ईमानदार और साहसी होते हैं पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे लोग
Purvashada nakshtra:इस नक्षत्र के पुरुष स्वभाव से बहुत नरम होते हैं और उनमें अंतरज्ञान की शक्ति होती है, जिसका उपयोग वे दूसरों के लाभ के लिए करते हैं। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का शासक ग्रह बृहस्पति है। यह दो व्यक्तित्व को दर्शाता है।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र राशि चक्र का 20वां नक्षत्र है। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति जिस क्षेत्र में भी जाते हैं, उसमें बहुत तरक्की करते हैं। पेशेवर जीवन के मामले में यह जातक काफी सफल होते हैं। लेकिन, इसके बावजूद किसी-न-किसी वजह से इनके जीवन में अशांति बनी रहती है। इस नक्षत्र के पुरुष स्वभाव से बहुत नरम होते हैं और उनमें अंतरज्ञान की शक्ति होती है, जिसका उपयोग वे दूसरों के लाभ के लिए करते हैं। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का शासक ग्रह बृहस्पति है। यह दो व्यक्तित्व को दर्शाता है। एक तरफ व्यक्ति अत्यधिक नम्र, सभ्य और संस्कारी होता है, दूसरी तरफ अत्यधिक हिंसक और विनाशकारी होता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को दांत, पेट और मधुमेह जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाएं हर काम में निपुण होती हैं। ऐसी महिलाएं स्वभाव से विनम्र, ईमानदार और अत्यधिक मिलनसार होती हैं।
ये अत्यधिक बुद्धिमान होती हैं। ऐसी जातक विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बना सकती हैं और इसमें उनके सफल होने की संभावना अधिक होती है। करियर में सफलता के कारण ये आर्थिक रूप से सफल होती हैं।
इनके लिए अपना परिवार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ये अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी कर सकती हैं और किसी भी हद तक जा सकती हैं।
ये बिना किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के स्वस्थ जीवन व्यतीत करती हैं। हालांकि इन्हें अस्थमा सहित कुछ छोटी-मोटी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चार चरणों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं :
प्रथम चरण : इसका पहला चरण सिंह नवांश में होता है। इस पर सूर्य का प्रभाव रहता है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं और सूर्य जैसे प्रभुत्व वाले होते हैं।
द्वितीय चरण : दूसरे चरण में बुध का प्रभाव होता है और यह कन्या नवांश में स्थित होता है। इस चरण में जन्मे लोग बहुत मेहनती और काफी सफल भी होते हैं।
तृतीय चरण : इस नक्षत्र का तीसरा चरण तुला नवांश में पड़ता है। इस पर शुक्र का प्रभाव होता है। इस चरण में जन्मे लोग शुक्र के प्रभाव के कारण रचनात्मक प्रकृति के होते हैं। ऐसे जातक शांत और तनावमुक्त जीवन जीने के शौकीन होते हैं।
चतुर्थ चरण : इस चरण के स्वामी मंगल होते हैं और यह चरण वृश्चिक नवांश में स्थित होता है। इस चरण में जन्मे लोग मुख्य रूप से भावनात्मक प्रवृत्ति वाले और पारिवारिक मूल्यों पर ध्यान रखते हैं। ऐसे जातक आत्मनिरीक्षण और साहस को काफी महत्व देते हैं।