बांका जिले में नहीं है एक भी सीएनजी पंप और ईवी चार्जिंग पॉइंट, वाहन मालिक परेशान
पेज चार की लीडपेज चार की लीड प्रदूषण रहित परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस पहल का अभाव जिले में 45 सौ से अधिक सीएनजी व इ

बांका, निज संवाददाता। बिहार सरकार की ओर से लगातार इलेक्ट्रिक और सीएनजी जैसे प्रदूषण रहित ईंधन आधारित वाहनों को बढ़ावा देने की बात की जा रही है, लेकिन बांका जिले की स्थिति इससे बिल्कुल उलट नजर आती है। जिले में आज तक एक भी सीएनजी पंप या इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशन स्थापित नहीं हो सका है। इससे न सिर्फ वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ी बाधा बनती जा रही है।जिले के परिवहन विभाग के मुताबिक, बांका में अब तक 3700 से अधिक इलेक्ट्रॉनिक बैटरी चालित रिक्शा और 500 से अधिक सीएनजी वाहनों का पंजीकरण हो चुका है।
इसके अलावा, पड़ोसी जिलों जैसे भागलपुर, देवघर, गोड्डा और दुमका से खरीदे गए 1500 से अधिक सीएनजी वाहन भी बांका की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनकी कुल संख्या 4500 से अधिक हो चुकी है। इतनी बड़ी संख्या में ईको-फ्रेंडली वाहनों की मौजूदगी के बावजूद जिले में इन वाहनों के लिए कोई बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है।सीएनजी वाहन चालकों को अक्सर भागलपुर के जीरोमाइल बायपास या अकबरनगर जाकर सिलेंडर भरवाना पड़ता है।जिसमें उनका अधिक समय जाया होता है और अधिक जेब भी ढीली करनी मजबूरी होती है। कई बार तो उन्हें दो से तीन घंटे की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ती है या पंप पर नंबर लगाना पड़ता है, जिससे न केवल उनकी आमदनी पर असर पड़ता है, बल्कि सवारी व्यवस्था भी बाधित होती है। कुछ चालकों ने अधिक मुनाफा कमाने के लिए सीएनजी के बजाय घरेलू एलपीजी सिलेंडर का प्रयोग भी शुरू कर दिया है, जो कि न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि बेहद खतरनाक भी साबित हो सकता है। इसके बावजूद अब तक जिला परिवहन विभाग या मोटर यान निरीक्षक द्वारा इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। इलेक्ट्रिक रिक्शा चालकों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। जिले में एक भी ईवी चार्जिंग पॉइंट उपलब्ध नहीं है, जिससे इन्हें स्थानीय स्तर पर असुरक्षित और अवैज्ञानिक तरीकों से अपने वाहन चार्ज करने पड़ते हैं। इससे वाहन की बैटरी की उम्र घटती है और गर्मी के दिनों में आग लगने जैसे जोखिम भी बढ़ जाते हैं। हाल ही में बांका पहुंची बिहार विधानसभा की पर्यावरण संरक्षण समिति ने जिले का दौरा कर प्रदूषण नियंत्रण को लेकर वन,स्वास्थ्य जैसे विभिन्न विभागों के साथ जिला स्तरीय बैठक की थी। बैठक में दिशा-निर्देश तो दिए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल देखने को नहीं मिली है। न ही किसी स्थान पर सीएनजी पंप या चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई गई है, और न ही इसके लिए ज़मीन चिन्हित की गई है।स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दिशा में अब तक न तो जनप्रतिनिधियों ने कोई प्रयास किया है और न ही प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया है,जबकि सीएनजी और ईवी वाहन न केवल ईंधन की बचत करते हैं, बल्कि प्रदूषण भी कम करने में भी कारगर साबित होते हैं।अब जरूरत इस बात की है कि जिला प्रशासन, परिवहन विभाग और जनप्रतिनिधि मिलकर इस ओर ठोस कदम उठाएं। सीएनजी पंप और चार्जिंग पॉइंट की स्थापना से न सिर्फ वाहन चालकों की समस्याएं कम होंगी, बल्कि जिले को एक इको फ्रेंडली और टिकाऊ परिवहन व्यवस्था की ओर भी ले जाया जा सकेगा। पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को साकार करने के लिए यह एक अनिवार्य कदम साबित होगा। डीटीओ प्रेमकांत सूर्य ने कहा कि इको फ्रेंडली और इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल का ही भविष्य है,केंद्र सरकार के साथ राज्य द्वारा भी इसपर पहल किया जा रहा है।पेट्रोल पंप पर ही सीएनजी पंप और चार्जिंग पॉइंट की व्यवस्था संबंधित एजेंसी द्वारा कराई जा सकती है।इस विषय पर कोई स्पष्ट विभागीय निर्देश नहीं मिला है। सीएनजी सिलेंडर के जगह एलपीजी सिलेंडर का वाहनों में इस्तेमाल की कोई जानकारी अबतक नहीं थी।ऐसा करना गैरकानूनी है।इस बारे में एसडीएम को पत्र लिखकर सभी स्टैंड पर चेकिंग बढ़ाए जाने का अनुरोध किया जायेगा।
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