Historic Temples of Betia Facing Decay Urgent Preservation Needed शहर के मंदिरों के जीर्णोद्धार की दरकार अतिक्रमित जमीन को भी करायें मुक्त, Bagaha Hindi News - Hindustan
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शहर के मंदिरों के जीर्णोद्धार की दरकार अतिक्रमित जमीन को भी करायें मुक्त

पश्चिमी चंपारण जिले के पौराणिक मंदिरों का इतिहास प्रसिद्ध है, लेकिन अब ये जर्जर हो चुके हैं। स्थानीय लोग सरकार से संरक्षण की मांग कर रहे हैं। बेतिया राज प्रबंधन ने मरम्मत की घोषणाएं की हैं, लेकिन...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाThu, 12 June 2025 10:55 PM
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शहर के मंदिरों के जीर्णोद्धार की दरकार अतिक्रमित जमीन को भी करायें मुक्त

राजघराने से ताल्लुकात रखने वाले पश्चिमी चंपारण जिले के मंदिरों के इतिहास देश-विदेश में प्रसिद्ध है। लेकिन यहां के पौराणिक मंदिर जर्जर हो चुके हैं। देखरेख के अभाव में मंदिर ध्वस्त होते जा रहे हैं। देखभाल के अभाव में कुछ वर्षों के बाद इनका अस्तित्व खत्म जाएगा। मंदिरों के प्रति स्थानीय लोगों की जबरदस्त आस्था है और वह सरकार से इसके संरक्षण की मांग भी करते हैं। लाेगों की मांग है कि प्रशासन कमेटी बनाकर इसकी देखभाल की जिम्मेदारी उठाए, ताकि इसके अस्तित्व को बचाया जा सके। सिपाही पटेल, सुदामा कुमार, अजय कुमार,मंजीत कुमार प्रवीण कुमार, इंद्रजीत राउत,आनंद कुमार, ललन कुमार गुप्ता, विजय प्रसाद,शैलेंद्र कुमार तिवारी, आयुष कुमार आदि ने बताया कि बेतिया राज प्रबंधन द्वारा कई बार मंदिरों के जीर्णोद्धार और मरम्मत की घोषणा की जा चुकी है।

लेकिन घोषणाओं के अनुरूप कार्य नहीं किए जा रहे हैं। अगर राज्य सरकार व जिला प्रशासन इस ओर अपना ध्यान केंद्रित करे तो हम सभी के आस्था के इन केंद्रों की पौराणिकता को बचाया जा सकता है। राज्य व केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कारगर योजना बनानी चाहिए ताकि हमारी धरोहर का सरंक्षण हो सके। अधिकांश मंदिरों की देखरेख वहां पर बनायी गयी कमेटी के सदस्यों द्वारा की जा रही है। जब भी पूजा पाठ करने का कोई पर्व अथवा आयोजन का समय आता है तो इन मंदिरों की सफाई कराई जाती है। लेकिन प्रशासन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए की सालभर इन मंदिरों की देखरेख की जा सके। बेतिया राज की ओर से स्थापित कई मंदिर देखरेख के अभाव में इतने जर्जर हो गए हैं कि वहां पर कभी भी दीवार गिरने जैसे हादसे हो सकते हैं। कुछ मंदिर ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं और कुछ धीरे-धीरे ध्वस्त हो रहे हैं। यहां पर बेतिया राज के महाराज अथवा यहां की महारानी जब भी दक्षिण दिशा की यात्रा करते थे तो उस दिशा में स्थापित शिव मंदिर में रुक कर पूजा पाठ करने के बाद ही आगे की यात्रा शुरू करते थे। कालीबाग के जीर्णोंद्धार की घोषणा हो चुकी है लेकिन रख-रखाव के अभाव में यहां की देवी देविताओं की प्राचीन मूर्तियां बदहाल हो चुकी है। बेतिया शहर के स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन लालटेन चौक स्थित राम जानकी मंदिर की दीवारें अत्यंत पुरानी है और कभी भी धराशायी हो सकती है। बेतिया के व्यवसायी समाज व कुछ संगठनों द्वारा इन मंदिरों की मरम्मत करायी जाती है। कुछ मंदिरों के सामने प्याउ भी लगवा दिया गया है। दुर्गा बाग मंदिर के मुख्य गेट के पास अंकित जानकारी वाली शिलापट्ट को बर्बाद कर दिया गया है। इस शिलापट्ट पर मंदिर के निर्माण से संबंधित पूरी जानकारी अंकित की गयी थी। कई मंदिरों के प्लास्टर जगह-जगह से टूट कर गिर रहे हैं। कई जगह फर्श उखड़ गया है। राजगुरु परिवार के लोगों के अनुसार महाराजाओं ने 56 मंदिरों की स्थापना की थी। अभी भी छपरा, सुगौली, अयोध्या, इलाहाबाद व बनारस में भी बेतिया महाराज की ओर से स्थापित एक-एक मंदिर है।

प्रस्तुति- मनोज कुमार राव

पुजारियों को वेतन व भगवान के भोग के लिए मिलती है कम राशि

शहर के दुर्गाबाग, कालीबाग, सागर पोखरा, पिउनीबाग, लाल बाजार स्थित जोड़ा शिवालय, भगवान गणेश की मंदिर आदि की स्थिति तो कुछ ठीक है, लेकिन अन्य मंदिरों की स्थिति बेहतर नहीं है। बेतिया राज की ओर से मंदिरों के पुजारियों को काफी कम मासिक वेतन मिलता है। सहायक पुजारी और टहलू को भी आंशिक रुप से आर्थिक सहायता मिलती है। शिव मंदिर के पुजारियों ने बताया कि मंदिरों में भगवान को भोग लगाने के लिए दोनों समय प्रसाद, अगरबत्ती, कपूर, फूल, घी, तिल तेल, चंदन की जरूरत पड़ती है लेकिन इतने कम राशि में यह मुश्किल है। वेतन के पैसे खर्च कर भगवान को भोग लगाना पड़ता है।

बेतिया राज के मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए बेतिया राज प्रशासन से एनओसी मांगी गई थी। नगर के लाल बाजार स्थित जोड़ा शिवालय मंदिर को लेकर भी लिखा गया था, लेकिन अभी तक एनओसी नहीं मिल सका है। एनओसी मिलने के बाद निगम प्रशासन द्वारा बेतिया राज से संबंधित मंदिरों का जीर्णोद्धार व देखभाल करायी जाएगी। एनओसी के लिए राज प्रशासन से बात की जाएगी।

-गरिमा देवी सिकरिया, मेयर नगर निगम

सुझाव

1.पौराणिक मंदिरों के रख-रखाव के लिए प्रशासन की ओर से जो घोषणा की जाती है उस पर काम होना चाहिए।

2. पुजारियों व उनके सहयोगियों को वेतन के रुप में उचित राशि प्रदान की जानी चाहिए। ताकि भरण पोषण हो सके।

3. मंदिरों की साफ -सफाई सिर्फ पर्व त्योहार के समय में नहीं होकर हमेशा किया जाना चाहिए। ताकि गंदगी नहीं रहे।

4. मंदिरों के आसपास की अतिक्रमित जमीन को प्रशासन के द्वारा वापस दिलाया जाना चाहिए।

5. बेतिया के पौराणिक मंदिरों की दीवारों की मरम्मत व देखरेख के लिए कमेटी बननी चाहिए। ताकि देखभाल हो सके।

शिकायतें

1. पौराणिक मंदिरों के रख-रखाव के लिए प्रशासन की ओर से जो घोषणा की जाती है उस पर अमल नहीं किया जा रहा है।

2. मंदिरों के पुजारियों व उनके सहयोगियों को वेतन के रुप में काफी कम राशि प्रदान की जा रही है। यह उचित नहीं है।

3. पौराणिक मंदिरों की साफ-सफाई सिर्फ पर्व त्योहार के समय में ही की जाती है। यह नियमित नहीं है। इससे परेशानी है।

4. कई मंदिरों के आसपास की जमीन अतिक्रमित कर ली गयी है इससे मंदिर का दायरा कम होता जा रहा है।

5. अधिकांश पौराणिक मंदिरों की दीवार ध्वस्त हो रही हैं तथा जर्जर हो चुकी छतों से प्लास्टर भी झड़ता रहता है।

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