कटाव से तीन गांवों की जमीन नाले में तब्दील, प्रशासन मौन
दरमी, सोमर बिगहा और कोइरी बिगहा गांव का वजूद मिटने के कगार परजा रही है और अदरी नदी में समाती जा रही है। पिछले कई वर्षों से यह सिलसिला जारी है। अब तक तकरीबन 25 बीघा कृषि योग्य भूमि अदरी नदी में समा...

कुटुंबा प्रखंड के दरमी, सोमर बिगहा और कोइरी बिगहा गांव की अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। कटाव से कृषि योग्य भूमि नाला का रूप लेती जा रही है और अदरी नदी में समाती जा रही है। पिछले कई वर्षों से यह सिलसिला जारी है। अब तक तकरीबन 25 बीघा कृषि योग्य भूमि अदरी नदी में समा चुकी है। दरमी गांव से दो सौ फीट और सोमर बिगहा व कोइरी बिगहा गांव से 50 फीट दूरी तक कटाव हो चुका है। किसानों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही, तो आने वाले वर्षों में गांव ही कटाव की चपेट में आ जाएगा।
मानसून के दस्तक के साथ इन गांवों के किसानों की चिंता एक बार फिर बढ़ी हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तर कोयल मुख्य नहर से निकलने वाली कर्मा माइनर की खुदाई अधूरी रहने से समस्या गंभीर हो गई है। बरसात के दिनों में नहर का पानी लेदी दोहर के नइकी आहर में गिरकर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा करता है, जो कटाव को बढ़ावा देता है। कटाव से दरमी गांव के राघव सिंह, लल्लू सिंह, भरत सिंह, दिलीप सिंह, राज किशोर सिंह, श्रीनिवास सिंह, कमला सिंह, अनुज सिंह, अवध किशोर सिंह, कपिलदेव सिंह, अनिल सिंह, मुन्ना सिंह, भोला सिंह, राणा सिंह, धनंजय सिंह, नागेंद्र सिंह व धीरेंद्र सिंह, सोमर बिगहा के रामाश्रय पासवान, कृष्णा पासवान, शिवपूजन पासवान, रामविलास पासवान, देव मंगल पासवान, छबील पासवान, रमेश पासवान सहित अन्य किसानों की खेती योग्य जमीन नष्ट हो चुकी है। कई खेत नाले का रूप ले चुके हैं। किसानों का कहना है कि अगर नहर की खुदाई पूरी हो और चहका निर्माण हो, तो कटाव पर कुछ हद तक रोक लग सकती है। कटाव की समस्या वर्षों पुरानी है लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ। पिछले साल अधिकारियों ने दौरा किया था लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है।
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