Guru Ast : गुरु, सूर्य और बुध मिथुन राशि में कमाल, बनेगा आदित्य और पंच महापुरुष योग, इन राशियों को लाभ
Horoscope guru ast: वर्तमान में गुरु मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं। मिथुन राशि में देवगुरु बृहस्पति के साथ बुध का भी गोचर हो रहा है। मिथुन राशि में बुध स्वगृही स्थिति में होगा जिससे भद्रा नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होगा।

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 जून को सायंकाल 6:40 बजे के बाद देवगुरु बृहस्पति वृद्धत्व दोष में आ जाएंगे जो 7 जुलाई 2025 को दिन में 3:00 बजे पूर्व दिशा में उदित होंगे। अर्थात 11 जून से 7 जुलाई 2025 तक देवगुरु बृहस्पति अस्त अवस्था में रहेंगे । ऐसी स्थिति में 11 जून से लेकर 3 जुलाई तक विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्त बंद हो जाएंगे।
ज्योतिष शास्त्र के दृष्टि से देखा जाए तो जब कोई ग्रह अपनी अस्त अवस्था में होता है तो उसके प्रभाव एवं क्षमता में कमी आ जाती है अर्थात शुभता अथवा और अशुभभता के प्रभाव में कमी देखने को मिलती है। वर्तमान में गुरु मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं। मिथुन राशि में देवगुरु बृहस्पति के साथ बुध का भी गोचर हो रहा है। मिथुन राशि में बुध स्वगृही स्थिति में होगा जिससे भद्रा नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होगा। जहां देवगुरु बृहस्पति को धर्म आध्यात्मिक संस्कार शैक्षणिक व्यवस्था ज्ञान विद्यालय संस्थान का कार्यक्रम माना जाता है तो वहीं पर बुध को मैनेजमेंट, याददाश्त, लेखन शक्ति, बौद्धिकता आदि का कार्यक्रम माना जाता है। इस प्रकार दोनों ग्रहों का मिथुन राशि में गोचर सकारात्मक फल प्रदान करेगा। बुध 22 जून तक मिथुन राशि में रहकर प्रभाव स्थापित करेगा। जून को दिन में 1:25 के बाद सूर्य का भी गोचर मिथुन राशि में आरंभ होगा जो लगभग 15 जुलाई तक रहेगा। इस प्रकार 15 जून से 22 जुलाई तक गुरु आदित्य बोध आदित्य एवं गुरु बुध आदित्य नामक राजयोग का निर्माण होगा। जिसका सभी राशियों पर व्यापक शुभकारक परिणाम प्राप्त होगा। यद्यपि की अपनी अस्त अवस्था में होगा फिर भी सभी राशियों पर व्यापक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
किन राशियों को लाभ
सिंह राशि के जातकों के लिए गुरु-आदित्य राजयोग अच्छे लाभ दिलाएगा, आपको नौकरी और इनकम की स्थिति को गुरु और सूर्य अच्छा कर देंगे। पैसों से जुड़ी दिक्कत सही हो जाएगी, आपके लिए कई अच्छी स्थितिां बनेंगी। मिथुन राशि वालों को भी इस राजयोग से लाभ होगा। आपके कई काम बनेंगे। विवाह आदि तय हो सकता है। पैसों के मामले में आपको लाभ होगा। इनकम के कई सोर्स खुलेंगे।
किसी भी मांगलिक कार्यो के लिए ग्रहों में दोनों गुरु देव गुरु बृहस्पति एवं दैत्य गुरु शुक्र का शुभ तथा उदित अवस्था मे होना अति आवश्यक माना जाता है। अर्थात विवाह, गृह प्रवेश मुंडन आदि जैसे मांगलिक कार्यों में शुक्र के उदित एवं शुभ होने पर तथा देवगुरु बृहस्पति के उदित अथवा शुभ होने पर ही शुभ मुहूर्त मिलते हैं तथा विवाह आदि जैसे संस्कार पूर्ण होते हैं। बृहस्पति के वृद्धत्व दोष एवं अस्त होने की स्थिति में विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्त का अभाव हो जाता है।
इसी के साथ आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 6 जुलाई 2025 दिन रविवार को श्री हरिशयनी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु को पूर्ण विधि विधान के साथ चिर निद्रा में सुलाया जाता है। भगवान विष्णु को चिर निद्रा में चले जाने के कारण भी 4 महीने तक विवाह आदि के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिलते हैं। पुनः जब देव उठनी अर्थात देवोत्थानी एकादशी के बाद विवाह के लिए शुभ मुहूर्त मिलेंगे। इस प्रकार 11 जून के बाद से लेकर 1 नवंबर 2025 तक विवाह के लिए लगन नहीं मिलेंगे।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।