कामकाजी महिलाओं को शौचालय व सुरक्षा संग मिले विशेष अवकाश
बेतिया शहर में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शौचालयों की कमी, मोरल सपोर्ट का अभाव, और सरकारी योजनाओं की जटिलता जैसी समस्याएं हैं। महिलाओं का...
कामकाजी महिलाओं की संख्या बेतिया शहर में लगातार बढ़ रही है। इसके बावजूद उन्हें घर से निकलते ही कई तरह की समस्याओं से जूझना होता है। इनकी पीड़ा है कि कई ऐसे सरकारी और निजी दफ्तर हैं, जहां आज भी महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं हैं। बाजारों में भी शौचालयों की कमी है। सरकार की ओर से महिलाओं के उन्नयन के लिए मिलने वाले अनुदान अथवा ऋण पाने की प्रक्रिया काफी जटिल है। महिला हेल्प डेस्क की सुविधा सभी जगह नहीं है। कामकाजी महिलाओं को घर परिवार में मोरल सपोर्ट नहीं मिलता है। निजी प्रतिष्ठान अथवा दफ्तर में काम करने वाली महिलाओं को दो दिन का ‘विशेषावकाश नहीं दिया जाता है।
कामकाजी महिलाओं का कहना है कि इन समस्याओं के कारण आज के आधुनिक समय में भी घुटन, मानसिक अवसाद और सामाजिक भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। सीमा माधोगढ़िया कहती हैं कि बेतिया शहर के सभी वार्ड में एक महिला हेल्प डेस्क के गठन का होना चाहिये, ताकि प्रताड़ित और पीड़ित महिलाएं अपने दुख दर्द को वहां जाकर साझा कर सकें। उन्होंने बताया कि नगर निगम की बैठक में कई बार उन्होंने इसकी मांग महापौर से भी की है। अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाने का काम करने वाली अमृता पांडे ने बताया कि आजकल की कामकाजी महिलाएं दोराहे पर खड़ी हैं, क्योंकि उन्हें ड्यूटी के साथ-साथ घर की पूरी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। संध्या बरनवाल ने बताया कि आजकल लगभग हर क्षेत्र में काम करने के लिए महिलाएं घर की दहलीज पार कर बाहर निकल रही हैं, इसलिए उनको मोरल सपोर्ट मिलना बहुत जरूरी है। साथ ही, बेतिया शहर से जिले के दूर इलाके में काम करने जाने वाली महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा की जरूरत है। सिलाई मशीन का काम करने वाली कुमकुम देवी ने बताया कि घर में अगर एक महिला काम करने के लिए निकलती है तो उनसे प्रेरित होकर कई अन्य बालिकाएं अथवा महिलाएं नौकरी करना चाहती हैं। इस दिशा में सरकार को ऐसी महिलाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराना चाहिए। लालमती देवी,पिंकी देवी,इंदु देवी, चंदा देवी, कुमकुम देवी व पिंकी कुमारी ने बताया कि कई ऐसी समस्याएं है जिनका निदान होना आवश्यक है। महिलाओं और पुरुषों की सैलरी में अंतर है। सरकार को इस गैप को दूर करना चाहिए। कामकाजी महिलाओं के लिए कई दफ्तर में महिला शौचालय की सुविधा नहीं है। इससे कई बार शर्मिंदा होना पड़ता है। घरों में काम करने वाली महिलाओं को सुबह काम पर जाते समय आवारा कुत्तों से परेशानी होती है। चौक-चौराहे व गलियों से गुजरते समय डर बना रहता है। शाम के समय असामाजिक तत्वों से डर लगता है। इनको असुरक्षा का भय हमेशा बना रहता है। इनका कहना है कि दूर-दराज के इलाके में महिलाओं व युवतियों को वाहन की सुविधा नहीं मिल पाती। ऑटो व अन्य साधनों के लिए इन्हें काफी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में अपने को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचने की चिंता सताती है। कामकाजी महिलाओं को काम के बाद सुरक्षित घर पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रस्तुति- मनोज कुमार राव
महिलाओं को मिले फ्री हेल्थ चेकअप की सुविधा
कई बार खरीदारी करने के लिए बाजार में जाने वाली महिलाओं को उस समय अत्यधिक परेशानी होती है जब उन्हें इन सार्वजनिक जगहों पर महिला शौचालय की सुविधा नहीं मिलती। कई महिलाओं ने नगर निगम प्रशासन से ऐसी जगह पर महिला शौचालय बनवाने के लिए विशेष आग्रह किया है। सिलाई का काम करने वाले, मेहंदी लगाने वाले, बुटीक का काम करने वाले, साड़ियों में फॉल्स लगाने वाली तथा प्रतिष्ठानों पर काम करने वाली सैकड़ों ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें अपने रोजगार के विस्तार के लिए सरकार की ओर से अलग-अलग योजनाओं के तहत अनुदान अथवा ऋण की आवश्यकता है। इन लोगों को अगर सिंगल विंडो के तहत अनुदान अथवा ऋण की सुविधा मिल जाए तो इससे इन्हें काफी सहूलियत होगी। निजी प्रतिष्ठान में काम करने वाली अधिकतर महिलाओं को कम वेतन पर ही काम करना पड़ता है। इस मामले में भी एक बेसिक नियमावली जरूर होनी चाहिए। कामकाजी महिलाएं कई बार अधिक काम करने के कारण तथा प्रतिदिन की भाग दौड़ से तरह-तरह की बीमारी की चपेट में आ जाती है। इसलिए प्रशासन को महीने में एक बार निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाकर महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच पड़ताल करनी चाहिए। घर की महिला अगर स्वस्थ रहती हैं तो परिवार का संचालन बेहतर तरीके से हो पाता है। इसलिए इस दिशा में सरकार को अविलंब योजना बनानी चाहिए। इससे समाज को काफी लाभ होगा।
कामकाजी महिलाएं अगर काम के सिलसिले में जिला मुख्यालय से बाहर जाती हैं और उन्हें अपनी सुरक्षा के मामले में किसी प्रकार की परेशानी होती है तो वह स्थानीय पुलिस से सहयोग प्राप्त कर सकती हैं। उनको कार्य क्षेत्र की पुलिस से पूरा सहयोग मिलेगा। इसके बाद भी अगर किसी महिला को कोई परेशानी होती है तो वह शिकायत कर सकती हैं। लिखित शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी।
- विवेक दीप, एसडीपीओ
वैसी कामकाजी महिलाएं जिनको अपना स्वयं का कोई लघु उद्यम खोलने के लिए अनुदान अथवा ऋण की आवश्यकता है तो वे जिला उद्योग विभाग के कार्यालय से संपर्क कर योजनाओं के बारे में जानकारी ले सकती हैं। महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही है। पोर्टल पर सभी जानकारी उपलब्ध है। नियमानुसार चयनित होने पर उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
- रोहित राज, महाप्रबंधक उद्योग विभाग
सुझाव
1. बेतिया शहर के सभी वार्ड में महिलाओं के लिए हेल्प डेस्क का गठन होना चाहिए। इससे उन्हें राहत मिलेगी।
2. सभी सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में महिला शौचालय का निर्माण कराया जाना चाहिए। 3.
निजी संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं को भी दो दिन स्पेशल लीव कि सुविधा मिलनी चाहिए।
4. सरकार की ओर से महिलाओं को मिलने वाले अनुदान या लोन की सुविधा को सरल बनाया जाना चाहिए।
5. शहर में महिलाओं व युवतियों के लिए प्रशासन की ओर से वाहन की व्यवस्था होनी चाहिए।
शिकायतें
1. कामकाजी महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के लिए शहर और देहाती क्षेत्र में विशेष योजना नहीं है।
2. दफ्तर में काम करने वाली महिलाओं के लिए महिला शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इससे परेशानी होती है।
3. निजी प्रतिष्ठान में काम करने वाली महिलाओं को स्पेशल लीव की सुविधा नहीं मिलती है।
4. सरकार की ओर से महिलाओं के स्वावलंबी बनाने के लिए मिलने वाले अनुदान अथवा ऋण की प्रक्रिया जटिल है।
5. कामकाजी महिलाओं के लिए ऑटो व अन्य वाहनों की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे सुरक्षित घर तक पहुंच सकें।
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