मानव जीवन में कलयुग का महत्व कम नहीं : जीयर स्वामी
-पीरो प्रखंड के परमानंद नगर में चल रहे चातुर्मास व्रत के दौरान प्रवचन किया लक्ष्मी प्रपन्न

-पीरो प्रखंड के परमानंद नगर में चल रहे चातुर्मास व्रत के दौरान प्रवचन किया पीरो, संवाद सूत्र। पीरो प्रखंड के परमानंद नगर में चल रहे चातुर्मास व्रत के दौरान प्रवचन करते हुए श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन में कलयुग का कम महत्व नहीं है। कलयुग सतयुग, त्रेता और द्वापर से काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कलयुग में मन में अच्छा विचार किया जाये तो फल भी मिलेगा। आगे उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के मन में गलत विचार आता है तो वह सोचता है, लेकिन करता नहीं है तो कलयुग में इसका पाप नहीं लगेगा।
स्वामी जी ने कहा कि सतयुग, त्रेता और द्वापर में कलयुग से ज्यादा पाप होता था। स्वामी जी ने एक दुष्ट व्यक्ति की कथा सुनाते हुए कहा कि महात्मा के पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनायी। महात्मा जी ने उस गरीब दुष्ट को एक मणि वरदान में दे दिया। महात्मा जी ने दुष्ट व्यक्ति को बताया कि जो तुम मांगोगे, मणि तुरंत पूरा करेगा लेकिन जो तुम मांगोगे, उससे दोगुना तुम्हारे गांव को मिलेगा। यह बात सुनकर दुष्ट व्यक्ति काफी दु:खी हुआ। उसने अपने घर को पक्का मकान बनाने के लिए मणि के सामने रखकर ध्यान किया। उसका घर पक्का का बन गया और पूरे गांव वालों का दो-दो मकान बन गया। इससे वह व्यक्ति काफी दु:खी हुआ, जबकि उसे खुश होना चाहिए था। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह सिर्फ अपना भला चाहता था। ऐसा नहीं होना चाहिए। प्रवचन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि कथा के दौरान धार्मिक मार्यदा का पालन करना होगा। कीर्तन या रामायण पाठ करने की अपनी मार्यदा होती है। पाठ के दौरान गलत आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। यज्ञ का आयोजन सेवा भाव से होता है।
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