जाति सर्वेक्षण पेश करने जा रही ममता सरकार, 17% OBC कोटा में शामिल हो सकती हैं 140 उप-जातियां
बंगाल सरकार आगामी विधानसभा सत्र में OBC के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर रही है। सर्वेक्षण में 140 उप-समूहों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें 17% आरक्षण का लाभ मिलेगा।

पश्चिम बंगाल सरकार आगामी 9 जून से शुरू हो रहे विधानसभा के मॉनसून सत्र में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सर्वे की रिपोर्ट पेश करने जा रही है, जिसमें कुल 140 उप-जातियों की पहचान की गई है। यह सर्वे पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग (WBCBC) की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है, जिसे हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दी थी।
17% ओबीसी आरक्षण का लाभ
राज्य सरकार ने 76 नई उप-जातियों को ओबीसी सूची में जोड़ने का निर्णय लिया है। इससे पहले से सूचीबद्ध 64 समुदायों के साथ अब कुल 140 उप-जातियों को 17% ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलने की संभावना है। हालांकि, दो उप-जातियों को लेकर अभी निर्णय लंबित है, जिन्हें बाद में सूची में शामिल करने पर फैसला लिया जाएगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह वर्तमान 17% ओबीसी आरक्षण को बरकरार रखेगी। फिलहाल ओबीसी आरक्षण दो श्रेणियों में बंटा हुआ है। पहला- OBC ‘A’ में 10% कोटा है जिसमें 81 समुदाय शामिल हैं। इनमें से 56 मुस्लिम समुदाय हैं। दूसरा- OBC ‘B’ श्रेणी है जिसमें 7% कोटा है और इसमें 99 समुदाय आते हैं। 99 समुदायों में से 41 मुस्लिम समुदाय हैं।
HC ने रद्द किए ओबीसी प्रमाण पत्र
यह नया सर्वे ऐसे समय में सामने आ रहा है जब मई 2024 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 2010 के बाद जारी किए गए करीब 12 लाख ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया था। इनमें अधिकांश मुस्लिम समुदाय थे। अदालत ने कहा था कि "धर्म को ही ओबीसी वर्ग घोषित करने का आधार बना लिया गया", जो संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं है।
इस फैसले के बाद ममता बनर्जी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 19 मार्च को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह तीन महीने के भीतर नया ओबीसी सर्वे पूरा कर लेगी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि राज्य सरकार यह स्पष्ट करे कि प्रस्तावित उप-जातियां सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हैं या नहीं।
2026 में विधानसभा चुनाव पर नजर
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 में राज्य सरकार से इन समुदायों की सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन और सार्वजनिक सेवाओं में उनकी अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में स्पष्ट करने को कहा था। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया कि 77 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने की प्रक्रिया तीन-स्तरीय विस्तृत मूल्यांकन के बाद ही पूरी की गई थी। यह मामला आने वाले समय में न केवल बंगाल की राजनीति बल्कि सामाजिक न्याय और आरक्षण व्यवस्था के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है, विशेषकर तब जब राज्य में 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
इस सर्वेक्षण का राजनीतिक महत्व भी है। टीएमसी सरकार पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आरोप लगाया है कि वह वोट-बैंक की राजनीति के लिए ओबीसी वर्गीकरण का उपयोग कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ममता बनर्जी ने बिना किसी सर्वेक्षण के 118 मुस्लिम जातियों को ओबीसी आरक्षण दिया, जिसे उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। दूसरी ओर, टीएमसी ने उच्च न्यायालय के फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
मुस्लिम समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए मुस्लिम समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की जनसंख्या में मुस्लिमों की हिस्सेदारी लगभग 27% है, जो अब बढ़कर लगभग 30% हो सकती है। मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर जैसे जिलों में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, जो टीएमसी की राजनीतिक रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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