डीपीओ ने की पैसे लेते वीडियो वायरल मामले की जांच
-सहार पहुंच जांच करने के बाद डीपीओ डीएम को सौंपेंगी रिपोर्ट , आईसीडीएस की डीपीओ रश्मि सिन्हा सोमवार को बाल विकास परियोजना कार्यालय पहुंची थीं। इस दौरान पूर्व से उपस्थिति आदेश का पालन करती हुईं

-सहार पहुंच जांच करने के बाद डीपीओ डीएम को सौंपेंगी रिपोर्ट -जांच के दौरान सेविकाओं को नाराजगी का सामना करना पड़ा सहार, संवाद सूत्र। सहार प्रखंड मुख्यालय स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय में सुपरवाइजर की ओर से सेविका से रुपए लेते वीडियो वायरल मामले की जांच पूरी कर ली गई है। आईसीडीएस की डीपीओ रश्मि सिन्हा सोमवार को बाल विकास परियोजना कार्यालय पहुंची थीं। इस दौरान पूर्व से उपस्थिति आदेश का पालन करती हुईं सेविकाएं कार्यालय पहुंची थीं। सीडीपीओ कार्यालय में कथित तौर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ न्याय की उम्मीद लिए कार्यालय पहुंचीं सेविकाएं कार्रवाई के नाम पर खुद पर फटकार की खानापूरी होते देख अपने घरों को प्रस्थान कर गयीं।
बता दें कि क्रय पंजी के सत्यापन के नाम पर पर्यवेक्षिका आशा कुमारी की ओर से सेविका से खुलेआम पैसे की वसूली करने का वीडियो सेविकाओं की ओर से वायरल किया गया था। इस पर विभाग की ओर से पहले सीडीपीओ और पर्यवेक्षिका से स्पष्टीकरण किया गया। इसके बाद पूर्व निर्धारित जांच कार्यक्रम के तहत सोमवार को डीपीओ रश्मि सिन्हा मामले की जांच करने सहार पहुंचीं। लेकिन सेविकाओं को उल्टे डीपीओ की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। एक सेविका ने बताया कि डीपीओ मैडम ने कहा कि जिस पेड़ पर आप लोग बैठी हो, उसी को काटने का प्रयास कर रही हो। तुम लोगों को ऐसा नहीं करनी चाहिए। वहीं सेविका ने कहा कि चावल कम मिलने के मासले पर भी वह कुछ नहीं बोलीं। इस संबंध में डीपीओ ने पत्रकारों को बताया कि जांच पूरी कर ली गई है। रिपोर्ट डीएम को सौंपी जायेगी। इसकी जानकारी हम मीडिया में साझा कर सकते हैं। वहीं चावल कम मिलने के संबंध में पूछने पर बताया कि सेविकाओं की ओर से इस संबंध में बीडीओ को आवेदन दिया गया है। इसकी जांच बीडीओ की ओर से ही की जायेगी। इधर, सहार पूर्वी की जिला पार्षद मीना कुमारी ने बताया कि सेविकाओं से सत्यापन के नाम पर पैसे की वसूली करने के मामले में प्रशासन को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए, अन्यथा यह समझा जाएगा कि जिला प्रशासन ने इस मामले में दिलचस्पी नहीं ली। उन्होंने बताया कि इसमें मामला दर्ज कर वीडियो वायरल की तकनीकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि 15 दिन के अंदर जिला प्रशासन की तरफ से न्यायोचित कार्रवाई नहीं की गई, तो इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं लोकायुक्त के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।
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