निष्काम भक्त के हाथों बिक जाते हैं भगवान
-स्वामी युगल शरण ने आध्यात्मिक प्रवचन में भक्तों के प्रकार की व्याख्या की, आरा के रामलीला मैदान में मंगलवार को प्रवचन करते

-स्वामी युगल शरण ने आध्यात्मिक प्रवचन में भक्तों के प्रकार की व्याख्या की आरा। निज प्रतिनिधि ब्रज गोपिका सेवा मिशन की ओर से आरा शहर के रामलीला मैदान में आयोजित 20 दिवसीय प्रवचन शृंखला के 17 वें दिन पूज्य स्वामी युगल शरण जी ने भक्तों के प्रकार की व्याख्या की। कहा कि अन्यभिलाषिता शून्य के आधार पर दो प्रकार के भक्त होते हैं। इसमें सकाम भक्त और निष्काम भक्त है। भगवान कहते हैं जो मेरा निष्काम भक्ति करता है, मैं उसके हाथों बिक जाता हूं। निष्काम प्रेम क्या है? निष्काम प्रेम का अर्थ है भगवान की इच्छा में अपनी इच्छा को जोड़ देना।
भगवान की इच्छा जो है, वही मेरी इच्छा। सेवा का अर्थ होता है स्वामी की इच्छा में इच्छा रखना। स्वामी की क्या इच्छा, वे जानते हैं। वह जो आज्ञा देंगे, उसका पालन करना मेरा धर्म है। कर्म और ज्ञान को भक्ति की जरूरत है, लेकिन भक्ति को किसी की अपेक्षा नहीं रहती। बैधी भक्ति वाला कर्मकांड करता है, नियमों का पालन करता है, परंतु रागानुगा भक्ति वालों को कोई भय नहीं होता है, वह वर्णाश्रम धर्म का पालन नहीं करता है। वह सीधी-सीधी भक्ति करता है, उनको न स्वर्ग मिलता है और न नरक का भय रहता है। वह सीधा-सीधा प्रेम भगवान को करता है। ---------- नदी आधारित ज्ञान परंपरा को संरक्षित करना होगा : प्रो. भारती -नदी संवाद कार्यक्रम में नदियों के सांस्कृतिक मानचित्रण का लिया संकल्प आरा/ उदवंतनगर । नदी मित्र की आरा इकाई की ओर से उदवंतनगर के ग्रीन पार्क विभावरी शिक्षा निकेतन परिसर में नदी संवाद कार्यक्रम और संगोष्ठी का आयोजन किया किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में नदी मित्र के राष्ट्रीय संयोजक और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रो. ओम प्रकाश भारती मौजूद रहे। प्रो भारती ने कहा कि सोशल मीडिया (गूगल), एआई आदि भारत में केवल चार सौ नदियां बताते हैं, जबकि केवल बिहार में सौ से अधिक नदियां हैं। वर्ष 2023 में भारत सरकार की ओर से जल निकायों (झील, पोखर, तलाब) की जनगणना कराई गई थी। देश में अब तक नदियों की जनगणना नहीं कराई गई है। नदी मित्र का संकल्प है : नदियों का सांस्कृतिक मानचित्रण। इसमें जनगणना के साथ नदियों से जुड़े मिथक, कहानी, गीत और ऐतिहासिक विवरणों को एकत्र किया जाएगा। नदियों के किनारे बसे समुदायों, तीर्थस्थलों और सांस्कृतिक स्थल, पर्व, त्योहार और अनुष्ठानों का अध्ययन किया जाएगा। स्थानीय लोगों और विद्वानों से साक्षात्कार के माध्यम से मौखिक परंपराओं का संकलन एवं संरक्षण किया जाएगा। भौगोलिक सूचना प्रणाली द्वारा नदियों का ‘डेटाबेस, ‘डिजिटल आर्काइव और संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा । यह संकल्प हमने बिहार की धरती से लिया है। अभी भोजपुर , रोहतास, बक्सर , कैमूर जिले की नदियों का सांस्कृतिक मानचित्रण किया गया है। बिहार के विभिन्न जिलों में जाकर मानचित्रण किया जाएगा। नदी मित्र आरा इकाई के संयोजक रंगकर्मी मनोज सिंह ने कहा गंगा सहित बनास, गगनी, छेरा, कुम्हारी, ढेरा आदि भोजपुर की अल्पज्ञात नदियां हैं। सांस्कृतिक मानचित्रण से भोजपुर की सांस्कृतिक धरोहरों को हम संरक्षित कर सकेंगे। लोक कलाकार राजा बसंत, श्याम शर्मिला पूजा कुमारी द्वारा कई नदी गीत व गंगा गीतों की प्रस्तुति की गई। तबले पर संगत अंकुर कुमार ने किया। इस अवसर पर नदी मित्र उत्तर प्रदेश इकाई के संयोजक राहुल यादव सहित डॉ अनिल सिंह, लक्ष्मण दुबे व अन्य ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ पंकज भट्ट और धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के निदेशक सतेंद्र कुमार सिन्हा ने किया।
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