Cauliflower Farmers in Aurangabad District Seek Government Support to Boost Income Amid Challenges बोले औरंगाबाद : फूल गोभी की नहीं मिल रही उचित कीमत, किसानों की आमदनी घटी, Aurangabad Hindi News - Hindustan
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बोले औरंगाबाद : फूल गोभी की नहीं मिल रही उचित कीमत, किसानों की आमदनी घटी

औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के किसान फूलगोभी की खेती से लाभ कमाना चाहते हैं, लेकिन नीलगाय और सिंचाई की समस्याएं उनके सामने हैं। किसानों ने एमएसपी लागू करने और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की मांग की।

Newswrap हिन्दुस्तान, औरंगाबादFri, 13 June 2025 01:49 AM
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बोले औरंगाबाद : फूल गोभी की नहीं मिल रही उचित कीमत, किसानों की आमदनी घटी

औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के खिरियावां, बेरी, चंदौली, पड़रिया, शिवगंज समेत अन्य जगहों पर फूलगोभी उत्पादक किसानों की अच्छी खासी आबादी है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान किसानों ने कहा कि सहयोग मिले तो किसानों की आमदनी पांच से दस गुना बढ़ जाएगी। किसानों ने बताया कि सामान्यत एक एकड़ में फूलगोभी की खेती में सभी खर्च काट कर 40 हजार रुपए की शुद्ध आमदनी होती है। एक एकड़ में फूल गोभी बीज उत्पादन करने पर आमदनी दो लाख रुपए तक पहुंच जाती है। किसान विनय महतो, संतन महतो, राजू कुमार, रंजीत कुमार, राकेश कुमार, जितेंद्र मेहता, अरविंद शर्मा, नागेंद्र कुमार, अजय कुमार मेहता आदि ने बताया कि यहां के किसान काफी परिश्रमी हैं।

उनके पास प्रतिभा और कुशलता की कमी नहीं है। एक दो बार उन लोगों ने भी बड़े पैमाने पर फूलगोभी की खेती की थी, परंतु नीलगाय के आतंक से अब किसान फूलगोभी की खेती करने से परहेज करने लगे हैं। वहीं पैदावार होने के कारण उंचे दामों में बिक्री भी नहीं हो पाती है। स्थानीय स्तर पर किसी तरह औने पौने दामों में बेचना पड़ता है। फूलगोभी की फसल में किसानों की लागत की अपेक्षा मुनाफा अधिक मिलता है। कभी-कभी पैदावार अधिक होने पर उचित फसल का दम नहीं मिलने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों की सरकार से मांग है कि फूलगोभी पर एमएसपी लागू की जाए ताकि किसानों को फायदा हो सके। किसानों ने कहा कि अगर जिले में खाद पर प्रसंस्करण उद्योग की इकाई स्थापित हो तो फूलगोभी के उत्पादों को तैयार करने का प्रशिक्षण मिल सकता है। फूलगोभी का आचार, सुखौटा बना लेते हैं। फूल गोभी का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित हो। आपदा की स्थिति में मुआवजा का प्रावधान सरकार को करना चाहिए। नीलगाय से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा उपलब्ध कराए। दो दशक पहले खेती में खर्च कम होता था। अच्छी बारिश होती थी लेकिन अब बारिश नहीं होने के कारण किसानों के सामने सिंचाई की समस्या सबसे बड़ी समस्या है। किसानों ने कहा कि सरकार और स्थानीय प्रशासन को हर खेत तक पानी उपलब्ध करा दे तो सब्जी की फसल करने में आसानी होगी। किसानों ने सरकारी नलकूप लगाने की मांग की है जिससे सब्जी की सिंचाई आसानी से हो सके। कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण किसान औने-पौने दाम पर बेचते हैं सब्जी कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण किसान औने-पौने दामों पर फूलगोभी बेचने को मजबूर हैं। फूल गोभी के दाम घटने पर कृषक परेशान हो जाते हैं। किसानों ने बताया कि जिले में कोल्ड स्टोरेज नहीं होने का कृषक खामियाजा भुगत रहे हैं। इन दिनों कृषक कई तरह की सब्जियों की खेती कर रहे हैं। किसान फसल तोड़कर तत्काल उसे बाजार में बेचने को मजबूर हैं। एक ही सीजन में सब्जियों की आवक अधिक हो जाने के कारण सब्जियों का रेट घट जाता है। कई बार तो बाजार में सब्जी ले जाने पर बिक्री नहीं हो पाती है। इसके बाद किसान उसे बाजार में छोड़ने को मजबूर होती हैं।

पिछले साल गोभी की कीमत तीन से चार रुपए प्रति किलो तक गिर गई। इसके कारण बाजार में बिक्री बंद हो गई। किसानों ने काफी खर्च कर बाजार तक उसे पहुंचाया लेकिन मूल्य नहीं मिलने की वजह से उसे बाजार में छोड़ कर लौट गए। कहा कि किसानों के उत्पादों के लिए केवल स्थानीय बाजार उपलब्ध है। यदि बाहर के बाजार तक कम लागत में किसानों की पहुंच हो तो उन्हें लाभ हो सकता है। किसानों ने बताया कि कोल्ड स्टोरेज नहीं होने के कारण फूलगोभी समेत अन्य सब्जियों का रखरखाव नहीं हो पाता है। इसके कारण वे औने पौने दामों में इसे बेचने को विवश हैं। यदि सरकार फूलगोभी की खेती पर अनुदान दे या अच्छी नस्ल का बीज उपलब्ध कराए तो हम लोगों की आय दोगुनी हो जाएगी। नीलगाय की बढ़ती संख्या के कारण हर फसल प्रभावित होती है। हर गांव के किसान इसके आतंक से त्रस्त हैं। सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसान प्रकृति पर निर्भर हैं या निजी पंप सेट के सहारे फसल की पटवन करते हैं। सुझाव 1. खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था चाहिए 2. किसान के अंतिम खेत तक पानी पहुंचे तो राहत होगी। 3. नीलगाय को लेकर कोई ठोस कदम वन विभाग को उठाना चाहिए 4. पंचायत स्तर पर मंडी की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए 5. प्रखंड स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण होना चाहिए 6. सब्जियों के भाव गिरने पर उसे सुरक्षित और संरक्षित कर रखने की व्यवस्था 7. फूलगोभी उत्पादक किसानों को बैंक से सस्ते दर पर लोन उपलब्ध कराया जाए शिकायतें 1. मदनपुर प्रखंड में सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को होती है परेशानी। 2. नीलगाय का आतंक काफी बढ़ गया है 3. वन विभाग नीलगाय को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। 4. प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत सुखाड़ व ओलावृष्टि से नुकसान पर उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है 5. फूलगोभी की खेती के बाद उत्पाद बेचने के लिए बाजार नहीं है। 6. फूलगोभी उत्पादक किसानों को बैंकों से सस्ते दर पर लोन नहीं उपलब्ध कराया जाता है। हमारी भी सुनिए यदि सरकार नीलगाय के आतंक से हम लोगों को मुक्ति दिलाए तो हम लोग अपने दम पर आर्थिक क्षमता बढ़ा सकते हैं। नीलगाय से हम लोग त्रस्त हैं। विनय महतो नीलगाय फूलगोभी समेत अन्य फसल को नुकसान पहुंचाते ही हैं। अब गेहूं, चना, मटर, मक्का, मसूर को भी नुकसान पहुंचाने लगे हैं।

संतन महतो मदनपुर प्रखंड के बड़े भूभाग पर फूलगोभी फसल की खेती होती है। यहां की मुख्य फसल सब्जी है जो खत्म होने के कगार पर है। जिला प्रशासन इस दिशा में पहल करे। राजू कुमार फूल गोभी की फसल होने पर बाजार में इसकी मांग अधिक हो जाती है। हमारे गांव की फूलगोभी की मांग हर स्तर पर होती है। उत्पादकों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। राम ईश्वर यदि सरकार फूलगोभी की खेती पर अनुदान दे या अच्छी प्रभेद का बीज उपलब्ध कराए तो हम लोगों की आय दोगुनी हो जाएगी। किसान इसकी खेती काफी मनोयोग से करते हैं। रंजीत कुमार नीलगाय की बढ़ती संख्या के कारण हर फसल प्रभावित होती है। हर गांव के किसान इसके आतंक से त्रस्त हैं। इस दिशा में प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हो पाती है। राकेश कुमार खिरियावां गांव में सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसान प्रकृति पर निर्भर हैं। सरकार को सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। जितेंद्र मेहता हमारे यहां फूलगोभी की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। जब किसान एक बीघा में फूलगोभी की खेती करते थे तो साल भर का खर्च निकल जाता था लेकिन अब सिंचाई व्यवस्था नहीं होने के कारण परेशानी हो रही है। कमला देवी फूलगोभी की खेती से यहां के किसान हमेशा लाभान्वित होते थे। जो किसान एक बीघे में फूलगोभी की खेती करता था, उससे लाखों रुपए की आमदनी होती थी लेकिन अब वैसी बात नहीं रही। अनीता देवी नीलगाय का आतंक मदनपुर प्रखंड के सभी गांव में है। इससे सभी गांव के लोग असहाय महसूस कर रहे हैं। सरकार इस दिशा में पहल करे तो सहूलियत होगी। प्रशासन को व्यवस्था करनी चाहिए। अरविंद शर्मा सरकार हम लोगों को नीलगाय से मुक्ति दिला दे तो हम लोग खुद अपनी समृद्धि की इबारत लिख सकते हैं। फसल का नुकसान होता है लेकिन मुआवजा दिलाने की दिशा में कार्रवाई नहीं होती है। नागेंद्र कुमार सरकार हम लोगों की फूलगोभी की खेती के लिए बढ़ावा दे और जंगली पशुओं से सुरक्षा की व्यवस्था करे तो हम लोग अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अजय कुमार मेहता नीलगाय के कारण फूलगोभी का काफी नुकसान पहुंचता है। आकलन कर सरकार मुआवजा घोषित करे तो किसानों को फायदा हो सकता है। स्थानीय स्तर पर शिकायत पर सुनवाई नहीं होती है। सोनू कुमार खेती के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना चाहता था लेकिन बैंक ने इतनी दौड़ लगवाई कि हार मान गया। पैसा उधार लेकर फूलगोभी की खेती करते हैं। जब मंडी में रेट गिर जाता है तो घाटा हो जाता है। अर्जुन महतो खेती कभी मुनाफे में रहती ही नहीं है। चाहे मौसम साथ दे या ना दे, अच्छी उपज होती है तो बाजार में फूलगोभी की कीमत कम हो जाती है। उपज अच्छी ना हो तो व्यापारी बाहर से माल मंगा लेते हैं। पहले मंडी में बिचौलियों की चलती थी अब व्यापारियों की चलती है। दिनेश मेहता फूलगोभी तोड़ने के बाद हमें सुबह ही मंडी जाना पड़ता है। अगर देर हो जाए तो व्यापारी लेने से मना कर देते हैं। रेट पूछे तो व्यापारी कहते हैं जितना दे रहे हैं, वह भी बहुत है। यदि सरकार मंडी में सीधा हस्तक्षेप करे और एक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे तो किसान को सुरक्षा मिलेगी। जितेंद्र मेहता सरकार कहती है कि ऑनलाइन बिक्री करे लेकिन हम जैसे किसान के पास ना मोबाइल है ना तकनीकी जानकारी। हमको मंडी में उसी दिन भेज देना पड़ता है, चाहे रेट जैसा भी हो। श्याम सुगन महतो किसान कभी मंडी का हिस्सा रहे ही नहीं हैं। पहले बिचौलिए खेतों से फूलगोभी खरीद कर व्यापारियों तक पहुंचाते थे।

अब व्यापारी सीधे मोल भाव करते हैं। व्यापारी ही रेट तय करते हैं। हमारी लागत क्या है, इससे किसी को कोई मतलब नहीं है। शालिग्राम महतो खेती अब किस्मत का खेल बन गई है। खेती में लागत तो हर बार बढ़ रही है लेकिन आमदनी नहीं बढ़ रही है। सरकार को किसानों के लिए योजना लानी चाहिए जिससे उनकी आर्थिक उन्नति हो सके। ललन महतो सरकार प्रचार करती है कि सब्जी की खेती से ज्यादा आमदनी होती है लेकिन हकीकत कुछ और है। फूलगोभी लगाने में मेहनत के साथ जोखिम भी बहुत है। बीज, खाद, कीटनाशक पर पैसा खर्च करो और फिर जब फसल तैयार हो तो रेट इतना गिर जाए कि हाथ मलते रहो। हम जैसे छोटे किसानों के लिए कोई सुविधा नहीं है। मंडी में भी व्यापारी के रहमों करम पर उपज बिकती है। वीरेंद्र मेहता

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