरों के पनपने और डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों का खतरा रहता है। कई घरों में बच्चे और बुजुर्ग पहले से बीमार हैं। ऐसे में गंदगी और मच्छरों की समस्या ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। कहना है कि क्षेत्र में सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे रोजाना कूड़ा उठाने की व्यवस्था हो सके। साथ ही, क्षेत्र में नियमित फॉगिंग कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वच्छता को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता हैं। उन्हें केवल स्वच्छ हवा और साफ वातावरण चाहिए, जो उनका अधिकार भी है। बिजली के तार हादसों को दे रहे निमंत्रण: वार्ड-7 के अधिकांश इलाकों में बिजली के तार मकानों के ठीक ऊपर व बेहद निचले स्तर पर लटकते नजर आते हैं। लोगों ने कहा कि यह समस्या अब केवल असुविधा नहीं है, बल्कि गंभीर जानलेवा खतरा भी बन चुकी है। कहा कि इन तारों से अक्सर चिंगारियां निकलती हैं और तेज हवा या बारिश में तार आपस में टकराकर शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं का कारण बनते हैं। विशेष रूप से बच्चों व बुजुर्गों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है। कई जगहों पर तार इतने नीचे लटक रहे हैं कि छत पर चढ़ने या कपड़े सुखाने के दौरान भी छू जाने का डर बना रहता है। बताया कि ऊर्जा निगम से कई बार अनुरोध किया है कि इन तारों को कसा जाए या बेहतर तरीके से व्यवस्थित किया जाए, लेकिन विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। एक बार विभागीय निरीक्षण जरूर हुआ, लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लोगों की मांग है कि इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए जल्द तारों को सुरक्षित ऊंचाई पर स्थापित किया जाए। कहा कि हादसे के बाद जागने से बेहतर है कि समय रहते कार्रवाई की जाए। शिकायत 1- वार्ड-7 में अधिकतर सड़कों की कई सालों से मरम्मत और निर्माण नहीं किया है, जिसकी वजह से ज्यादातर सड़कें काफी जर्जर हो चुकी हैं। 2- वार्ड-7 में लावारिस पशु अक्सर गलियों व मुख्य सड़कों पर घूमते रहते हैं। इनकी वजह से लोगों का चलना तक दूभर हो गया है। इनके निधन पर इसका निस्तारण भी नहीं किया जाता है। 3- वार्ड-7 में खुलेआम अवैध नशीले पदार्थों की बिक्री हो रही है, जिसका असर युवा पीढ़ी पर भी पड़ रहा है। आसानी से नशीले पदार्थ उपलब्ध होने से युवा इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। 4- वार्ड-7 में सफाई कर्मियों की संख्या काफी कम है, जिसकी वजह से पूरे वार्ड का कूड़ा-कचरा नहीं उठ पाता है। कूड़ा यहां-वहां बिखरा रहता है। 5- वार्ड-7 के अधिकांश इलाकों में बिजली के तार मकानों के ठीक ऊपर और बेहद निचले स्तर पर लटक रहे हैं, जिनकी वजह से हादसा होने की आशंका बनी रहती है। सुझाव 1- वार्ड-7 की लगभग सभी खराब सड़कों की जल्द मरम्मत की जानी चाहिए, ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा हो सके। 2- वार्ड-7 में गलियों व मुख्य सड़कों पर घूमने वाले लावारिस पशुओं को हटाया जाना चाहिए। उनके मृत होने पर उनका निस्तारण की व्यवस्था की जानी चाहिए। 3- वार्ड-7 में खुलेआम अवैध नशीले पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जिससे युवा पीढ़ी को इसकी गिरफ्त में आने से रोका जा सके। 4- सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, जिससे वार्ड-7 में नियमित रूप साफ-सफाई हो सके। यहां-वहां कूड़ा बिखरे रहने से मच्छरों के पनपने व बीमारियों का खतरा रहता है। 5- वार्ड-7 में जिन इलाकों में बिजली के मकानों के ठीक ऊपर व बेहद निचले स्तर पर लटक रहे हैं, उन्हें तुरंत कसा जाना चाहिए। साझा किया दर्द क्षेत्र में दो पुल हैं, जिनमें से एक पुल कुछ साल पहले बनाया गया है, लेकिन दूसरा पुल पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिससे लोगों को आवागमन में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। - अभिमन्यु देवराय अतिक्रमण के नाम पर लोगों को इस तरह हटाया जाना उचित नहीं है। यहां लोग पिछले 20-30 वर्षों से रह रहे हैं। ऐसे में घर उजाड़ने से पहले प्रशासन को पुनर्वास और वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करनी चाहिए। - सरिता देवी कल्याणी नदी एक प्राचीन नदी है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से इसकी हालत बेहद खराब हो चुकी है। कभी इस नदी का पानी लोग पीते थे, लेकिन आज यह काफी दूषित हो गई है। दुख होता है। - राधा देवी यहां केवल दो सफाई कर्मी आते हैं, जिनके पास एक छोटा वाहन होता है। वह भी हफ्ते में मुश्किल से एक-दो बार आते हैं और काम में सिर्फ खानापूर्ति करके चले जाते हैं। इससे सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है। - सोमवती हर घर से सफाई के नाम पर 50 रुपये वसूले जाते हैं, फिर भी सफाई कर्मचारी बिना कूड़ा उठाए लौट जाते हैं। मजबूरन लोग अपना कूड़ा कल्याणी नदी में फेंकने लगे हैं। इसके वजह से प्रदूषण और बढ़ गया है। - सावित्री क्षेत्र में सफाई नहीं होने के कारण मच्छरों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में नगर निगम को यहां नियमित रूप से फॉगिंग करानी चाहिए। - प्रतिमा नगर निगम की ओर से यहां ना तो झाड़ू लगाई जाती है औ ना ही नालियों की सफाई होती है। गंदगी हर दिन बढ़ती जा रही है। इससे लोगों का सांस लेना तक दूभर हो रहा है। - राम केवल यहां बिजली के तार मकड़ी के जाले जैसे उलझे हुए हैं। यह तार इतनी नीचे लटके हैं कि कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। लोग लंबे समय से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन ऊर्जा निगम लगातार अनदेखी कर रहा है। - जोगिंदर यहां खुलेआम अवैध नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं। लोगों और पार्षदों ने कई बार शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे नशा बेचने वालों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। - राजाराम रस्तोगी वार्ड की अधिकांश सड़कों का निर्माण अधूरा है। पिछले कई वर्षों से मरम्मत नहीं हुई है, जिससे वाहनों और राहगीरों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। - रूबी वार्ड के कई घरों को अतिक्रमण के नाम पर चिह्नित किया गया है। उन्हें हटाने से पहले पुनर्वास की कोई योजना नहीं बनाई गई है। सरकार को मुआवजा या प्लॉट देकर उनकी मदद करनी चाहिए। - सीमा बाहरी लोगों के छोड़े गए लावारिस पशु कॉलोनियों में घूमते रहते हैं। जब यह बीमार या मर जाते हैं, तो कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता है। - कमला जिम्मेदार बोले आजाद नगर में कूड़ा गाड़ी नियमित जाती है। जिन गलियों में कूड़ा नहीं उठने की शिकायत है, वहां सर्वे कार्य कराके कूड़ा उठाने की व्यवस्था की जाएगी। -कुलदीप कुमार, सफाई निरीक्षक, नगर निगम आजाद नगर में बिजली के तारों से संबंधित शिकायत संज्ञान में नहीं है। जल्द निरीक्षण करके समाधान किया जाएगा। - राकेश कुमार, ईई, ऊर्जा निगम

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